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सीबीएसई स्कूलों के लिए स्थायी शिक्षक नियुक्त करे सरकार : संघ
संवाद न्यूज एजेंसी, हमीरपुर (हि. प्र.)
Updated Mon, 22 Dec 2025 01:50 AM IST
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हमीरपुर। राजकीय टीजीटी कला संघ ने सीबीएसई से संबद्ध किए जा रहे स्कूलों में शिक्षक चयन के लिए अस्थायी शिक्षकों की बजाय स्थायी भर्ती करने की मांग की है। प्रदेश में पहले से ही नियमित, प्रशिक्षित और अनुभवी शिक्षक पर्याप्त संख्या में उपलब्ध हैं।
जब स्थायी कैडर के शिक्षक मौजूद हैं, तो अस्थायी भर्ती अनावश्यक है। शिक्षा विभाग योग्यता और अनुभव संबंधी मापदंड तय करें और जरूरी प्रक्रियाएं पूर्ण करें। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए मौजूदा शिक्षकों से भी आवेदन आमंत्रित किए जाएं।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय बरवाल, महासचिव विजय हीर, महिला विंग अध्यक्ष रीता बल्यानी ने कहा कि अप्रैल से स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए नियुक्ति या प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया मार्च माह तक पूर्ण की जाए और मौजूदा स्टाफ को भी इसके लिए उचित अवसर दिया जाए।
इस चयन या प्रतिनियुक्ति में अगर ज्यादा विलंब किया तो इसकी हालत भी बीआरसीसी भर्ती जैसी हो जाएगी, जो दो वर्षों में भी पूर्ण नहीं हो सकी है। शिक्षकों का अलग सीबीएसई कैडर बनाने की योजना देश के किसी भी राज्य में लागू नहीं है। उन्होंने कहा कि महज बोर्ड बदलने से शिक्षा की गुणवत्ता अपने-आप नहीं बढ़ती, बल्कि इसके लिए सुदृढ़ योजना, पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षित शिक्षक और स्थायी भर्ती व्यवस्था आवश्यक है।
एनसीईआरटी और सीबीएसई के पाठ्यक्रम में मूलभूत अंतर नहीं है। अंतर मुख्यतः परीक्षा-पद्धति और मूल्यांकन के स्तर पर है। परीक्षा परिणाम बेहतर देना यहां भी जटिल होगा।
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जब स्थायी कैडर के शिक्षक मौजूद हैं, तो अस्थायी भर्ती अनावश्यक है। शिक्षा विभाग योग्यता और अनुभव संबंधी मापदंड तय करें और जरूरी प्रक्रियाएं पूर्ण करें। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए मौजूदा शिक्षकों से भी आवेदन आमंत्रित किए जाएं।
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संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेश कौशल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष विजय बरवाल, महासचिव विजय हीर, महिला विंग अध्यक्ष रीता बल्यानी ने कहा कि अप्रैल से स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम पढ़ाने के लिए नियुक्ति या प्रतिनियुक्ति प्रक्रिया मार्च माह तक पूर्ण की जाए और मौजूदा स्टाफ को भी इसके लिए उचित अवसर दिया जाए।
इस चयन या प्रतिनियुक्ति में अगर ज्यादा विलंब किया तो इसकी हालत भी बीआरसीसी भर्ती जैसी हो जाएगी, जो दो वर्षों में भी पूर्ण नहीं हो सकी है। शिक्षकों का अलग सीबीएसई कैडर बनाने की योजना देश के किसी भी राज्य में लागू नहीं है। उन्होंने कहा कि महज बोर्ड बदलने से शिक्षा की गुणवत्ता अपने-आप नहीं बढ़ती, बल्कि इसके लिए सुदृढ़ योजना, पर्याप्त संसाधन, प्रशिक्षित शिक्षक और स्थायी भर्ती व्यवस्था आवश्यक है।
एनसीईआरटी और सीबीएसई के पाठ्यक्रम में मूलभूत अंतर नहीं है। अंतर मुख्यतः परीक्षा-पद्धति और मूल्यांकन के स्तर पर है। परीक्षा परिणाम बेहतर देना यहां भी जटिल होगा।