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Ambala News: 2600 एकड़ जमीन का पेंच, एचएसआईआईडीसी का मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक पार्क अधर में
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अंबाला। हरियाणा को औद्योगिक क्षेत्र में नई ऊंचाइयों पर ले जाने का दावा करने वाला हरियाणा राज्य औद्योगिक एवं बुनियादी ढांचा विकास निगम (एचएसआईआईडीसी) जमीन अधिग्रहण के मोर्चे पर विफल साबित हो रहा है। अंबाला में प्रस्तावित महत्वाकांक्षी मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क परियोजना किसानों से जमीन न मिलने के कारण अधर में लटक गई है। आलम यह है कि विभाग परियोजना के लिए जरूरी 2600 एकड़ जमीन जुटाने में सफलता प्राप्त नहीं कर पा रहा है। किसानों की दो से तीन बार बैठक विभाग के अधिकारी ले चुके हैं, इसके बावजूद किसानों की तरफ से जो रेट जमीन के दिए जा रहे हैं वह काफी अधिक हैं। इसी पर बात अटकी हुई है। अंबाला में मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक पार्क बनने की पूर्व सीएम और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने बजट में घोषणा की थी।
किसानों को राजी करने में छूटे पसीने
परियोजना के लिए एचएसआईआईडीसी को बड़े पैमाने पर जमीन की दरकार है, लेकिन किसान अपनी उपजाऊ जमीन देने को तैयार नहीं हैं। मुआवजे की दरों के कारण किसान अपना मन नहीं बना पा रहे है। विभागीय अधिकारियों द्वारा कई दौर की वार्ता के बावजूद अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है, जिससे 2600 एकड़ का यह विशाल लक्ष्य विभाग के लिए गले की फांस बन गया है।
इकॉनोमिक कॉरीडोर से जोड़ने की थी योजना
इस लॉजिस्टिक पार्क की रूपरेखा बेहद रणनीतिक ढंग से तैयार की गई थी। योजना के मुताबिक, इस पार्क को रेलवे के केसरी स्टेशन के साथ-साथ इकॉनोमिक कॉरीडोर से सीधे कनेक्ट किया जाना था। इस कनेक्टिविटी से न केवल माल की आवाजाही सुगम होती, बल्कि प्रदेश के राजस्व में भी भारी बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन जमीन के अभाव में यह पूरा मास्टर प्लान कागजों तक सिमट कर रह गया है।
कारोबारियों को लगा बड़ा झटका
पार्क के निर्माण में हो रही देरी से क्षेत्र के कारोबारियों में भारी निराशा है। अगर यह प्रोजेक्ट समय पर शुरू होता, तो इससे अंबाला और आसपास के राज्यों के व्यापारियों को वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक की अत्याधुनिक सुविधाएं मिलतीं। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता और लागत में कमी आती। वर्तमान स्थिति को देखते हुए अब इस बड़े निवेश के हाथ से निकलने का डर सताने लगा है।
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किसानों को राजी करने में छूटे पसीने
परियोजना के लिए एचएसआईआईडीसी को बड़े पैमाने पर जमीन की दरकार है, लेकिन किसान अपनी उपजाऊ जमीन देने को तैयार नहीं हैं। मुआवजे की दरों के कारण किसान अपना मन नहीं बना पा रहे है। विभागीय अधिकारियों द्वारा कई दौर की वार्ता के बावजूद अब तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है, जिससे 2600 एकड़ का यह विशाल लक्ष्य विभाग के लिए गले की फांस बन गया है।
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इकॉनोमिक कॉरीडोर से जोड़ने की थी योजना
इस लॉजिस्टिक पार्क की रूपरेखा बेहद रणनीतिक ढंग से तैयार की गई थी। योजना के मुताबिक, इस पार्क को रेलवे के केसरी स्टेशन के साथ-साथ इकॉनोमिक कॉरीडोर से सीधे कनेक्ट किया जाना था। इस कनेक्टिविटी से न केवल माल की आवाजाही सुगम होती, बल्कि प्रदेश के राजस्व में भी भारी बढ़ोतरी की उम्मीद थी, लेकिन जमीन के अभाव में यह पूरा मास्टर प्लान कागजों तक सिमट कर रह गया है।
कारोबारियों को लगा बड़ा झटका
पार्क के निर्माण में हो रही देरी से क्षेत्र के कारोबारियों में भारी निराशा है। अगर यह प्रोजेक्ट समय पर शुरू होता, तो इससे अंबाला और आसपास के राज्यों के व्यापारियों को वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक की अत्याधुनिक सुविधाएं मिलतीं। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता और लागत में कमी आती। वर्तमान स्थिति को देखते हुए अब इस बड़े निवेश के हाथ से निकलने का डर सताने लगा है।