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Fatehabad News: चूड़ी के हुनर ने स्वयं सहायता समूह की 10 महिलाओं को दी आर्थिक मजबूती और पहचान
संवाद न्यूज एजेंसी, फतेहाबाद
Updated Sun, 30 Nov 2025 11:34 PM IST
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फतेहाबाद के पंचायत भवन में गीता महोत्सव स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से लगाया गया स्टॉल्
- फोटो : samvad
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फतेहाबाद। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर सूरज समूह की महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही हैं। जांडवाला सोत्तर गांव की दस महिलाओं ने स्वयं सहायता समूह से अपनी आजीविका शुरू कर गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरक उदाहरण प्रस्तुत किया है।
ये महिलाएं केमिकल से चूड़ियां तैयार करती हैं और उन पर बारीकी से स्टोन सजाकर उन्हें आकर्षक डिजाइन में बदलती हैं। तैयार चूड़ियों की स्थानीय एवं बाहरी बाजारों में बढ़ती मांग से महिलाओं को अच्छा मुनाफा हो रहा है। समूह से जुड़ी महिलाएं सामूहिक रूप से काम करती हैं, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और डिजाइन में निरंतर सुधार हो रहा है।
स्टोन से सजावट करने की कला ने चूड़ियों को फैशन के अनुरूप नया रूप दिया है। इससे न केवल उनकी आय बढ़ी है, बल्कि कला और हुनर को आगे बढ़ाने का अवसर भी मिला है। समूह को सशक्त बनाने के लिए हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से एक लाख पचास हजार रुपये का लोन उपलब्ध कराया गया है।
यह राशि महिलाओं को कच्चा माल खरीदने, उत्पादन बढ़ाने और बाजार तक पहुंच मजबूत करने में सहायक सिद्ध हो रही है। समूह का लक्ष्य आगामी समय में उत्पादन क्षमता बढ़ाकर अधिक महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है।
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गीता महोत्सव में लगी स्टॉल्स से रहा अच्छा मुनाफा
सूरज समूह की महिलाएं चूड़ी बनाने के साथ-साथ गांव में दुकानें भी चला रही हैं, जिससे उन्हें और उनके परिवारों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। इससे उनको बड़े कार्यक्रम में भी व्यापार करने का मौका मिलता है। जिला स्तर पर हर वर्ष आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ये महिलाएं अपने हाथों से बने उत्पादों के स्टॉल्स लगाकर अपने उत्पादों को प्रदर्शित करके उनकी ब्रांडिंग कर रही हैं।
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पहले हम घर के कामों में व्यस्त रहती थीं, लेकिन अब हम हर महीने एक निश्चित आय कमाकर परिवार की आर्थिक स्थिति में सहयोग कर रही हैं। यह सब एक साथ काम करने और एक-दूसरे को प्रेरित करने से संभव हुआ है। गांव में दुकानों से भी अच्छा बिक्री हो रही है।
-रीना, सदस्य, स्वयं सहायता समूह
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केमिकल की चूड़ियां बनाकर उन पर स्टोन लगाने में मेहनत तो काफी ज्यादा है, लेकिन बाजार में उनकी अच्छी बिक्री होने से वह खुश है। गीता महोत्सव में सामान की अच्छी बिक्री हो रही है। स्वयं सहायता समूह से नए रोजगार का अवसर मिला है। वहीं इससे घर से बाहर निकलकर काम करने का भी मौका मिला है। सरकार को ऐसी ओर योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए जो महिला उत्थान में सहायक हो।
-रीटा, सदस्य, स्वयं सहायता समूह
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यह योजना ग्रामीण क्षेत्र की पढ़ी लिखी व कम पढ़ी लिखी दोनों महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यह योजना महिलाओं को काम शुरू करने के लिए लोन देती है व हाथ से बने सामान को अच्छा मंच दे रही हैं।
-सीमा, सदस्य, स्वयं सहायता समूह
:: स्वयं सहायता समूह से जूड़ी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता है। जिले में ऐसे में कई समूह जारी है जिनसे महिलाएं अपनी आजीविका चला रही हैं।
-सतबीर, जिला कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन फतेहाबाद।
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ये महिलाएं केमिकल से चूड़ियां तैयार करती हैं और उन पर बारीकी से स्टोन सजाकर उन्हें आकर्षक डिजाइन में बदलती हैं। तैयार चूड़ियों की स्थानीय एवं बाहरी बाजारों में बढ़ती मांग से महिलाओं को अच्छा मुनाफा हो रहा है। समूह से जुड़ी महिलाएं सामूहिक रूप से काम करती हैं, जिससे उत्पादों की गुणवत्ता और डिजाइन में निरंतर सुधार हो रहा है।
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स्टोन से सजावट करने की कला ने चूड़ियों को फैशन के अनुरूप नया रूप दिया है। इससे न केवल उनकी आय बढ़ी है, बल्कि कला और हुनर को आगे बढ़ाने का अवसर भी मिला है। समूह को सशक्त बनाने के लिए हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से एक लाख पचास हजार रुपये का लोन उपलब्ध कराया गया है।
यह राशि महिलाओं को कच्चा माल खरीदने, उत्पादन बढ़ाने और बाजार तक पहुंच मजबूत करने में सहायक सिद्ध हो रही है। समूह का लक्ष्य आगामी समय में उत्पादन क्षमता बढ़ाकर अधिक महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराना है।
गीता महोत्सव में लगी स्टॉल्स से रहा अच्छा मुनाफा
सूरज समूह की महिलाएं चूड़ी बनाने के साथ-साथ गांव में दुकानें भी चला रही हैं, जिससे उन्हें और उनके परिवारों को अतिरिक्त आय प्राप्त हो रही है। इससे उनको बड़े कार्यक्रम में भी व्यापार करने का मौका मिलता है। जिला स्तर पर हर वर्ष आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में ये महिलाएं अपने हाथों से बने उत्पादों के स्टॉल्स लगाकर अपने उत्पादों को प्रदर्शित करके उनकी ब्रांडिंग कर रही हैं।
पहले हम घर के कामों में व्यस्त रहती थीं, लेकिन अब हम हर महीने एक निश्चित आय कमाकर परिवार की आर्थिक स्थिति में सहयोग कर रही हैं। यह सब एक साथ काम करने और एक-दूसरे को प्रेरित करने से संभव हुआ है। गांव में दुकानों से भी अच्छा बिक्री हो रही है।
-रीना, सदस्य, स्वयं सहायता समूह
केमिकल की चूड़ियां बनाकर उन पर स्टोन लगाने में मेहनत तो काफी ज्यादा है, लेकिन बाजार में उनकी अच्छी बिक्री होने से वह खुश है। गीता महोत्सव में सामान की अच्छी बिक्री हो रही है। स्वयं सहायता समूह से नए रोजगार का अवसर मिला है। वहीं इससे घर से बाहर निकलकर काम करने का भी मौका मिला है। सरकार को ऐसी ओर योजनाओं को बढ़ावा देना चाहिए जो महिला उत्थान में सहायक हो।
-रीटा, सदस्य, स्वयं सहायता समूह
यह योजना ग्रामीण क्षेत्र की पढ़ी लिखी व कम पढ़ी लिखी दोनों महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है। यह योजना महिलाओं को काम शुरू करने के लिए लोन देती है व हाथ से बने सामान को अच्छा मंच दे रही हैं।
-सीमा, सदस्य, स्वयं सहायता समूह
:: स्वयं सहायता समूह से जूड़ी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का मौका मिलता है। जिले में ऐसे में कई समूह जारी है जिनसे महिलाएं अपनी आजीविका चला रही हैं।
-सतबीर, जिला कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन फतेहाबाद।