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Cancer Saliva Test: लार से पता चलेगा कि ओरल कैंसर है या नहीं... बिना चीर-फाड़ हो सकेगी जांच; शोध से खुलासा

रोहित डागर, अमर उजाला, रोहतक Published by: शाहरुख खान Updated Fri, 12 Dec 2025 12:43 PM IST
सार

मुंह के कैंसर (ओरल कैंसर) का अब लार से पता चल सकेगा। ओरल कैंसर का अब शुरुआत में पता लगाया जा सकेगा। बिना चीर-फाड़ के जांच हो सकेगी।

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New Saliva Test Can Detect Oral Cancer Early, Study from Rohtak MDU Shows
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobe Stock
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मुंह के कैंसर (ओरल कैंसर) की जांच अब बिना चीर-फार के हो सकेगी। लार में होने वाले परिवर्तन से ही पता लग जाएगा कि व्यक्ति के मुंह में कैंसर है या नहीं। इससे शुरुआती चरण में ही बिना दर्द के मरीज का प्रभावी इलाज संभव हो सकेगा। 
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रोहतक के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर मेडिकल बायो टेक्नोलॉजी की टीम का यह शोध अध्ययन हाल ही में अंतरराष्ट्रीय जनरल साइटोकाइन (एल्सिवियर 2025) में प्रकाशित हुआ है।
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एमडीयू के सेंटर फॉर मेडिकल बायो टेक्नोलॉजी में सहायक प्राध्यापक डॉ. रश्मि भारद्वाज ने बताया कि तंबाकू का सेवन करने वालों में ओरल कैंसर का खतरा अधिक होता है लेकिन इसका समय रहते पता लगाना आमतौर पर दर्दनाक बायोप्सी या महंगी स्कैनिंग के जरिए ही संभव होता है। 

अब एक साधारण लार परीक्षण इस बीमारी का कहीं पहले पता लगाने में सक्षम हो सकता है। डॉ. रश्मि और उनकी टीम ने स्वस्थ व्यक्तियों, तंबाकू सेवन करने वालों में और ओरल कैंसर रोगियों के लार नमूनों की तुलना और जांच के बाद यह शोध प्रस्तुत किया है।

डॉ, रश्मि ने बताया कि ओरल कैंसर आधारित यह शोध मुंह की कोशिकाओं से छोड़े जाने वाले छोटे-छोटे कणों एक्सोसोम्स पर केंद्रित है जो लार में पाए जाते हैं। ये एक्सोसोम्स संदेशवाहक की तरह काम करते हैं। प्रोटीन व आनुवंशिक सामग्री जैसी महत्वपूर्ण जैविक जानकारी अपने साथ लिए रहते हैं जो शरीर की आंतरिक स्वास्थ्य स्थिति को उजागर कर सकती है। 
 

धूम्रपान करने वालों और ओरल कैंसर रोगियों के लार एक्सोसोम्स में स्वस्थ लोगों की तुलना में आकार में बड़ा और मात्रा अधिक होती है। इन एक्सोसोम्स में सूजन से जुड़े प्रमुख प्रोटीन मार्करों विशेष रूप से आईएल-6 और आईएल-8 के साथ कुछ विशिष्ट अमीनो एसिड्स के स्तर में भी बदलाव देखा गया है। 


 

एक्सोसोम्स देते हैं ओरल कैंसर की चेतावनी
एक्सोसोम्स ओरल कैंसर के शुरुआती चेतावनी संकेतों के रूप में काम कर सकते हैं। खोज खासकर तंबाकू सेवन जैसे उच्च जोखिम वाले समूहों के लिए एक सस्ती, तेज और गैर आक्रामक परीक्षण विधि विकसित करने की उम्मीद जगाती है। डॉ. रश्मि की टीम में प्रो. माला कम्बोज ओरल पैथोलॉजी विभाग पीजीआईडीएस और शोधार्थी अफ्सरीन बानो, रवीना वत्स, पूजा यादव भी शामिल हैं।

कुलपति ने शोध टीम को दी बधाई
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने इस उपलब्धि के लिए शोध टीम को बधाई दी और कहा कि यह कार्य समाज के प्रत्यक्ष लाभ के लिए वैज्ञानिक समाधान विकसित करने के प्रति एमडीयू की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
 

लार-आधारित परीक्षण बचा सकता है जीवन
डॉ. रश्मि ने बताया कि यह तरीका ओरल कैंसर की स्क्रीनिंग को बेहद आसान और सुलभ बना सकता है। शुरुआती पहचान सफल उपचार की कुंजी है और लार आधारित परीक्षण बीमारी के फैलने से पहले ही उसे पकड़कर कई जीवन बचा सकता है। उन्होंने कहा कि आगे के शोध के बाद ऐसे परीक्षण सामान्य डॉक्टरों और दंत चिकित्सकों की ओर से नियमित चेकअप के रूप में भी उपयोग किए जा सकते हैं। 

खासकर उन लोगों के लिए जो धूम्रपान या तंबाकू चबाते हैं। लार एकत्र करना एक सरल और सुरक्षित प्रक्रिया है। इसे अस्पतालों के बाहर भी कहीं भी किया जा सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में जहां उन्नत चिकित्सा सुविधाएं सीमित हैं। यह परीक्षण विशेष रूप से उपयोगी साबित हो सकता है।
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