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Yamuna Nagar News: एड्स से हर माह औसतन आठ लोग हो रहे संक्रमित
संवाद न्यूज एजेंसी, यमुना नगर
Updated Mon, 01 Dec 2025 12:48 AM IST
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संवाद न्यूज एजेंसी
यमुनानगर। नशा न केवल युवाओं का जीवन तबाह कर रहा है बल्कि उन्हें एड्स रोग की चपेट में भी ले रहा है। एड्स के जितने रोगी मिल रहे हैं उनमें 45 से 50 प्रतिशत युवा हैं। स्वास्थ्य विभाग की काउंसलिंग व केस हिस्ट्री में सामने आया है कि एक ही सुई व सिरिंज से कई युवा नशा कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच करवा कर उनका उपचार कराया जा रहा है।
अच्छी बात यह है कि पिछले कुछ सालों में लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता आई है। पहले जहां एचआईवी की जांच कराने से लोग डरते थे, अब जांच व उपचार के लिए खुद सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के एकीकृत परामर्श और परीक्षण केंद्र (आईसीटीसी) एक ऐसा केंद्र है जहां एचआईवी परामर्श और परीक्षण सेवाएं (एचसीटीएस) किसी व्यक्ति को प्रदान की जाती हैं। इस साल में अभी तक एड्स पॉजिटिव 125 केस मिल चुके हैं।
जिले में हर माह करीब 1800 लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं जिनमें से औसतन आठ लोग एड्स से संक्रमित मिल रहे हैं। वर्ष 2024 में जिले में एड्स पॉजिटिव 136 कसे व उससे पिछले साल 81 थे। जिला जेल जगाधरी में भी बंदी एचआईवी संक्रमित मिल रहे हैं। काउंसलिंग में पता चला कि एक ही सूईं से उन्होंने कई बार नशा किया। इसके अलावा एचआईवी संक्रमित छह महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। 18 माह तक उनके बच्चों को विभाग की निगरानी में रखा जाता है। सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
घर से दूरी भी एड्स की बड़ी वजह
एड्स रोगियों की संख्या बढ़ने का दूसरा कारण लोगों का काम के सिलसिले में अपने घर से दूर रहना भी है। जो लोग अपने घर से दूर रहते हैं वह अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिए दूसरी महिलाओं से संबंध बनाते हैं। ऐसे में कई बार असुरक्षित संबंध एचआईवी संक्रमण का कारण बन रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में ट्रक व बस चालक शामिल हैं।
एड्स के मामले में यमुनानगर हाई रिस्क जोन में है। भौगोलिक दृष्टि से यमुनानगर बड़ा औद्योगिक शहर है, जहां ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार से आए लोग यहां आकर मजदूरी करते हैं। जिले के इंडस्ट्रियल एरिया, शादीपुर, पुराना हमीदा, विजय कॉलोनी, जसवंत कॉलोनी, लेबर कॉलोनी, दामला, कैंप हॉट स्पॉट में हैं।
एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद यदि संक्रमित व्यक्ति समय रहते हमारे पास आ जाए तो दवाइयों से एड्स को हराया जा सकता है। यदि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सही है तो एड्स इंसान पर हावी नहीं होता। सरकार की तरफ से एड्स रोगियों को हर माह पेंशन भी दी जा रही है। एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूल, कॉलेजों व कॉलोनियों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। - डॉ. चारू कालरा, डिप्टी सिविल सर्जन एवं नोडल अधिकारी एड्स ।
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यमुनानगर। नशा न केवल युवाओं का जीवन तबाह कर रहा है बल्कि उन्हें एड्स रोग की चपेट में भी ले रहा है। एड्स के जितने रोगी मिल रहे हैं उनमें 45 से 50 प्रतिशत युवा हैं। स्वास्थ्य विभाग की काउंसलिंग व केस हिस्ट्री में सामने आया है कि एक ही सुई व सिरिंज से कई युवा नशा कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जांच करवा कर उनका उपचार कराया जा रहा है।
अच्छी बात यह है कि पिछले कुछ सालों में लोगों में एड्स के प्रति जागरूकता आई है। पहले जहां एचआईवी की जांच कराने से लोग डरते थे, अब जांच व उपचार के लिए खुद सामने आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के एकीकृत परामर्श और परीक्षण केंद्र (आईसीटीसी) एक ऐसा केंद्र है जहां एचआईवी परामर्श और परीक्षण सेवाएं (एचसीटीएस) किसी व्यक्ति को प्रदान की जाती हैं। इस साल में अभी तक एड्स पॉजिटिव 125 केस मिल चुके हैं।
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जिले में हर माह करीब 1800 लोगों के टेस्ट किए जा रहे हैं जिनमें से औसतन आठ लोग एड्स से संक्रमित मिल रहे हैं। वर्ष 2024 में जिले में एड्स पॉजिटिव 136 कसे व उससे पिछले साल 81 थे। जिला जेल जगाधरी में भी बंदी एचआईवी संक्रमित मिल रहे हैं। काउंसलिंग में पता चला कि एक ही सूईं से उन्होंने कई बार नशा किया। इसके अलावा एचआईवी संक्रमित छह महिलाओं ने बच्चों को जन्म दिया है। 18 माह तक उनके बच्चों को विभाग की निगरानी में रखा जाता है। सभी बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
घर से दूरी भी एड्स की बड़ी वजह
एड्स रोगियों की संख्या बढ़ने का दूसरा कारण लोगों का काम के सिलसिले में अपने घर से दूर रहना भी है। जो लोग अपने घर से दूर रहते हैं वह अपनी यौन इच्छाओं को पूरा करने के लिए दूसरी महिलाओं से संबंध बनाते हैं। ऐसे में कई बार असुरक्षित संबंध एचआईवी संक्रमण का कारण बन रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या में ट्रक व बस चालक शामिल हैं।
एड्स के मामले में यमुनानगर हाई रिस्क जोन में है। भौगोलिक दृष्टि से यमुनानगर बड़ा औद्योगिक शहर है, जहां ज्यादातर उत्तर प्रदेश और बिहार से आए लोग यहां आकर मजदूरी करते हैं। जिले के इंडस्ट्रियल एरिया, शादीपुर, पुराना हमीदा, विजय कॉलोनी, जसवंत कॉलोनी, लेबर कॉलोनी, दामला, कैंप हॉट स्पॉट में हैं।
एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद यदि संक्रमित व्यक्ति समय रहते हमारे पास आ जाए तो दवाइयों से एड्स को हराया जा सकता है। यदि शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता सही है तो एड्स इंसान पर हावी नहीं होता। सरकार की तरफ से एड्स रोगियों को हर माह पेंशन भी दी जा रही है। एड्स के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए स्कूल, कॉलेजों व कॉलोनियों में जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं। - डॉ. चारू कालरा, डिप्टी सिविल सर्जन एवं नोडल अधिकारी एड्स ।