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यूपी: उपभोक्ताओं से स्मार्ट प्रीपेड मीटर खर्च वसूलने के आदेश का विरोध, विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कही ये बात

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: आकाश द्विवेदी Updated Fri, 19 Dec 2025 09:41 PM IST
सार

स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च बिजली दरों में जोड़ने के ऊर्जा मंत्रालय के आदेश का विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विरोध किया है। परिषद ने इसे उपभोक्ताओं से धोखा बताते हुए आदेश वापस लेने की मांग की और कहा कि इससे भविष्य में बिजली दरें बढ़ेंगी।

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UP: Opposition to the order to recover smart prepaid meter costs from consumers; the Electricity Consumers Cou
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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ऊर्जा मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर कहा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च उपभोक्ताओं के टैरिफ यानी बिजली दर में जोड़ा जाए। इस आदेश का विद्युत उपभोक्ता परिषद ने विरोध किया है। इसे उपभोक्ताओं के साथ धोखा करार दिया है। ऊर्जा मंत्रालय को विरोध प्रस्ताव भेज कर आदेश रद्द करने की मांग की है।

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राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि ऊर्जा मंत्रालय ने गुपचुप तरीके से सभी विद्युत नियामक आयोग को आदेश जारी कर दिया है। इसमें कहा है कि रिवैम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम (आरडीएसएस) के तहत लगने वाले स्मार्ट प्रीपेड मीटर का खर्च बिजली दर में डाल दिया जाए। इस आदेश से भविष्य में बिजली दरें बढ़ेंगी। 
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उपभोक्ताओं पर लगने वाला फिक्स चार्ज और एनर्जी चार्ज दोनों ही भविष्य में काफी बढ़कर आएंगे। क्योंकि उपभोक्ताओं ने कनेक्शन लेते वक्त भी मीटर की कीमत चुकाई है। अब मीटर को स्मार्ट प्रीपेड मीटर में बदलने पर दोबारा वसूलना पूरी तरह से गलत है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस आदेश से निजी घरानों और मीटर निर्माता कंपनियों को लाभ होगा। 

यह निर्णय उद्योगपतियों के दबाव में लिया गया प्रतीत होता है। इसकी उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। सेंट्रल एडवाइजरी कमेटी (सीएसी) के सदस्य और उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर को विरोध प्रस्ताव भेजते हुए कहा है कि यह आदेश उपभोक्ताओं के साथ धोखा है। इसे तत्काल वापस लिया जाए। 

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में भारत सरकार ने स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए 18,885 करोड़ स्वीकृत किया था, जिसके एवज में टेंडर 27,342 करोड़ का अवार्ड किया गया। प्रदेश के करीब 3 .62 करोड़ विद्युत उपभोक्ताओं ने मीटर लगाते वक्त उसकी लागत चुकाई है। अब नए स्मार्ट प्रीपेड मीटर की कीमत दोबारा वसूला जाना पूरी तरह से गलत है।

पानी में चला जाएगा करोड़ों रुपये

परिषद अध्यक्ष ने बताया कि सिंगल फेस मीटर की औसत कीमत 872 रुपये मानी जाए तो प्रदेश के उपभोक्ताओं ने लगभग 2,616 करोड़ खर्च किया है। थ्री फेस मीटर की लागत जोड़ने पर यह राशि करीब 3,000 करोड़ पहुंचती है। यानी गारंटी अवधि के भीतर मीटर हटाकर स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने से प्रदेश की जनता का करीब 3,000 करोड़ रुपये पानी में चला जाएगा। 

उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने पहले गाइडलाइन जारी कर कहा था कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर सहित पूरा इंफ्रास्ट्रक्चर प्रति मीटर 6,000 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन टेंडर 8,000 से 9,000 रुपये प्रति मीटर की दर से अवार्ड कर दिए गए। अब सरकार ने यह अतिरिक्त आदेश जारी कर उसकी लागत भी उपभोक्ताओं से वसूलने की तैयारी है, जो पूरी तरह से गलत है।




 

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