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Mahendragarh-Narnaul News: अजीत कौर प्रतिदिन 40 से 50 गरीब बच्चों का भर रही पेट
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फोटो 01 बच्चों को खाना परोसती अजीत कौर। संवाद
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नारनौल। अपने लिए तो सब जीते हैं लेकिन अपने कमाए पैसों से दूसरों का पेट भरने वाले नेकदिल विरले ही मिलते हैं। ऐसा ही एक उदाहरण बहरोड़ रोड़ पर कड़ियां वाला मंदिर के पास देखने को मिला। जहां प्रवक्ता के पद से सेवानिवृत अजीत कौर कई सालों से प्रतिदिन गरीब परिवार के 40 से 50 बच्चे व महिलाओं को खाना खिला रही हैं।
अजीत अविवाहित हैं और वो अपना बाकी का जीवन बस गरीबों की सेवा में ही समर्पित रखना चाहती हैं। अजीत कौर ने बताया कि वह सुबह ही गरीब बच्चों के लिए दाल, कढ़ी व चावल बनाकर तैयार कर लेती हैं।
सुबह 11 बजे से बच्चे आने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में दोपहर 1 बजे तक करीब 40 से 50 बच्चे खाना खाने के लिए उनके घर पर रोजाना आते हैं। उनके आने के बाद उनकी पसंद अनुसार गर्मा गर्म किसी को कढ़ी चावल तो किसी को दाल चावल परोस देती हैं।
गरीब बच्चों के साथ उनकी मां भी अक्सर खाना खाने आती हैं। ऐसे में अगर उन्हें रोटी चाहिए तो वे खुद ही आटा लगाकर अपने लिए रोटियां सेंक लेती हैं। सभी बच्चे खाना खाने के बाद काफी देर तक उनके आंगन में खेलते रहते हैं।
बच्चों को पढ़ाती भी हैं कौर
अजीत कौर ने बताया कि वे बच्चों को कभी राम राम एक राम राम दो सुनाकर 100 तक की गिनती याद कराती हैं। इससे कम से कम बच्चे गिनती तो सीख जाते हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। ऐसे में अजीत से बन पड़ता है वो बच्चों को सीखाती रहती हैं।
सेवा से मिलती है असीम शांति
अजीत कौर का मानना है कि सेवा से असीम शांति मिलती है। साथ ही बच्चों के साथ उनका समय भी व्यतीत हो जाता है। उनका कहना है कि जब तक उनके हाथ पैर काम कर रहे हैं तब तक वह ऐसा करना जारी रखेंगी।
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अजीत अविवाहित हैं और वो अपना बाकी का जीवन बस गरीबों की सेवा में ही समर्पित रखना चाहती हैं। अजीत कौर ने बताया कि वह सुबह ही गरीब बच्चों के लिए दाल, कढ़ी व चावल बनाकर तैयार कर लेती हैं।
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सुबह 11 बजे से बच्चे आने शुरू हो जाते हैं। ऐसे में दोपहर 1 बजे तक करीब 40 से 50 बच्चे खाना खाने के लिए उनके घर पर रोजाना आते हैं। उनके आने के बाद उनकी पसंद अनुसार गर्मा गर्म किसी को कढ़ी चावल तो किसी को दाल चावल परोस देती हैं।
गरीब बच्चों के साथ उनकी मां भी अक्सर खाना खाने आती हैं। ऐसे में अगर उन्हें रोटी चाहिए तो वे खुद ही आटा लगाकर अपने लिए रोटियां सेंक लेती हैं। सभी बच्चे खाना खाने के बाद काफी देर तक उनके आंगन में खेलते रहते हैं।
बच्चों को पढ़ाती भी हैं कौर
अजीत कौर ने बताया कि वे बच्चों को कभी राम राम एक राम राम दो सुनाकर 100 तक की गिनती याद कराती हैं। इससे कम से कम बच्चे गिनती तो सीख जाते हैं। इनमें से अधिकतर बच्चे स्कूल नहीं जाते हैं। ऐसे में अजीत से बन पड़ता है वो बच्चों को सीखाती रहती हैं।
सेवा से मिलती है असीम शांति
अजीत कौर का मानना है कि सेवा से असीम शांति मिलती है। साथ ही बच्चों के साथ उनका समय भी व्यतीत हो जाता है। उनका कहना है कि जब तक उनके हाथ पैर काम कर रहे हैं तब तक वह ऐसा करना जारी रखेंगी।