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UP News: अनुभवी चालक चला रहे वीआईपी की कार, नौसिखिये हाथों में बसों की कमान;  हादसों को देते अंजाम

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Sun, 14 Sep 2025 01:36 PM IST
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सार

परिवहन निगम के अनुभवी चालक वीआईपी की कार चला रहे हैं। वहीं नौसिखिये हाथों में बसों की कमान सौंपी गई है। ये लापरवाही से चलाते हुए हादसों को अंजाम दे रहे हैं। आगे पढ़ें पूरी खबर...

experienced drivers drive VIP cars while novices drive roadways buses causing accidents due to carelessness
नौसिखिये हाथों में रोडवेज बसों की कमान। (सांकेतिक) - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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उत्तर प्रदेश में परिवहन निगम के नियमित व अनुभवी चालक बसों की कमान संभालने के बजाय मुख्यालय में ड्यूटी कर रहे हैं। ये लोग वीआईपी अफसरों की कार व इंटरसेप्टर चला रहे हैं। जबकि, बसों की स्टीयरिंग नौसिखिये संविदा ड्राइवरों के हाथों में है। ये बसों को लापरवाही से चलाकर हादसों को अंजाम दे रहे हैं।

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हरदोई से लखनऊ आ रही रोडवेज बस बृहस्पतिवार को काकोरी में हादसे का शिकार हो गई थी। परिवहन आयुक्त बीएन सिंह के निर्देश पर उपपरिवहन आयुक्त राधेश्याम की अध्यक्षता में गठित टीम ने जांच में पाया कि संविदा चालक बस को तय से ज्यादा रफ्तार में चला रहा था, जिससे हादसा हुआ। इस लापरवाही पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

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बसों की जिम्मेदारी संविदा चालकों को दे दी गई

हादसे के बाद संविदा चालकों की कार्यशैली व नियमित बस चालकों के कामकाज के तरीकों को लेकर परिवहन निगम मुख्यालय में चर्चा तेज है। इसमें सामने आया कि अनुभवी बस चालक मुख्यालय में ड्यूटी फरमा रहे हैं। प्रवर्तन टीम के वाहनों की कमान इन्हें सौंपकर रोडवेज बसों की जिम्मेदारी संविदा चालकों को दे दी गई है।

अधिकारियों का कहना है कि नियमित चालक बसों को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाने में पूरी सतर्कता बरतते हैं। उधर, संविदा चालक बसें चलाने में लापरवाही करते हैं। इसका एक कारण कम वेतन भी है। पुराने संविदा चालकों को 18000 रुपये तक मिल जाते हैं, लेकिन नए संविदा चालक 15 हजार रुपये तक ही कमा पाते हैं। इनका वेतन बढ़ाने की मांग भी उठती रही है।

एक हजार से अधिक बसों का बेड़ा

परिवहन निगम के लखनऊ परिक्षेत्र में एक हजार से अधिक बसों का बेड़ा है। अधिकारी बताते हैं कि यहां कैसरबाग, उपनगरीय, हैदरगढ़, रायबरेली, अवध व चारबाग डिपो हैं। इन डिपो में करीब 800 नियमित व 1500 के आसपास संविदा चालक हैं। सूत्र बताते हैं कि जो नियमित बस चालक शारीरिक रूप से अक्षम हो गए हैं व जिनकी आंखों की रोशनी कम हो गई है, उन्हें मुख्यालय में ड्यूटी दी गई है। ये चौकीदारी, डीजल भरने जैसे काम कर रहे हैं। ऐसे ड्राइवरों की संख्या 250 से अधिक है। इस कारण नियमित बस चालकों की संख्या कम हो गई है।

संविदा पर भर्ती से पहले होता है टेस्ट

रोडवेज के अधिकारी बताते हैं कि संविदा चालकों की भर्ती प्रक्रिया पुख्ता है। उनके पास भारी वाहन चलाने का तीन वर्ष पुराना लाइसेंस होना अनिवार्य है। भर्ती के दौरान डिपो में वाहन चलवाकर देखा जाता है। साथ ही प्रशिक्षण दिया जाता है। सात दिन तक बसों में ड्यूटी दी जाती है, ताकि यात्रियों से व्यवहार और बस संचालन की बारीकियां समझ सकें। फिर उन्हें कानपुर स्थित वर्कशॉप भेजा जाता है, जहां दो दिन का टेस्ट होता है। समय-समय पर इनकी काउंसिलिंग व मेडिकल जांच भी कराई जाती है।

दर्ज किया जा चुका है मुकदमा

काकोरी बस हादसे में रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक को मुकदमा दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। शनिवार को अफसर थाने पहुंचे तो एसओ ने बताया कि पहले ही मुकदमा दर्ज हो चुका है। एक प्रकरण में दो एफआईआर नहीं की जा सकती।

रोडवेज के क्षेत्रीय प्रबंधक आरके त्रिपाठी ने बताया कि संविदा चालक भी गंभीरता से बसें चलाते हैं। उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। कई नियमित चालक मुख्यालय में वीआईपी कार, प्रवर्तन दल की गाड़ियां चला रहे हैं।

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