J&K में बढ़ेंगे भाजपा के 25 लाख वोटर: ये महबूबा का डर है या भड़काने का तरीका, पढ़ें- नया नियम है या समझ का फेर
जम्मू-कश्मीर में नई मतदाता सूची को लेकर सियासी गलियारों में घमासान मचा है। मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा दी गई जानकारी के बाद पीडीपी(जम्मू कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी) और नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) केंद्र सरकार पर हमलवार है। दोनों दल इसे सरकार की साजिश करार दे रहे हैं।

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मुख्य चुनाव अधिकारी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने मतदाता सूची को लेकर बुधवार को एक प्रेस वार्ता की थी। जिसमें उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में मतदाता बनने के लिए डोमिसाइल होना जरूरी नहीं है। यह जानकारी आने के बाद जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती भड़क उठीं। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कहा कि पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भाजपा के लिए प्रयोगशाला बन चुका है। राज्य में बाहर से भाजपा के 25 लाख मतदाता लाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह चुनावी लोकतंत्र के कफन में अंतिम कील है।

उधर, नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता तनवीर सादिक ने कहा कि दूसरे राज्यों के लोग बस आ सकते हैं। पंजीकरण करा सकते हैं। वोट कर सकते हैं और फिर अपने राज्यों में वापस जा सकते हैं। राज्य के लोगों को इस तरह से वंचित किया जाएगा। लोगों को कई आशंकाएं हैं। अब हम आपको मुख्य चुनाव अधिकारी द्वारा दी गई अहम जानकारी के जरिए ही बताते हैं कि क्या ये जम्मू-कश्मीर में पहली बार हो रहा है या पूरे देश में पहले से ऐसा नियम है...
मुख्य चुनाव अधिकारी जम्मू-कश्मीर और लद्दाख ने खुद का उदाहरण देते हुए कहा कि वह उत्तर प्रदेश से हैं, अगर वह जम्मू-कश्मीर का मतदाता बनना चाहें तो बन सकते हैं। उन्होंने कहा, अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद मतदाता बनने के लिए भारतीय चुनाव आयोग की निर्देशावली जोकि देश के अन्य हिस्सो में लागू है, वह जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो चुकी है।
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के तहत मतदाताओं की संख्या में 20 से 25 लाख की बढ़ोतरी संभव है। प्रदेश के मुख्य चुनाव अधिकारी हिरदेश कुमार सिंह के दावे के अनुसार मतदाताओं की संख्या वर्तमान में 76 लाख से बढ़कर एक करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। चुनाव विभाग की तरफ से इस सिलसिले में मतदाता सूचियों में विशेष सारांश संशोधन का काम 15 सितंबर से शुरू होगा।
विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है
निर्वाचन भवन जम्मू में बुधवार को पत्रकार वार्ता में सिंह ने कहा, जम्मू-कश्मीर में पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 की समाप्ति और फिर राज्य का पुनर्गठन कर दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने और परिसीमन आयोग के कार्य के चलते मतदाता सूचियों का विशेष सारांश संशोधन का काम नहीं हो पाया। करीब चार साल के बाद मतदाता सूचियों में विशेष सारांश संशोधन करने की मंजूरी चुनाव आयोग की तरफ से दी गई है। ऐसे में बड़ी संख्या में नए मतदाता बनेंगे। परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 83 से बढ़कर 90 हो गई है और लगभग हर विधानसभा क्षेत्र में कुछ न कुछ बदलाव हुआ है।
पहली बार आधार लिंक करने का काम भी होगा
ऐसे में चुनाव विभाग ने विशेष सारांश संशोधन को शुरू करने से पहले की तैयारियां लगभग पूरी कर ली हैं। प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र स्तर पर चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति का काम भी पूरा कर लिया गया है। उन्होंने कहा, विशेष सारांश संशोधन में बूथ स्तर के अधिकारी घर घर जाकर मतदाता सूचियों को तैयार करने का काम करेंगे। उन्होंने कहा, चुनाव आयोग के दिशा निर्देशों के तहत मतदाता सूचियों के साथ पहली बार आधार लिंक करने का काम भी होगा और नए वोटर कार्ड भी मतदाताओं को दिए जाएंगे।
15 से 25 सितंबर तक आपत्तियां व दावे दर्ज किए जाएंगे
उन्होंने कहा, जम्मू कश्मीर में देश के अन्य हिस्सों से नौकरी कर रहे कर्मचारी भी यहां मतदाता सूचियों में सर्विस वोटर के तहत अपना नाम दर्ज करवा सकते हैं। उन्होंने कहा, 15 सितंबर को समग्र मतदाता सूचियों का मसौदा प्रकाशन होगा। 15 से 25 सितंबर तक आपत्तियां व दावे दर्ज किए जाएंगे। दस नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निराकरण किया जाएगा और 25 नवंबर 2022 को नई मतदाता सूचियों का अंतिम प्रकाशन हो जाएगा।
मुख्य चुनाव अधिकारी हिरदेश कुमार सिंह ने साल के अंत तक जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव के सवाल पर कहा, यह मेरे क्षेत्राधिकार से बाहर है। उन्होंने कहा चुनाव आयोग प्रदेश में विधानसभा चुनाव कब करवाने हैं, इस पर हितधारकों से बातचीत कर फैसला लेगा। मुख्य चुनाव अधिकारी ने कहा कि परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर मतदान केंद्रों की निशानदेही का काम पूरा कर लिया गया है। प्रदेश भर में 600 मतदान केंद्र बढ़े हैं। अब कुल मतदान केंद्रों की संख्या 11370 हो गई है।
बता दें कि मताधिकार को संविधान के अनुच्छेद-326 में परिभाषित किया गया है। जिसके तहत सभी नागरिक जो 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के हैं, जाति या शिक्षा, धर्म, रंग, प्रजाति और आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद वोट देने के लिए स्वतंत्र हैं।