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Bhopal News: दिवाली की आतिशबाजी में झुलसीं आंखें, भोपाल में 125 से ज्यादा घायल, कई को हमेशा के लिए दिखना बंद
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Wed, 22 Oct 2025 02:04 PM IST
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सार
दिवाली पर भोपाल और आसपास के इलाकों में बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक 125 से ज्यादा लोग पटाखों की चपेट में आकर घायल हो गए, जिनमें कई की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है। कई लोगों का इलाज अस्पतालों में किया जा रहा है।

मरीज
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
दीपावली की रात इस बार सिर्फ रोशनी लेकर नहीं आई भोपाल और आसपास के इलाकों में बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक 125 से ज्यादा लोग पटाखों की चपेट में आकर घायल हो गए, जिनमें कई की आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली गई है। 200 रुपए की 'कार्बाइड गन' जैसी खतरनाक चीजों ने कई बच्चों के चेहरे और कॉर्निया तक जला दिए, तो वहीं कान के पर्दे फटने जैसे हादसे भी सामने आए। हमीदिया अस्पताल के चिकित्सकों को अनुसार 70% से ज्यादा केस सिर्फ कॉर्निया इंजरी के आए हैं। दो बच्चों की आंखों में गंभीर जलन और अल्सर के कारण एम्ब्रायोटिक ट्रांसप्लांट किया जा रहा है। इंदौर से इमरजेंसी में टिशू मंगवाना पड़ा। वहीं पटाखों के कारण आंखों में चोट के 11 मामले सेवा सदन में दर्ज हुए। इनमें भोपाल के अलावा सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सीहोर और नरसिंहपुर से भी मरीज पहुंचे।
खिलौना' नहीं, 'छोटा बम' है कार्बाइड गन
हमीदिया अस्पताल के नेत्ररोग विभाग की एचओडी डॉ. कविता कुमार के अनुसार बाजार में मिलने वाली देसी कार्बाइड गन, जिसमें गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग किया जाता है, खिलौना नहीं बल्कि 'घातक विस्फोटक' है। पानी से मिलते ही एसिटिलीन गैस बनती है और चिंगारी के संपर्क में आकर विस्फोट करती है। गन के प्लास्टिक पाइप फटने पर छोटे-छोटे टुकड़े छर्रों की तरह आंखों, चेहरे और शरीर में घुस जाते हैं। उन्होने बताया कि हमारे कई ऐसे केस आए हैं जिनकी आंखों की रोशनी लौटने में कफी समय लगेगा। कई की रोशनी आना संभव नहीं लग रहा है। उन्होने बताया कि हमीदिया में 40 के करीब मरीज पहुंचे थे।
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सेवा सदन में 11 मरीज भर्ताी
सेवा सदन नेत्र चिकित्सालय में पटाखे जले 11 लोगों पहुंचे। इनमें सिवनी मालवा, होशंगाबाद, सीहोर और नरसिंहपुर से एक-एक तथा अन्य सभी भोपाल शहर के मरीज हैं। इन 11 में से एक व्यक्ति की दोनों आंखें चोटिल हुई हैं जबकि अन्य की एक-एक आंख में पटाखे लगे हैं। इन सभी मरीजों की प्राथमिक चिकित्सा नेत्र रोग विषेषज्ञ डॉ. सरिता कुमार ने की है। एक व्यक्ति की दोनों आंखें चोटिल हुई हैं। उनकी चोट इतनी गहरी है कि उनके कार्निया तक छिल गए हैं। डॉक्टर ने उन्हें समय-समय पर कंसल्ट कर आंखों की फिलहाल नियमित जांच करवाने का सुझाव दिया है। डॉ. सरिता कुमार ने बताया कि सभी मामलों में तेज विस्फोट या छर्रों के कारण आंखों में गंभीर चोटें आई हैं।
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खिलौना' नहीं, 'छोटा बम' है कार्बाइड गन
हमीदिया अस्पताल के नेत्ररोग विभाग की एचओडी डॉ. कविता कुमार के अनुसार बाजार में मिलने वाली देसी कार्बाइड गन, जिसमें गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और कैल्शियम कार्बाइड का उपयोग किया जाता है, खिलौना नहीं बल्कि 'घातक विस्फोटक' है। पानी से मिलते ही एसिटिलीन गैस बनती है और चिंगारी के संपर्क में आकर विस्फोट करती है। गन के प्लास्टिक पाइप फटने पर छोटे-छोटे टुकड़े छर्रों की तरह आंखों, चेहरे और शरीर में घुस जाते हैं। उन्होने बताया कि हमारे कई ऐसे केस आए हैं जिनकी आंखों की रोशनी लौटने में कफी समय लगेगा। कई की रोशनी आना संभव नहीं लग रहा है। उन्होने बताया कि हमीदिया में 40 के करीब मरीज पहुंचे थे।
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