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नौकरियों में फर्जीवाड़ा: पहली पोस्टिंग जुगाड़ से...फिर ट्रांसफर मिलते ही पकड़ना हो जाता मुश्किल, पढ़ें रिपोर्ट
चंद्रभान यादव, अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ
Published by: भूपेन्द्र सिंह
Updated Sun, 14 Sep 2025 08:38 AM IST
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सार
यूपी में नौकरियों में फर्जीवाड़े मामले में एक और हैरान करने वाला खुलासा हुआ है। फर्जीवाड़ा करने वाले आरोपी पहली पोस्टिंग जुगाड़ से वहीं करा लेते हैं, जहां सुविधा होती है। इसके बाद पहला ट्रांसफर मिलते ही इन्हें पकड़ना मुश्किल हो जाता है। क्योंकि, दूसरी जगह जाने पर दस्तावेज नहीं सिर्फ ट्रांसफर लेटर चेक होता है। फर्जी दस्तावेजों से नौकरी हासिल करने का ये सारा खेल विभागीय मिलीभगत से चलता है। पढ़ें ये विशेष रिपोर्ट..

नौकरी (Demo Pic)
- फोटो : freepik
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विस्तार
उत्तर प्रदेश में एक्सरे टेक्नीशियन ही नहीं दूसरे पदों पर भी एक तबादले के बाद फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने वालों को पकड़ना मुश्किल होता है। यही वजह है कि ऐसे लोगों को पहली नियुक्ति वहीं दी जाती है, जहां जुगाड़ हो। इसके बाद दूसरे जिले में तबादला करा दिया जाता है।

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कई जिलों में मुख्य चिकित्साधिकारी रह चुके स्वास्थ्य विभाग के निदेशक बताते हैं कि उन्होंने अपने कार्यकाल में तबादला कराकर आए लोगों की गोपनीय तरीके से जांच कराई तो कई इस तरह के केस मिले थे, जो फर्जी दस्तावेज पर नौकरी करते मिले। वह बताते हैं कि ऐसे लोग पहली बार उसी जिले में कार्यभार ग्रहण करते हैं, जहां रैकेट से जुड़ा लिपिक अथवा चिकित्साधिकारी कार्यरत होता है। वे आसानी से सर्विस बुक सहित अन्य पत्रावली भी तैयार करा लेते हैं।
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ट्रांसफर के बाद आमतौर पर दस्तावेज नहीं देखे जाते
करीब छह माह से सालभर के अंदर वे तबादला कराकर दूसरे जिले में चले जाते हैं, जहां उनकी नियुक्ति की प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेज आमतौर पर देखे नहीं जाते हैं। चिकित्साधिकारी के तर्क के आधार पर 2008 में हुई एक्सरे टेक्नीशियन भर्ती के मामले को जोड़ा जाए तो उनकी बात की पुष्टि भी होती है।मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज आंकड़े के मुताबिक 2008 में 79 की जगह 140 लोगों ने नौकरी हासिल की है। इसमें 61 अतिरिक्त हैं। इनके सर्विस रिकॉर्ड को देखा जाए तो ज्यादातर ने दो साल के अंदर तबादले ले लिए हैं। जिसने पहले बलिया में कार्यभार ग्रहण किया था वह बांदा में कार्यरत है और जिसने आगरा में कार्यभार ग्रहण किया था वह अब वाराणसी या चंदौली में सेवाएं दे रहा है। खास बात यह है कि इन सभी के नियुक्ति पत्र हाथ से लिख कर जारी किए गए हैं।
...तो कानपुर मंडल से जुड़े रैकेट के तार
चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज फैक्ट शीट (पी2) के रिकॉर्ड के मुताबिक 2008 में फर्जीवाड़ा के जरिए नौकरी हासिल करने वाले रैकेट के तार किसी न किसी रूप में कानपुर मंडल से जुड़े हैं। इसमें फर्रुखाबाद से ज्यादा नजदीकी दिख रही है।2016 में भी इसी रैकेट के सक्रिय रहने की आशंका है। क्योंकि फर्रुखाबाद में जिस एक्सरे टेक्नीशियन को नौकरी दी गई है, उसका गृह क्षेत्र आगरा था, लेकिन जांच में वह एटा का निकला। 2008 की भर्ती में मानव संपदा पोर्टल पर दर्ज तथ्यों के आधार पर 61 एक्सरे टेक्नीशियन का गृह क्षेत्र देखा जाए तो फर्रुखाबाद के सर्वाधिक 19 दिखाए गए हैं।
इसी तरह एटा के 16, मैनपुरी के छह, कन्नौज के चार, वाराणसी के तीन, कासगंज, मेरठ के दो-दो, प्रयागराज, औरैया, झांसी, अंबेडकर नगर, शामली, मुरादाबाद, बाराबंकी, बिजनौर, बलिया के एक-एक निवासी बताए गए हैं। ये वास्तविक रूप में किस जिले के हैं, यह जांच का विषय है। क्योंकि फर्जीवाड़ा करने वाले अपना गृह क्षेत्र भी बदलते रहे हैं।