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Bilaspur News: हाईकोर्ट ने गोबिंद सागर झील में मलबा डंप कर प्रदूषण फैलाने वालों को लगाई फटकार
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एक्सक्लूसिव
रेलवे का निर्माण कर रही कंपनी ने अभी तक नहीं भरा है पूरा जुर्माना
निजी होटल मालिक पर भी पर्यावरणीय नुकसान का जुर्माना न भरने पर सख्ती
कोर्ट ने मंडी उपायुक्त और डीएफओ सुंदरनगर को भी बनाया नया पक्षकार
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। गोबिंद सागर झील और उसके किनारों पर लगातार हो रहे अवैध मलबा डंपिंग के गंभीर मुद्दे पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पर्यावरण प्रदूषण फैलाने वालों पर कड़ी नाराजगी जताई। मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी संस्थान या व्यक्ति को राहत नहीं मिलेगी और जुर्माना समय पर जमा करना अनिवार्य है।
सुनवाई का केंद्रबिंदु वह बड़ा मुद्दा रहा, जिसमें हाईकोर्ट ने 18 सितंबर 2025 को रेलवे निर्माण कार्य करने वाली कंपनी पर पर्यावरणीय क्षति के लिए जुर्माना लगाया था। याचिकाकर्ता पक्ष ने अदालत को बताया कि कंपनी ने आज तक पूरा जुर्माना जमा नहीं किया। इसकी रिपोर्ट भी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों को दी है। अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए कहा कि कोर्ट के आदेशों को टालना किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं होगा। कंपनी की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि वे इस आदेश के खिलाफ पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव के समक्ष अपील दायर करने जा रहे हैं और इसी संबंध में अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करेंगे। कोर्ट ने इस वक्तव्य को दर्ज करते हुए कहा कि जुर्माना न भरने की स्थिति स्पष्ट रूप से बतानी होगी, तभी अगली सुनवाई में मामले पर आगे बढ़ा जाएगा।
वहीं, अवैध डंपिंग मामले में कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर गांव धराड़सानी के पास बने निजी होटल मालिक को भी पक्षकार बनाने की मांग याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने की। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि 20 नवंबर 2025 को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने होटल मालिक पर 1,00,000 रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया था। यह दंड झील में मलबा फेंकने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोपों की जांच के बाद लगाया गया था। हाईकोर्ट ने बोर्ड से सीधे पूछा कि क्या यह राशि वसूल की गई है? अगर नहीं, तो कार्रवाई में देरी क्यों? इस पर बोर्ड के वकील ने समय मांगा और बताया कि वसूली की स्थिति को पता कर अगली तारीख में विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाएगी। मलबा डंपिंग की शिकायतों में मंडी जिले के क्षेत्रों और वन भूमि के नुकसान का जिक्र सामने आने पर हाईकोर्ट ने उपायुक्त मंडी और डीएफओ सुंदरनगर दोनों को मामले में नए प्रतिवादी नंबर 13 और 14 के रूप में शामिल कर लिया।
इनसेट
सीआइएफआरआइ की विस्तृत वैज्ञानिक रिपोर्ट भी रिकॉर्ड पर
याची के अधिवक्ता ने कोर्ट में सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट कोलकाता की अंतिम रिपोर्ट, तहसीलदार श्री नयना देवी जी की रिपोर्ट और मलबा डंपिंग की ताजा तस्वीरें-वीडियो भी दाखिल किए, जिन्हें कोर्ट ने रिकॉर्ड पर लिया।
इनसेट
हाईकोर्ट का आदेश, सभी दस्तावेजों का अनुवाद दो सप्ताह में दें
सुनवाई के दौरान कुछ रिपोर्ट स्थानीय भाषा में होने की वजह से अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए कि सभी दस्तावेजों की अंग्रेजी/हिंदी में प्रमाणित प्रतियां दो सप्ताह में दाखिल की जाएं ताकि अदालत मामले की जांच में देरी न करे और सभी पक्षों को स्पष्ट रिकॉर्ड उपलब्ध हो। अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी।
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निजी होटल मालिक पर भी पर्यावरणीय नुकसान का जुर्माना न भरने पर सख्ती
कोर्ट ने मंडी उपायुक्त और डीएफओ सुंदरनगर को भी बनाया नया पक्षकार
संवाद न्यूज एजेंसी
बिलासपुर। गोबिंद सागर झील और उसके किनारों पर लगातार हो रहे अवैध मलबा डंपिंग के गंभीर मुद्दे पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पर्यावरण प्रदूषण फैलाने वालों पर कड़ी नाराजगी जताई। मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और न्यायमूर्ति जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने स्पष्ट कर दिया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले किसी भी संस्थान या व्यक्ति को राहत नहीं मिलेगी और जुर्माना समय पर जमा करना अनिवार्य है।
सुनवाई का केंद्रबिंदु वह बड़ा मुद्दा रहा, जिसमें हाईकोर्ट ने 18 सितंबर 2025 को रेलवे निर्माण कार्य करने वाली कंपनी पर पर्यावरणीय क्षति के लिए जुर्माना लगाया था। याचिकाकर्ता पक्ष ने अदालत को बताया कि कंपनी ने आज तक पूरा जुर्माना जमा नहीं किया। इसकी रिपोर्ट भी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारियों ने अपने उच्च अधिकारियों को दी है। अदालत ने इसे गंभीर मानते हुए कहा कि कोर्ट के आदेशों को टालना किसी भी सूरत में स्वीकार नहीं होगा। कंपनी की ओर से पेश अधिवक्ता ने बताया कि वे इस आदेश के खिलाफ पर्यावरण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन विभाग के सचिव के समक्ष अपील दायर करने जा रहे हैं और इसी संबंध में अतिरिक्त शपथपत्र दाखिल करेंगे। कोर्ट ने इस वक्तव्य को दर्ज करते हुए कहा कि जुर्माना न भरने की स्थिति स्पष्ट रूप से बतानी होगी, तभी अगली सुनवाई में मामले पर आगे बढ़ा जाएगा।
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वहीं, अवैध डंपिंग मामले में कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन पर गांव धराड़सानी के पास बने निजी होटल मालिक को भी पक्षकार बनाने की मांग याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने की। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों की जांच में सामने आया कि 20 नवंबर 2025 को प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने होटल मालिक पर 1,00,000 रुपये का पर्यावरणीय जुर्माना लगाया था। यह दंड झील में मलबा फेंकने और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के आरोपों की जांच के बाद लगाया गया था। हाईकोर्ट ने बोर्ड से सीधे पूछा कि क्या यह राशि वसूल की गई है? अगर नहीं, तो कार्रवाई में देरी क्यों? इस पर बोर्ड के वकील ने समय मांगा और बताया कि वसूली की स्थिति को पता कर अगली तारीख में विस्तृत रिपोर्ट पेश की जाएगी। मलबा डंपिंग की शिकायतों में मंडी जिले के क्षेत्रों और वन भूमि के नुकसान का जिक्र सामने आने पर हाईकोर्ट ने उपायुक्त मंडी और डीएफओ सुंदरनगर दोनों को मामले में नए प्रतिवादी नंबर 13 और 14 के रूप में शामिल कर लिया।
इनसेट
सीआइएफआरआइ की विस्तृत वैज्ञानिक रिपोर्ट भी रिकॉर्ड पर
याची के अधिवक्ता ने कोर्ट में सेंट्रल इनलैंड फिशरीज रिसर्च इंस्टीट्यूट कोलकाता की अंतिम रिपोर्ट, तहसीलदार श्री नयना देवी जी की रिपोर्ट और मलबा डंपिंग की ताजा तस्वीरें-वीडियो भी दाखिल किए, जिन्हें कोर्ट ने रिकॉर्ड पर लिया।
इनसेट
हाईकोर्ट का आदेश, सभी दस्तावेजों का अनुवाद दो सप्ताह में दें
सुनवाई के दौरान कुछ रिपोर्ट स्थानीय भाषा में होने की वजह से अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिए कि सभी दस्तावेजों की अंग्रेजी/हिंदी में प्रमाणित प्रतियां दो सप्ताह में दाखिल की जाएं ताकि अदालत मामले की जांच में देरी न करे और सभी पक्षों को स्पष्ट रिकॉर्ड उपलब्ध हो। अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी।