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UP News: सावधान, अब नाला-नालियों में फेंका कूड़ा तो खैर नहीं, भरना पड़ेगा इतना जुर्माना; पढ़ लें पूरी जानकारी

अमर उजाला ब्यूरो, लखनऊ Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Sun, 14 Sep 2025 10:49 AM IST
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सार

शहरी क्षेत्रों में नाला-नालियों में कूड़ा फेंकने पर सख्ती होने जा रही है। पकड़े जाने पर तत्काल चालान होगा। जुर्माना भी भरना पड़ेगा। इसके लिए नगर निकायों के स्तर पर उपविधि बनाई जाएगी। इसे सख्ती से लागू करने की तैयारी है। आगे पढ़ लें पूरी जानकारी...

you will be challan for throwing garbage in drains in urban areas In UP You will also have to pay fine
कचरे से चोक नालियां (सांकेतिक) - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
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उत्तर प्रदेश में शहरी क्षेत्रों में नाले और नालियों में कूड़ा-कचरा फेंकने वालों पर सख्ती की जाएगी। इसके साथ ही ऐसा करने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करने और उनसे भारी जुर्माना वसूलने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए नगर विकास विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश प्लास्टिक और अन्य जीव अनाशित कूड़ा-कचरा (उपयोग और निस्तारण का विनियमन) के आधार पर उपविधि बनाकर उसे कड़ाई से लागू करने की तैयारी है। इसके आधार पर ही नगर निकाय शहर की श्रेणी के हिसाब से जुर्माने की राशि तय करेंगे।

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दरअसल, बारिश के मौसम में शहरों में नाला-नालियों के चोक होने की समस्या से जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई शहरों में तो नाले-नालियों के चोक होने से जनता को पूरे साल जलभराव की समस्या झेलनी पड़ रही है। इसके मद्देनजर नगर विकास विभाग ने अधिनियम बनाते हुए निकायों को इसे लागू करने का निर्देश दिया था, लेकिन अधिकतर निकायों में इसे लागू नहीं किया है। इसीलिए उच्च स्तर पर तय किया गया है कि प्रत्येक निकायों में इसे अनिवार्य रूप से लागू कराया जाए।

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मौके पर ही होगा चालान

शासन द्वारा बनाए गए अधिनियम के आधार पर निकायों को अपने यहां उपविधि बनाते हुए जुर्माने की राशि तय करनी होगी। यह राशि कुछ भी हो सकती है। इसके आधार पर शहरों में यदि कोई नाले या नाली में कूड़ा-कचरा डालते हुए पकड़ा जाएगा तो मौके पर ही उसका चालान किया जाएगा। शासन का मानना है कि इससे जलभराव की समस्या काफी हद तक कम हो जाएगी। 


प्रमुख सचिव नगर विकास की अध्यक्षता में इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई गई है। इसमें कुल नौ सदस्य रखे गए हैं और स्थानीय निकाय निदेशक को सदस्य सचिव बनाया गया है। इसका काम इस अधिनियम को प्रदेशभर के निकायों में कड़ाई से लागू कराना होगा। कमेटी हर छह माह में एक बार बैठक करेगी और अधिनियम को लागू किए जाने की प्रगति की समीक्षा करेगी।

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