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यूपी: अनुदानित मदरसों पर कसा शिंकजा, उपस्थिति प्रमाण पत्र के बाद ही मिलेगा वेतन; शमशुल हुदा केस के बाद फैसला

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: रोहित मिश्र Updated Mon, 17 Nov 2025 08:36 AM IST
सार

Aided madrasas: यूपी के अनुदानित मदरसों पर शासन ने शिकंजा कस दिया है। अब प्रबंधन से हर माह उपस्थिति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी होगा।

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UP: Aided madrasas tightened, salaries will be paid only after attendance certificates, decision after Shamsul
मदरसा स्कूल के बच्चे - फोटो : अमर उजाला
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 प्रदेश में मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से जांच होगी। अनुदानित मदरसों में प्रबंधन से हर माह उपस्थिति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी होगा। ब्रिटेन में जा बसे संदिग्ध मदरसा शिक्षक शमशुल हुदा का मामला सामने आने पर शासन ने चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।

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उत्तर प्रदेश में 561 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं। इनमें कुल 231806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कुल संख्या क्रमशः 9889 और 8367 है। हाल ही में एटीएस की जांच में मदरसा शिक्षक शमशुल के संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन सामने आए हैं।
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शमशुल 12 जुलाई 1984 को मदरसा दारूल उलूम अहले, सुन्नत मदरसा अशरफिया मुबारकपुर (आजमगढ़) में सहायक अध्यापक आलिया के पद पर नियुक्त हुआ था। 2007 से वह ब्रिटेन में रह रहा था और 19 दिसंबर 2013 को उसने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 2007 से 2017 तक बिना उसकी सेवा पुस्तिका की जांच किए प्रति वर्ष वेतन वृद्धि की गई। इतना ही नहीं 1 अगस्त 2017 से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान करते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई।

एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में कई अधिकारी फंस गए हैं। साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ऐसी स्थिति दुबारा उत्पन्न न होने देने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। एक-एक शिक्षक की हाजिरी सत्यापित होगी, उसके बाद ही भुगतान होगा। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मदरसों का औचक मुआयना करके भी देखेंगे कि जिन शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है, वे नियमित मदरसों में आ भी रहे हैं या नहीं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि शिक्षकों की उपस्थिति चेक करने के नियम पहले से भी थे, अब इन निर्देशों पर कड़ाई से अमल करना है। ताकि, शमशुल जैसे मामले सामने नहीं आ सके।

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