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MP News: 90 हजार टीबी मरीज नहीं करा सकते इलाज, हजारों समाजसेवी गोद लेकर खाना-दवाई का इंतजाम करेंगे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: अरविंद कुमार Updated Sun, 25 Sep 2022 08:20 AM IST
सार

मध्यप्रदेश में अभी एक लाख से ज्यादा टीबी मरीज हैं। इनमें भी 90 हजार मरीज खुद से इलाज नहीं करा सकते हैं। इसलिए इन्हें राज्य के समाजसेवी गोद लेने के लिए आगे आए हैं।

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90 Thousand TB Patients Cannot Be Treated In Madhya Pradesh Social Workers Will Adopt Them
(सांकेतिक तस्वीर) - फोटो : Social Media
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विस्तार
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मध्यप्रदेश में 90 हजार टीबी मरीज खुद से अपना इलाज नहीं करवा सकते। इसके लिए तीन हजार से ज्यादा समाजसेवियों ने गोद लेने के लिए स्वीकृति दे दी है। मरीज भी इसके लिए राजी हैं। ऐसा पहली बार हो रहा है, जब राज्य में टीबी रोगियों को आमजन गोद लेकर इनके न केवल खाने-पीने की व्यवस्था करेंगे, बल्कि दवाई भी उपलब्ध कराएंगे। इन मददगारों को नाम दिया गया है नि:क्षय मित्र।

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मध्यप्रदेश के टीबी अधिकारी ने बताया, बीमारी को साल 2025 तक खत्म करने का निर्णय लिया गया है। इसलिए पहली बार प्रशासन और समाजसेवी मिलकर काम करेंगे। इसे महा अभियान के रूप में ड्राइव चलाकर कम्यूनिटी सपोर्ट की मदद से पूरा किया जाएगा। ज्वार, दाल, दूध पाउडर और अंडे जैसा पौष्टिक आहार देना होगा।
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राज्य की टीबी अधिकारी डॉ. वर्षा राय ने बताया, गोद लेने वाले समाजसेवियों को रोगी को पोषक तत्वों वाला खाना देना होगा। इसमें ज्वार, बाजरा, दाल, तेल, दूध पाउडर और अंडे दे सकते हैं। मरीजों को नियमित पौष्टिक आहार की निगरानी भी की जाएगी। ये डाइट प्लान जिले के टीबी ऑफिसर की तरफ से बता दिया जाएगा।

राज्य में 100 में से दो मरीजों की मौत होती है। देश में यह आंकड़ा पांच स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने बताया, टीबी में मृत्यृ दर देश में पांच है। यानी 100 रजिस्टर्ड मरीजों में से पांच की इलाज के दौरान मौत हो जाती है। मध्यप्रदेश में 100 में से दो से तीन होती हैं।

शासन की सहमति के बाद समाजसेवी लेंगे गोद

  • आबादी के अनुपात के लिहाज से देश भर में सर्वाधिक टीबी मरीज मध्यप्रदेश में हैं। मरीजों की संख्या के लिहाज से यूपी, महाराष्ट्र और बिहार के बाद सर्वाधिक टीबी मरीजों के मामले में मध्यप्रदेश चौथे स्थान पर है।
  • राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेश में नौ हजार ऐसे टीबी मरीज हैं, जो अपना इलाज खुद कराने में सक्षम हैं। ये सरकार से मदद नहीं लेना चाहते।
  • जो महाभियान देशभर में शुरू किया गया है, उसमें ये स्पष्ट है कि इसके लिए पहले मरीज की सहमति ली जाएगी। इसके बाद ही उन्हें समाजसेवियों को गोद दिया जाएगा।
  • प्रदेश में कई जिले हैं, जहां पर सरकारी अफसरों ने मरीजों को गोद लेने का संकल्प लिया है।
  • देश में अभी 13 लाख 52 हजार 165 टीबी के एक्टिव मरीज हैं। इसमें से नौ लाख 94 हजार 239 मरीजों की देखभाल के लिए कम्यूनिटी सपोर्ट मिला है।
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