यूपी: साक्षी मलिक ने साधा भारतीय कुश्ती संघ पर निशाना, कहा- समस्याओं का सामना कर रहे हैं पहलवान
Sakshi Malik: ओलंपिक कांस्य पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक ने भारतीय कुश्ती संघ पर निशाना साधते हुए कहा है कि संघ की नीतियों की वजह से पहलवान समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
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ओलंपिक कांस्य पदक विजेता महिला पहलवान साक्षी मलिक ने भारतीय कुश्ती संघ पर एक बार फिर निशाना साधा है। संघ के खिलाफ मोर्चा खड़ा करने वाले पहलवानों में शुमार रहीं महिला पहलवान ने कहा कि प्लानिंग के अभाव के चलते पहले की तरह आज भी भारतीय पहलवानों के सामने तमाम मुश्किलें आ रही है। जब हम खेलते थे तो दो दिन पहले हमें प्रतियोगिता में भाग लेने का फरमान जारी हो जाता था। कमोबेश आज भी यही स्थिति कायम है। खिलाड़ियों की ट्रेनिंग व्यवस्था को लेकर भी समस्याएं बनी हुई हैं। कुल मिलाकर फेडरशन की कार्यशैली में अभी भी तमाम खामियां है। मेरे विचार से जब तक इनमें सुधार नहीं होगा, बेहतर परिणाम नहीं आएंगे। शहर में सेठ आनंद राम जयपुरिया स्कूल के खेल उत्सव में अपने पति सत्यव्रत कादियान के साथ पहुंचीं स्टार महिला पहलवान ने कहा कि भारतीय कुश्ती को फिर से बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए नए सिरे से काम किए जाने की दरकार है। उम्मीद पर दुनिया कायम है। आशांवित हूं कि एक दिन भारतीय कुश्ती का डंका पूरी दुनिया में बजेगा।
संन्यास लिया है खेल नहीं छोड़ा
कुश्ती मेरे लिए आज भी सब कुछ है। इस खेल की बदौलत मेरी पहचान बनीं, जो मुझे ओलंपिक पदक तक ले गई। भले ही मैंने बतौर खिलाड़ी कुश्ती से संन्यास ले लिया है, लेकिन इस खेल से जुदा नहीं हुई हूं। आज भी इस खेल को उतना ही प्यार और सम्मान देती हूं, जितना खिलाड़ी होने के वक्त पर था। शादी के बाद मैंने रोहतक में अखाड़े में युवा खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देनी शुरू की। 25 साल पुराने अखाड़े से कई खिलाड़ियों ने अच्छा प्रदर्शन करके अपनी छाप छोड़ी है। अखाड़े से निकले पहलवानों की सफलता का कारवां ऐसे ही जारी रखना चाहती हूं।
बेटी पहलवान बनीं तो ज्यादा खुशी होगी
गत वर्ष नवंबर माह में बेटी को जन्म देने वाली साक्षी ने बताया कि मैंने अपनी बेटी का नाम जापान की स्टार महिला पहलवान के नाम साओरी योशिदा से प्रभावित होकर योशिदा रखा है। पहलवानों के परिवार में जन्मी हैं तो चाहती हूं कि बेटी भी पहलवान बने, लेकिन उस पर कभी दबाब नहीं डालूंगी। इतना जरूर चाहती हूं कि योशिदा बड़ी होकर खेलों से जरूर जुड़े, क्योंकि खेलों में अनुशासन से जीवन बेहतर हाेता है।
लखनऊ को जुड़ी तमाम खट्टी मीठी यादें
लखनऊ साई सेंटर में लंबा वक्त ट्रेनिंग में बिताया है। यहां ट्रेनिंग के दौरान बिताया अनुशासित जीवन हमेशा याद आता है। ट्रेनिंग के दौरान तमाम खट्टी मीठी यादें भी जुड़ी है, जो आज भी जेहन में है। लखनऊ में जयपुरिया स्कूल के खेल समारोह की जानकारी मिलते ही यहां आने को फौरन तैयार हो गई। कुछ मिलाकर जब भी लखनऊ का नाम आता है तो यहां यहां के साई सेंटर से जुड़ी पुरानी अच्छी यादें कौंध जाती हैं।
खेलों में आगे बढ़ने में अभिभावकों की भूमिका सबसे ज्यादा
मेरे विचार से खेलों में आगे बढ़ने के लिए बच्चों क अभिभावकों की भूमिका सबसे ज्यादा होती है। जब तक अभिभावक मन से अपने बच्चों को खेलों से जोड़ने की कोशिश नहीं करेंगे, दिक्कतें बढ़ती रहेंगी। साथ ही आज के खिलाड़ियों में एकाग्रता बनाए रखनी चाहिए, क्योंकि आज मोबाइल व अन्य गैजेट्स के रहते ट्रेनिंग करना आसान नहीं होता है। जब तक एकाग्रता नहीं होगी, तब तक आगे बढ़ने की राह नहीं खुलेगी।