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यूपी: होम्योपैथिक दवाओं में फर्जीवाड़े पर बड़ा खुलासा; तीन गुना महंगी की गई सरकारी दवाओं की खरीद; ऐसे हुआ खेल

अभिषेक गुप्ता, अमर उजाला नेटवर्क लखनऊ Published by: रोहित मिश्र Updated Sat, 20 Dec 2025 07:55 AM IST
सार

Homeopathic medicine: यूपी में होम्योपैथिक दवाओं में खरीद में फर्जीवाड़े का बड़ा मामला सामने आया है। टेंडर की आड़ में कुछ चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया। 

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UP: Major revelation on fraudulent homeopathic medicines; government medicines purchased tripled in price
होम्योपैथी दवाओं में फर्जीवाड़ा। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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होम्योपैथी विभाग में दवाओं की खरीद को लेकर सामने आई अनियमितताओं ने खरीद प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दस्तावेजों के मुताबिक जेम टेंडर की आड़ में ऐसा खेल रचा गया, जिसमें छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बाहर कर चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया।

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होम्योपैथिक ड्रग्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन द्वारा की गई शिकायत और दस्तावेजों के मुताबिक टेंडर की आड़ में ऐसा खेल रचा गया, जिसमें छोटे और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को बाहर कर चुनिंदा कंपनियों को फायदा पहुंचाया गया।
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कुल 4.49 करोड़ के बजट में से 2.79 करोड़ केवल 23 जिलों के 662 डिस्पेंसरी को दे दिए गए, जबकि शेष 1.70 करोड़ अन्य जिलों के 922 डिस्पेंसरी में बांटे गए। विभाग ने होम्योपैथिक दवाओं की एक आवश्यक दवा सूची जारी की थी, लेकिन अधिकांश जिलों ने इसका पालन नहीं किया। सूची से इतर दवाओं की खरीद की गई। कई जिलों में कंपनियों के ब्रांड नाम पर ही निविदाएं जारी की गईं, जो सरकारी खरीद नियमों के खिलाफ है। एक जिले में तो स्थिति यह रही कि टेंडर में ड्रग लाइसेंस तक की अनिवार्यता नहीं रखी गई—जो स्वास्थ्य से जुड़े विभाग के लिए बेहद गंभीर चूक है।

एक तथ्य यह है कि जिन दवाओं को राज्य आयुष मिशन कम दरों पर खरीद रहा है, वही दवाएं होम्योपैथी विभाग ने करीब तीन गुना तक अधिक कीमत पर खरीदीं। उद्यमियों के मुताबिक विभाग ने 2019 के बाद से नियमित निविदाएं जारी ही नहीं कीं। जेम पोर्टल पर होम्योपैथिक दवाओं की अलग श्रेणी न होने का हवाला देकर अधिकारी बीओक्यू के आधार पर टेंडर जारी करते रहे, जिससे पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा दोनों खत्म हो गईं।

कई टेंडरों में आपूर्तिकर्ताओं के नाम तक पहले से दर्ज मिले। इसका सीधा नुकसान एमएसएमई क्षेत्र के निर्माताओं को हुआ, जिन्हें इन शर्तों के चलते टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो गए।

एक ही दवा, अलग-अलग जिलों में अलग रेट

सरकारी खरीद में एक ही दवा के लिए अलग-अलग जिलों में भारी रेट अंतर सामने आया है। मामला वन एम डाइल्यूशन (1M Dilution) दवा से जुड़ा है, जिसकी खरीद अलग-अलग जिलों में भिन्न दरों पर की गई। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार प्रतापगढ़ में दवा की दर 198, प्रयागराज (इलाहाबाद) में 173, चंदौली में 34, बुलंदशहर में 192 और कुशीनगर में 160 रूपये प्रति यूनिट दर्ज की गई है।

हैरानी की बात यह है कि यही दवा जब पहले टेंडर प्रक्रिया के तहत खरीदी गई थी, तब इसकी दर 25 से 30 रूपये के बीच थी। वहीं, आयुष विभाग द्वारा भी इसी दवा की खरीद 55 से 60 रुपए प्रति यूनिट की दर से की गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दवा का प्रकार, गुणवत्ता और डाइल्यूशन समान है, तो दरों में इतना बड़ा अंतर नहीं होना चाहिए।

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