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Chamba News: फिक्र की फसल तैयार... गेहूं के लिए एक हफ्ते में बारिश की दरकार
संवाद न्यूज एजेंसी, चम्बा
Updated Thu, 18 Dec 2025 10:59 PM IST
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बारिश न होने पर पीली पड़ने लगी गेहूं की फसल:
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चंबा। आसमान की बेरुखी से चंबा जिले में धरती सूखती जा रही है। फसल की जगह किसानों-बागवानों की चिंता बढ़ने लगी है। हालात यह हैं कि एक हफ्ते में बारिश नहीं हुई तो मंगला, मैहला, सलूणी, तीसा, सिहुंता, समोट, चुराह, मंगलेरा, भलेई, साहो और सिल्लाघ्राट सहित अन्य क्षेत्रों में 20,500 हेक्टेयर भूमि पर बोई गई गेहूं की फसल प्रभावित होगी।
जानकारी के अनुसार जिले में लगभग 22,500 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई होती है। इस वर्ष मौसम की मार के चलते करीब 2250 हेक्टेयर भूमि पर बिजाई नहीं हो सकी है। कई स्थानों पर खेत सूखने लगे हैं और फसल पीली पड़नी शुरू हो गई है। हालांकि कृषि विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि एक हफ्ते में बारिश हो जाती है तो उत्पादन पर असर नहीं होगा। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. भूपेंद्र सिंह ने किसानों को सलाह दी है कि जिन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था है वे अपने खेतों को सींच दें। सब्जियों में भी सिंचाई कर दें।
एक हफ्ते में बारिश न होना किसानों के लिए बड़ा नुकसान है। कुछ क्षेत्रों में गेहूं की बिजाई बारिश न होने से रुकी पड़ी है। जिन किसानों ने फसल लगाई है, वहां सूखे के हालात बन रहे हैं। डॉ. भूपेंद्र सिंह, उपनिदेशक, कृषि
खेत सूख रहे हैं और गेहूं की फसल पीली पड़ रही है। हमारी रोजी-रोटी खेती पर निर्भर है। अगर फसल नहीं उगी तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। किशन पंडित, किसान
विभाग चंबा
बागवानी पर संकट, सेब के लिए चिलिंग आवर्स पूरे होना मुश्किल
ड्राई मौसम का सबसे अधिक असर सेब बागवानी पर दिख रहा है। चंबा, सलूणी, चुराह और भरमौर क्षेत्रों में सेब के बगीचों की वृद्धि प्रभावित हो रही है। सेब के लिए आवश्यक 1200 से 1600 चिलिंग आवर्स पूरे न होने का खतरा मंडरा रहा है। बागवानों द्वारा लाखों रुपये खर्च कर खरीदे गए सेब, कीवी और जापानी फल के नए पौधों को नमी के अभाव में रोपित नहीं किया जा पा रहा है, जिससे उनकी आर्थिक परेशानी बढ़ गई है। उद्यान विभाग चंबा के उपनिदेशक डॉ. प्रमोद शाह ने कहा कि इस समय बारिश बगीचों के काफी आवश्यक है। ऐसे में उन्होंने बागवानों को सलाह दी है कि जिन बागवानों ने एक या दो साल पहले पौधे लगाएं है। उन्हें पानी दें। बारिश होने से पहले, जिन्होंने नए पौधे लगाने है वे बगीचों में गड्ढे कर दें।
सेब के लिए अति आवश्यक चिलिंग आवर्स को बर्फबारी बेहद जरूरी है। नए पौधे लगाने के लिए भी बगीचों में नमी का होना जरूरी है। बागवानों को बारिश न होने से नुकसान हो रहा है। डॉ. प्रमोद शाह, उपनिदेशक, उद्यान विभाग चंबा
दिसंबर के चिलिंग आवर्स के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसकी प्रक्रिया नवंबर से शुरू हो जाती है। तीन माह से न बारिश हुई है और न ही बर्फबारी। राकेश कुमार, बागवान
इस माह बर्फबारी न होने पर आवश्यक चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हो पा रहे हैं, जिससे सेब के आकार और पैदावार पर असर पड़ेगा। भाग सिंह, बागवान
नए पौधों को लगाने और बगीचों की तैयारी में देरी हो रही है। बारिश न होने से बागवानों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। खेम राज, बागवान
बारिश न हुई तो पेयजल स्रोतों पर बढ़ेगा दबाव : जितेंद्र
फिलहाल जिले के पनिहारों और जलस्रोतों में कमी दर्ज नहीं की गई है, लेकिन यदि आगामी दिनों तक बारिश नहीं हुई तो जलस्रोतों पर दबाव बढ़ने की आशंका को देखते हुए जल शक्ति विभाग की भी चिंता बढ़ गई है। जल शक्ति विभाग के अधिशासी अभियंता जितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि वर्तमान में पेयजल को लेकर किसी प्रकार की कमी दर्ज नहीं की गई है। आगामी एक या दो माह तक बारिश नहीं होती है तो दिक्कतें जरूर बढ़ सकती हैं।
सूखी खांसी और बुखार के रोजाना 300 पीड़ित आ रहे
बच्चों को भी गर्म कपड़े पहनाएं, धूप निकलने के बाद ही करें सैर
सूखे मौसम के कारण आमजन की दिक्कतें भी बढ़ रही हैं। रोजाना मेडिकल कॉलेज चंबा में 200 से 300 मरीज सूखी खांसी, बुखार और सिरदर्द की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। बारिश न होने से श्वसन संबंधी बीमारियों में इजाफा दर्ज किया जा रहा है। उधर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जालम भारद्वाज ने बताया कि ड्राई सीजन में धूल-मिट्टी के कारण खांसी-जुकाम, बुखा और सिरदर्द का प्रकोप बढ़ जाता है। लोगों खासकर बच्चों को भी गर्म कपड़े पहनने चाहिए। लोगों को सुबह की सैर धूप खिलने पर ही करनी चाहिए। हो सके तो शाम की सैर करने से पूर्व गर्म कपड़े पहनकर निकलें और हाथों में ग्लव्ज पहने।
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जानकारी के अनुसार जिले में लगभग 22,500 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं की बिजाई होती है। इस वर्ष मौसम की मार के चलते करीब 2250 हेक्टेयर भूमि पर बिजाई नहीं हो सकी है। कई स्थानों पर खेत सूखने लगे हैं और फसल पीली पड़नी शुरू हो गई है। हालांकि कृषि विभाग के विशेषज्ञों का मानना है कि एक हफ्ते में बारिश हो जाती है तो उत्पादन पर असर नहीं होगा। कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. भूपेंद्र सिंह ने किसानों को सलाह दी है कि जिन क्षेत्रों में सिंचाई की व्यवस्था है वे अपने खेतों को सींच दें। सब्जियों में भी सिंचाई कर दें।
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एक हफ्ते में बारिश न होना किसानों के लिए बड़ा नुकसान है। कुछ क्षेत्रों में गेहूं की बिजाई बारिश न होने से रुकी पड़ी है। जिन किसानों ने फसल लगाई है, वहां सूखे के हालात बन रहे हैं। डॉ. भूपेंद्र सिंह, उपनिदेशक, कृषि
खेत सूख रहे हैं और गेहूं की फसल पीली पड़ रही है। हमारी रोजी-रोटी खेती पर निर्भर है। अगर फसल नहीं उगी तो बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा। किशन पंडित, किसान
विभाग चंबा
बागवानी पर संकट, सेब के लिए चिलिंग आवर्स पूरे होना मुश्किल
ड्राई मौसम का सबसे अधिक असर सेब बागवानी पर दिख रहा है। चंबा, सलूणी, चुराह और भरमौर क्षेत्रों में सेब के बगीचों की वृद्धि प्रभावित हो रही है। सेब के लिए आवश्यक 1200 से 1600 चिलिंग आवर्स पूरे न होने का खतरा मंडरा रहा है। बागवानों द्वारा लाखों रुपये खर्च कर खरीदे गए सेब, कीवी और जापानी फल के नए पौधों को नमी के अभाव में रोपित नहीं किया जा पा रहा है, जिससे उनकी आर्थिक परेशानी बढ़ गई है। उद्यान विभाग चंबा के उपनिदेशक डॉ. प्रमोद शाह ने कहा कि इस समय बारिश बगीचों के काफी आवश्यक है। ऐसे में उन्होंने बागवानों को सलाह दी है कि जिन बागवानों ने एक या दो साल पहले पौधे लगाएं है। उन्हें पानी दें। बारिश होने से पहले, जिन्होंने नए पौधे लगाने है वे बगीचों में गड्ढे कर दें।
सेब के लिए अति आवश्यक चिलिंग आवर्स को बर्फबारी बेहद जरूरी है। नए पौधे लगाने के लिए भी बगीचों में नमी का होना जरूरी है। बागवानों को बारिश न होने से नुकसान हो रहा है। डॉ. प्रमोद शाह, उपनिदेशक, उद्यान विभाग चंबा
दिसंबर के चिलिंग आवर्स के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसकी प्रक्रिया नवंबर से शुरू हो जाती है। तीन माह से न बारिश हुई है और न ही बर्फबारी। राकेश कुमार, बागवान
इस माह बर्फबारी न होने पर आवश्यक चिलिंग आवर्स पूरे नहीं हो पा रहे हैं, जिससे सेब के आकार और पैदावार पर असर पड़ेगा। भाग सिंह, बागवान
नए पौधों को लगाने और बगीचों की तैयारी में देरी हो रही है। बारिश न होने से बागवानों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा। खेम राज, बागवान
बारिश न हुई तो पेयजल स्रोतों पर बढ़ेगा दबाव : जितेंद्र
फिलहाल जिले के पनिहारों और जलस्रोतों में कमी दर्ज नहीं की गई है, लेकिन यदि आगामी दिनों तक बारिश नहीं हुई तो जलस्रोतों पर दबाव बढ़ने की आशंका को देखते हुए जल शक्ति विभाग की भी चिंता बढ़ गई है। जल शक्ति विभाग के अधिशासी अभियंता जितेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि वर्तमान में पेयजल को लेकर किसी प्रकार की कमी दर्ज नहीं की गई है। आगामी एक या दो माह तक बारिश नहीं होती है तो दिक्कतें जरूर बढ़ सकती हैं।
सूखी खांसी और बुखार के रोजाना 300 पीड़ित आ रहे
बच्चों को भी गर्म कपड़े पहनाएं, धूप निकलने के बाद ही करें सैर
सूखे मौसम के कारण आमजन की दिक्कतें भी बढ़ रही हैं। रोजाना मेडिकल कॉलेज चंबा में 200 से 300 मरीज सूखी खांसी, बुखार और सिरदर्द की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं। बारिश न होने से श्वसन संबंधी बीमारियों में इजाफा दर्ज किया जा रहा है। उधर, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जालम भारद्वाज ने बताया कि ड्राई सीजन में धूल-मिट्टी के कारण खांसी-जुकाम, बुखा और सिरदर्द का प्रकोप बढ़ जाता है। लोगों खासकर बच्चों को भी गर्म कपड़े पहनने चाहिए। लोगों को सुबह की सैर धूप खिलने पर ही करनी चाहिए। हो सके तो शाम की सैर करने से पूर्व गर्म कपड़े पहनकर निकलें और हाथों में ग्लव्ज पहने।