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Gorakhpur News: यूएई तक जुड़े साइबर फ्रॉड के तार, विदेश से होती थीं ब्लर स्क्रीन वाली ऑनलाइन मीटिंग
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ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर ठगी: जेल भेजे गए आरोपियों के मोबाइल-लैपटॉप से पुलिस को मिले सबूत
यूएई में बैठे मास्टरमाइंड देते थे निर्देश, पीड़ितों की सैकड़ों कॉल डिटेल और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन की जानकारी भी मिली
डिवाइस की जांच से खुला गिरोह का पूरा मॉडल, यूएई से मिलता था तकनीकी समर्थन
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। ऑनलाइन गेमिंग में इन्वेस्ट कर मोटी कमाई का लालच देकर ठगी के मामले के तार यूएई तक जुड़े हैं। जेल भेजे गए आरोपियों के मोबाइल फोन और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच में पुलिस को पता चला है कि आरोपी विदेश में बैठे मास्टरमाइंड के साथ ऑनलाइन मीटिंग करते थे। इसमें स्क्रीन को ब्लर कर दिया जाता था।
सबसे बड़ा पर्दाफाश यह है कि इस गेमिंग फ्रॉड के तार सीधे यूएई से जुड़े हुए हैं। पुलिस जांच में सामने आया है कि जेल भेजे गए आरोपी नारायणपुर नंबर 2 टोला हीरागंज निवासी राकेश प्रजापति और भटहट चिलबिलवां निवासी जान आलम नियमित रूप से विदेश में बैठे संचालकों के साथ ऑनलाइन मीटिंग करते थे। स्क्रीन को ब्लर या फिल्टर कर दिया जाता था, जिससे यूएई में बैठे लोगों का चेहरा दिखाई नहीं देता था।
डिवाइस की जांच से खुला गिरोह का पूरा मॉडल
आरोपियों से बरामद मोबाइल और लैपटॉप की जांच में पुलिस को सैकड़ों पीड़ितों की लिस्ट, इन्वेस्टमेंट की रकम, गेम आईडी, वर्चुअल वॉलेट और क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन, कॉल और चैट रिकॉर्ड व विदेशी आईपी लॉगिन जैसे महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि गिरोह पीड़ितों को पहले छोटे-छोटे रिवॉर्ड देकर विश्वास जीतता था। इसके बाद बड़े इन्वेस्टमेंट के नाम पर लाखों रुपये एक ही बार में ट्रांसफर कराता था। जैसे ही रकम बढ़ जाती, एप और गेम सर्वर ब्लॉक हो जाते और पीड़ित का पूरा बैलेंस गायब हो जाता।
कई राज्यों के पीड़ित, नेटवर्क का विस्तार बड़ा
अब तक की जांच में यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली और महाराष्ट्र के पीड़ितों की सूची सामने आई है। बरामद डाटा के आधार पर यह नेटवर्क देश के कई हिस्सों में सक्रिय था। पुलिस अब विदेशी कनेक्शन को चिह्नित करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का सहयोग ले रही है। एसपी सिटी अभिनव त्यागी के अनुसार, यूएई में बैठे मुख्य संचालकों की पहचान होना इस पूरे साइबर गैंग को तोड़ने की दिशा में सबसे बड़ा कदम साबित होगा। पुलिस की जांच जारी है और अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही इस अंतरराष्ट्रीय फ्रॉड नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सकेगा।
यूएई में बैठे मास्टरमाइंड देते थे निर्देश, पीड़ितों की सैकड़ों कॉल डिटेल और क्रिप्टो ट्रांजेक्शन की जानकारी भी मिली
डिवाइस की जांच से खुला गिरोह का पूरा मॉडल, यूएई से मिलता था तकनीकी समर्थन
अमर उजाला ब्यूरो
गोरखपुर। ऑनलाइन गेमिंग में इन्वेस्ट कर मोटी कमाई का लालच देकर ठगी के मामले के तार यूएई तक जुड़े हैं। जेल भेजे गए आरोपियों के मोबाइल फोन और लैपटॉप की फॉरेंसिक जांच में पुलिस को पता चला है कि आरोपी विदेश में बैठे मास्टरमाइंड के साथ ऑनलाइन मीटिंग करते थे। इसमें स्क्रीन को ब्लर कर दिया जाता था।
सबसे बड़ा पर्दाफाश यह है कि इस गेमिंग फ्रॉड के तार सीधे यूएई से जुड़े हुए हैं। पुलिस जांच में सामने आया है कि जेल भेजे गए आरोपी नारायणपुर नंबर 2 टोला हीरागंज निवासी राकेश प्रजापति और भटहट चिलबिलवां निवासी जान आलम नियमित रूप से विदेश में बैठे संचालकों के साथ ऑनलाइन मीटिंग करते थे। स्क्रीन को ब्लर या फिल्टर कर दिया जाता था, जिससे यूएई में बैठे लोगों का चेहरा दिखाई नहीं देता था।
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डिवाइस की जांच से खुला गिरोह का पूरा मॉडल
आरोपियों से बरामद मोबाइल और लैपटॉप की जांच में पुलिस को सैकड़ों पीड़ितों की लिस्ट, इन्वेस्टमेंट की रकम, गेम आईडी, वर्चुअल वॉलेट और क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजेक्शन, कॉल और चैट रिकॉर्ड व विदेशी आईपी लॉगिन जैसे महत्वपूर्ण सबूत मिले हैं। फॉरेंसिक रिपोर्ट में यह भी सामने आया है कि गिरोह पीड़ितों को पहले छोटे-छोटे रिवॉर्ड देकर विश्वास जीतता था। इसके बाद बड़े इन्वेस्टमेंट के नाम पर लाखों रुपये एक ही बार में ट्रांसफर कराता था। जैसे ही रकम बढ़ जाती, एप और गेम सर्वर ब्लॉक हो जाते और पीड़ित का पूरा बैलेंस गायब हो जाता।
कई राज्यों के पीड़ित, नेटवर्क का विस्तार बड़ा
अब तक की जांच में यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली और महाराष्ट्र के पीड़ितों की सूची सामने आई है। बरामद डाटा के आधार पर यह नेटवर्क देश के कई हिस्सों में सक्रिय था। पुलिस अब विदेशी कनेक्शन को चिह्नित करने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का सहयोग ले रही है। एसपी सिटी अभिनव त्यागी के अनुसार, यूएई में बैठे मुख्य संचालकों की पहचान होना इस पूरे साइबर गैंग को तोड़ने की दिशा में सबसे बड़ा कदम साबित होगा। पुलिस की जांच जारी है और अधिकारियों को उम्मीद है कि जल्द ही इस अंतरराष्ट्रीय फ्रॉड नेटवर्क का पर्दाफाश किया जा सकेगा।