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यूपी: नवजात शिशुओं में कोविड की तरह घातक हो रहा है आरएसवी, घर के लोग इस तरह से बनाएं बच्चों से दूरी

अमर उजाला नेटवर्क, लखनऊ Published by: रोहित मिश्र Updated Fri, 28 Nov 2025 07:53 AM IST
सार

RSV in newborns: प्रदेश में नवजात शिशुओं में आरएसवी नाम की बीमारी फैल रही है। डॉक्टरों के अनुसार यह बीमारी कोविड जैसी ही खतरनाक है। 
 

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UP: RCV is becoming as deadly as Covid in newborns; here's how family members should keep their distance from
नवजात शिशु - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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 प्रदेश में नवजात शिशुओं के लिए रेस्पिरेटरी सिंसिटियल वायरस (आरएसवी) घातक होता जा रहा है। अस्पतालों में संक्रमित नवजातों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसे देखते हुए चिकित्सा संस्थानों ने जांच का दायरा बढ़ा दिया है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बचने के लिए कोविड की तरह ही सावधानी बरतने की जरूरत है। घर में अगर किसी को सर्दी जुकाम है तो वह मास्क लगाए और नवजात को छूने से बचे।

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विभिन्न चिकित्सा संस्थानों में हर दिन आरएसवी से संक्रमित दो से तीन मरीज आ रहे हैं। यह वायरस एक वर्ष से कम उम्र के बच्चों को तेजी से प्रभावित करता है। समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों के लिए यह वायरस ज्यादा घातक साबित हो रहा है। हालांकि, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वालों में भी यह संक्रमण सामने आया है। अब तक आरएसवी के उपचार की कोई पुख्ता दवा नहीं है। ऐसे में कोविड की तरह ही इसका उपचार लक्षण के आधार पर किया जाता है। चिकित्सक इसका प्रभाव बढ़ने के पीछे प्रदूषण को भी बड़ी वजह मान रहे हैं। भीड़भाड़ वाले स्थानों पर आवागमन से भी यह बढ़ता है।
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कोविड में शुरू हुई जांच का फायदा
कोविड के दौरान चिकित्सा संस्थानों व निजी अस्पतालों में शुरू हुई पॉलीमरेज चेन रिएक्शन (पीसीआर) जांच का फायदा आरएसवी को चिह्नित करने में भी मिल रहा है। जिन बच्चों में लक्षण मिल रहे हैं उनकी तत्काल जांच कराई जा रही है। तत्काल जांच शुरू होने से समय से इलाज भी शुरू हो जाता है जिससे शिशुओं की जान बचाने में मदद मिल रही है।

ये है आरएसवी

डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. कृष्ण कुमार यादव बताते हैं कि यह वायरस श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। जो ब्रोंकियोलाइटिस और निमोनिया का कारण बनती है। इसकी शुरुआत सर्दी-जुकाम जैसे लक्षणों से होती है। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों के लिए यह खतरनाक होता है। उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली पूर्ण विकसित यह वायरस तेजी से फैलता है। हृदय या फेफड़े की बीमारी वाले बच्चों पर भी इसका असर घातक होता है।

लक्षण और बचाव
एसजीपीआई की न्यूनेटोलॉजी विभाग की डॉ. अनिता सिंह बताती है कि जांच का दायरा बढ़ने से आरएसवी के मामले आसानी से पकड़ में आ रहे हैं। पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। बच्चों के शुरुआती लक्षणों में खांसी, सांस लेने में कठिनाई, दूध पीने में परेशानी, असामान्य रंग (पीला, बैंगनी या नीला) और बुखार मुख्य हैं। अगर घर में किसी को सर्दी-जुकाम है तो वह नवजात से दूर रहें। ऐसे मामलों में कोविड जैसी सावधानी बरतें। मास्क लगाएं और बच्चे को छूने से बचें।

गर्भावस्था के दौरान लगवा सकते हैं टीका
न्यूनेटोलॉजिस्ट डॉ. आकाश पंडिता बताते हैं कि गर्भावस्था के दौरान इसका टीका भी लगता है। नवजात को भी टीका लगता है लेकिन उसकी कीमत 20 से 25 हजार रुपये है। समय से पहले पैदा होने वाले बच्चों को संक्रमण का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में घर में नवजात होने पर यदि परिवार का कोई सदस्य बीमार है या हाल ही में बीमार हुआ हो, उसे शिशु से दूर रखें। शिशु को छूने या गोद में लेने से बचें।



 

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