{"_id":"6113abc08ebc3ef4513f931d","slug":"up-flood-news-story-of-three-years-ago-250-houses-absorbed-in-gandak-river-of-kushinagar","type":"story","status":"publish","title_hn":"बाढ़ का खौफ: तीन साल पहले गंडक में समा गए थे 250 मकान, मंजर याद कर आज भी सिहर उठते हैं ग्रामीण","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
बाढ़ का खौफ: तीन साल पहले गंडक में समा गए थे 250 मकान, मंजर याद कर आज भी सिहर उठते हैं ग्रामीण
अमर उजाला नेटवर्क, कुशीनगर।
Published by: vivek shukla
Updated Wed, 11 Aug 2021 04:21 PM IST
सार
गंडक की विनाशलीला ने कई गांवों में ऐसी तबाही मचाई कि लोगों को गांव छोड़कर जाना पड़ा था।
विज्ञापन
कटान करती गंडक नदी।
- फोटो : अमर उजाला।
विज्ञापन
विस्तार
कुशीनगर जिले में वर्ष 2018 में 11 और 12 अगस्त का वह मंजर याद कर अहिरौलीदान के ग्रामीण आज भी सिहर उठते हैं। तबाही की उस घटना को बीते तीन साल गुजर चुके हैं, जब बहुमंजिली इमारतों सहित कच्चे-पक्के 250 मकान गंडक नदी में समा गए थे। काफी संख्या में ग्रामीणों को गांव से पलायन करना पड़ा था।
11 व 12 अगस्त 2018 के पहले गंडक नदी के किनारे बसे अहिरौलीदान गांव के कचहरी टोला, कंचन टोला, नोनियापट्टी, खैरखुटा और मदरही अच्छी आबादी वाले गांव हुआ करते थे। इन गांवों में सड़क, बिजली और पानी की सुविधा तो थी, साथ ही बहुमंजिली इमारतें व हाथीसार (हाथी रखने का स्थान) भी था। लेकिन गंडक की विनाशलीला ने इन गांवों में ऐसी तबाही मचाई कि इन गांवों को भी नहीं छोड़ा।
गंडक नदी की कटान के चलते कंचन टोला का अस्तित्व ही मिट गया। इसके साथ-साथ कचहरी टोला, नोनियापट्टी, खैरखुटा, मदरही गांवों को भी तरह तहस-नहस कर दिया था। उन दिनों गांव के धुरंधर सिंह की बहुमंजिली इमारत व हाथीसार के साथ पूर्व प्रधान हरिकृष्ण सिंह, ज्ञानी सिंह, रामनरेश सिंह, बब्बन सिंह, गोरख सिंह, शारदा सिंह, रामचंद्र सिंह, बिंदेश्वरी सिंह, बलिराम सिंह, हरिलाल सिंह सहित ढाई सौ से अधिक लोगों के पक्के मकान गंडक नदी के कटान की भेंट चढ़ गए थे।
इस मंजर का खौफ महीनों तक लोगों में बना रहा था। यही नहीं काफी संख्या में लोगों को पलायन करने के लिए विवश होना पड़ा था। इससे उबरने के लिए लोग आज भी जद्दोजहद में लगे हैं। इसके प्रत्यक्षदर्शी रहे भाजपा नेता जेके सिंह, पूर्व प्रधान हीरालाल यादव, पूर्व प्रधान मजिस्टर पासवान, संजय सिंह, अरविंद पटेल, डॉ. ब्रह्मा शर्मा का कहना है कि घटना के तीन साल बाद भी लोग इसे भूले नहीं हैं। उस तबाही को याद कर सिहर उठते हैं।
Trending Videos
11 व 12 अगस्त 2018 के पहले गंडक नदी के किनारे बसे अहिरौलीदान गांव के कचहरी टोला, कंचन टोला, नोनियापट्टी, खैरखुटा और मदरही अच्छी आबादी वाले गांव हुआ करते थे। इन गांवों में सड़क, बिजली और पानी की सुविधा तो थी, साथ ही बहुमंजिली इमारतें व हाथीसार (हाथी रखने का स्थान) भी था। लेकिन गंडक की विनाशलीला ने इन गांवों में ऐसी तबाही मचाई कि इन गांवों को भी नहीं छोड़ा।
विज्ञापन
विज्ञापन
गंडक नदी की कटान के चलते कंचन टोला का अस्तित्व ही मिट गया। इसके साथ-साथ कचहरी टोला, नोनियापट्टी, खैरखुटा, मदरही गांवों को भी तरह तहस-नहस कर दिया था। उन दिनों गांव के धुरंधर सिंह की बहुमंजिली इमारत व हाथीसार के साथ पूर्व प्रधान हरिकृष्ण सिंह, ज्ञानी सिंह, रामनरेश सिंह, बब्बन सिंह, गोरख सिंह, शारदा सिंह, रामचंद्र सिंह, बिंदेश्वरी सिंह, बलिराम सिंह, हरिलाल सिंह सहित ढाई सौ से अधिक लोगों के पक्के मकान गंडक नदी के कटान की भेंट चढ़ गए थे।
इस मंजर का खौफ महीनों तक लोगों में बना रहा था। यही नहीं काफी संख्या में लोगों को पलायन करने के लिए विवश होना पड़ा था। इससे उबरने के लिए लोग आज भी जद्दोजहद में लगे हैं। इसके प्रत्यक्षदर्शी रहे भाजपा नेता जेके सिंह, पूर्व प्रधान हीरालाल यादव, पूर्व प्रधान मजिस्टर पासवान, संजय सिंह, अरविंद पटेल, डॉ. ब्रह्मा शर्मा का कहना है कि घटना के तीन साल बाद भी लोग इसे भूले नहीं हैं। उस तबाही को याद कर सिहर उठते हैं।