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UP: राहुल गांधी की सांसदी को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट ने की खारिज, कहा- सजा पर 2023 में ही लग चुकी रोक

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Fri, 05 Dec 2025 02:40 PM IST
सार

राहुल गांधी की सांसदी को चुनौती देने वाली याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कहा कि सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में ही रोक लगा दी थी। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।

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High Court dismisses petition challenging Rahul Gandhi membership of Parliament
लखनऊ हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला।
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यूपी में हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को लोकसभा चुनाव से अयोग्य करार देने के आग्रह वाली याचिका बृहस्पतिवार को खारिज कर दी। न्यायमूर्ति शेखर बी सराफ और न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला की खंडपीठ ने यह फैसला स्थानीय अधिवक्ता अशोक पांडेय की याचिका पर दिया।

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याची ने इस आधार पर राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म करने का आग्रह किया था कि गुजरात की एक अदालत से मानहानि के केस में उन्हें सजा सुनाई गई थी, इसलिए वह सांसद के रूप में अयोग्य थे। कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी की सजा पर सुप्रीम कोर्ट ने 2023 में ही रोक लगा दी थी। ऐसे में राहुल की अयोग्यता अमल में नहीं है। ऐसे में याचिका खारिज की जाती है।

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तहसीलों में लंबित मुकदमों में देरी पर पीठासीन अधिकारी होंगे जिम्मेदार

हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एक अहम आदेश में कहा कि तहसीलों में लंबित मुकदमों की सुनवाई में यदि देरी होती है। इसका कोई ठोस कारण नहीं है तो संबंधित पीठासीन अधिकारी जिम्मेदार होंगे। इसे 2023 में दयाशंकर मामले में दिए गए निर्णय की अवमानना मानते हुए उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा कि यदि मुकदमे की सुनवाई में देरी संबंधित तहसील के बार एसोसिएशन के हड़ताल के कारण होती है तो बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों के विरुद्ध अवमानना का मुकदमा चल सकता है। कोर्ट ने अपने आदेश की कॉपी राजस्व परिषद के अध्यक्ष को भेजने का निर्देश देते हुए कहा है कि यह आदेश सभी तहसीलों के राजस्व अधिकारियों को भेजा जाए तथा वहां के नोटिस बोर्ड पर चस्पा किया जाए।

न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल की एकल पीठ ने यह आदेश परशुराम व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याचिका में बलरामपुर जनपद के उतरौला तहसील में लंबित राजस्व संबंधी मुकदमे की जल्द सुनवाई करने का आदेश देने का आग्रह किया गया था। 

बार एसोसिएशन बार-बार कर रहा हड़ताल

कोर्ट ने पाया कि मुकदमे की सुनवाई में देरी का बड़ा कारण तहसील के बार एसोसिएशन द्वारा बार-बार की जा रही हड़ताल है। कोर्ट ने कहा कि 2023 में ही दयाशंकर मामले में हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया था कि राजस्व संहिता में जिन मुकदमों के निपटारे के लिए जितनी अवधि दी गई है, उतनी अवधि में निपटारा हो जाना चाहिए।

उदाहरण के लिए नामांतरण संबंधी वाद में यदि नामांतरण के विरुद्ध आपत्ति आई है तो इसका निपटारा प्रावधान के मुताबिक 90 दिन में होना चाहिए और यदि आपत्ति नहीं है तो 45 दिन में। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार अलग-अलग प्रकृति के मुकदमों के लिए अलग-अलग समय सीमा राजस्व संहिता में निर्धारित की गई है।
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