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Ratan Tata: मुझे कोई खतरा नहीं...ये कहकर रतन टाटा ने हटवा दी एसपीजी सुरक्षा, पढ़ें - एक रोचक वाक्या

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: पंकज श्रीवास्‍तव Updated Fri, 11 Oct 2024 01:37 AM IST
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सार

रतन टाटा ने कहा कि मैं अपनी टीम को तुरंत लगाऊंगा कि बीएमडब्ल्यू को स्टडी करें, उनके फीचर्स को सफारी में शामिल करें और आगे बढ़ें। उत्कृष्टता की यात्रा निरंतरता की है। यूपी सरकार के मंत्री असीम अरुण ने रतन टाटा से जुड़ा एक रोचक वाक्या सुनाया: 

See when Ratan Tata refused to take security.
रतन टाटा (फाइल) - फोटो : पीटीआई

विस्तार
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यूपी सरकार में मंत्री असीम अरुण ने रतन टाटा से जुड़ा एक वाक्या सुनाते हुए कहा कि यह बात वर्ष 2007-2008 की है, जब मैं एसपीजी में प्रधानमंत्री की सुरक्षा में तैनात था। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) का ध्येय वाक्य है, जीरो एरर। एसपीजी में इसके लिए हमेशा विचार चलता रहता है। इसी क्रम में हुए लेक्चर में रतन टाटा को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था।

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उस समय उन्हें आयोजन स्थल पर लाने की जिम्मेदारी मुझे मिली थी। निश्चित समय पर मैं उन्हें एस्कॉर्ट करने के लिए ताज मानसिंह होटल नई दिल्ली पहुंच गया। पता चला कि रतन टाटा जब भी दिल्ली में होते हैं तो यहीं रुकते हैं। वह भी प्रेसिडेंशियल सुइट में नहीं, बल्कि एक सामान्य कमरे में। उनको लेकर जब हम निकलने लगे तो उन्होंने मुझे अपनी गाड़ी में ही बिठा लिया। करीब 50 साल पुरानी मर्सिडीज और सिर्फ ड्राइवर। मैंने पूछा, सर..आपके साथ कोई सुरक्षा क्यों नहीं है तो सहजता से बोले मुझे भला किससे खतरा हो सकता है? मैंने फिर पूछा कि सर कोई सहयोगी चाहिए जो आपके फोन संभालने जैसे काम करे तो बोले मुझे कभी ऐसी जरूरत ही नहीं महसूस हुई। रास्ता दिखाने के लिए उनकी गाड़ी के आगे एक एसपीजी की टाटा सफारी मैंने लगा रखी थी। जब उनका ध्यान इस पर गया तो वे असहज हो गए और बोले इसे हटवा दीजिए। जब तक यह वाहन हटाया नहीं गया तब तक उन्हें चैन नहीं आया।
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सरलता और समझदारी की गजब क्षमता
उन्होंने बताया कि लेक्चर समाप्त हुआ तो टाटा अपनी 50 साल पुरानी मर्सिडीज में बैठे तो मैंने पूछा कि सर, क्या आपके साथ एयरपोर्ट तक चलूं। जवाब मिला, यदि आपके पास कोई और काम नहीं है तो चलिए। एक घंटे मैं उनके साथ रहा, हर तरह के सवाल पूछे। उनके जवाबों में गजब की सरलता थी और मुद्दों को समझने और हल करने की क्षमता। मैंने उनसे पूछा, एक्सीलेंस यानी उत्कृष्टता विकसित करने का क्या फॉर्मूला है? तो वे बोले, आपकी कंपनी या विभाग जो काम करता है उसे प्रक्रिया के छोटे-छोटे हिस्सों में बांटें। हर अंश को पक्का करें और क्वालिटी कंट्रोल का सशक्त सिस्टम बनाएं। अंतिम परिणाम तभी मुकम्मल होगा जब उसको फीड करने वाले अंग भी परफेक्ट होंगे।



बाजार में टिकने के लिए प्रतिस्पर्धा जरूरी
असीम अरुण बताते हैं कि टाटा मोटर्स ने एसपीजी के लिए खास बुलेटप्रूफ कार और एस्कॉर्ट कार तैयार की थीं। अनुसंधान पर बहुत खर्च भी किया था, लेकिन एसपीजी ने बीएमडब्ल्यू खरीदना शुरू कर दिया। मैंने पूछा, सर आपको इससे निराशा होगी? बोले, नहीं मुझे बिल्कुल निराशा नहीं होगी। अगर टाटा मोटर्स को बाजार में रहना है तो प्रतिस्पर्धा करनी ही होगी। एसपीजी तो सर्वश्रेष्ठ कार ही लेगी। मुझे अपनी सफारी को सर्वश्रेष्ठ बनाना होगा। मैं अपनी टीम को तुरंत लगाऊंगा कि बीएमडब्ल्यू को स्टडी करें, उनके फीचर्स को सफारी में शामिल करें और आगे बढ़ें। उत्कृष्टता की यात्रा निरंतरता की है। इतने महान व्यक्ति का सानिध्य मिलना बड़ा सौभाग्य था। यह सौभाग्य और बढ़ गया जब कुछ दिन बाद उनका यह धन्यवाद पत्र मुझे मिला। जिसे संजो कर मैंने रखा है और हमेशा रखूंगा, पत्र भी और उनकी सीख भी।
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