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सागर में भाजपा नेताओं की सुलह: प्रदेशाध्यक्ष खंडेलवाल गोविंद और भूपेंद्र सिंह को एक-दूसरे के घर लेकर पहुंचे

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Thu, 27 Nov 2025 11:16 PM IST
सार

सागर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की पहल से मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच 27 साल पुरानी अदावत खत्म हो गई। दोनों नेताओं ने एक-दूसरे के घर जाकर साथ में भोजन कर सुलह का संदेश दिया।

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BJP leaders reconcile in Sagar: State President Khandelwal brings Govind and Bhupendra Singh to each other's h
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के साथ गोविंद सिंह और भूपेंद्र सिंह - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सागर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल की पहल पर दो दशक से चले आ रहे मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और पूर्व गृहमंत्री भूपेंद्र सिंह के बीच मनमुटाव समाप्त हुआ। प्रदेशाध्यक्ष ने दोनों नेताओं को आमंत्रित कर एक-दूसरे  को साथ में भोजन करवाया, जिससे उनकी पुरानी अदावत समाप्त होने का संदेश पार्टी और कार्यकर्ताओं को मिला। सूत्रों के अनुसार, खंडेलवाल ने व्यक्तिगत रूप से दोनों नेताओं को फोन कर सुलह की पहल की। बुधवार को सागर पहुंचते ही वे दोनों नेताओं के साथ गाड़ी में सवार होकर शहर में आए। इसके बाद गोविंद सिंह के घर भूपेंद्र सिंह और दो घंटे बाद भूपेंद्र के घर गोविंद सिंह को लेकर साथ ले गए।  गोविंद सिंह और भूपेंद्र सिंह के बीच राजनीतिक बैर लगभग 27 साल पुराना है। 1998 में सुरखी विधानसभा से दोनों एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। गोविंद सिंह 2018 में कांग्रेस से भाजपा आए और मंत्री बने, जबकि भूपेंद्र सिंह भी मंत्री पद पर थे। 2023 में नई सरकार में दोनों के बीच दूरी बढ़ी थी, लेकिन अब प्रदेशाध्यक्ष की पहल से सुलह हो गई।  
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भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल सागर आए और यहां गुटबाजी को खत्म करने के लिए उन्होंने 'भोजन मंत्र' को लागू किया। उनकी एक पहल से बुंदेलखंड ही नहीं प्रदेश की राजनीति में एकदम से गोविंद—भूपेंद्र के बीच का सीन ही बदल गया। अभी तक जिस दुश्मनी के लिए दोनों सुर्खियों में रहते थे, अचानक गोविंद राजपूत के घर भूपेंद्र और फिर ठीक दो घंटे बाद भूपेंद्र सिंह के घर गोविंद राजपूत भोजन करते नजर आए। खंडेलवाल दोनों को लेकर एक—दूसरे के घर पहुंचे। उनके एक तरफ दाहिनी तरफ भूपेंद्र तो बाएं तरफ गोविंद राजपूत बैठकर भोजन करते और गंभीर तो कभी हास—परिहास करते नजर आए। पार्टी हाईकमान और दोनों से संदेश दिया कि अब दोनों एक हैं। 

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प्रदेशाध्यक्ष बनने के करीब 5 महीने बाद सागर आए खंडेलवाल 
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल बीते 2 जुलाई को प्रदेशाध्यक्ष बने थे। करीब 5 महीने बाद उनका सागर का यह पहला दौरा था। बुंदेलखंड में गुटबाजी के कारण उनका दौरान लगातार टलता रहा। भाजपा सूत्रों के अनुसार उनकी इच्छा थी कि यहां दिग्गजों सहित विधायकों के बीच मनमुटाव और गुटबाजी खत्म हो। वे एक संदेश भी देना चाह रहे थे। इसके लिए पूर्व में उन्होंने गोविं सिंह राजपूत व भूपेंद्र सिंह से बात करने के लिए सागर संभाग प्रभारी गौरव रणदिवे और प्रदेश उपाध्यक्ष शैलेंद्र बरूआ को माध्यम बनाया था, लेकिन बात नहीं बन सकी। 

प्रदेशाध्यक्ष खंडेलवाल ने खुद फोन लगाए थे 
भाजपा सूत्रों के अनुसार जब मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह के बीच सुलह की कई तरह से प्रयास के बाद भी दोनों नहीं माने तो भाजपा प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने खुद मोर्चा संभाला। उन्होंने खुद दोनों को फोन किए। मीडिया सूत्रों के अनुसार उन्होंने कुल पांच फोन कॉल लगाए और दोनों के बीच सुलह की सहमति बन गई। साथ ही यह भी तय हुआ कि दोनों नेता एक-दूसरे को घर पर आमंत्रित करेंगे और एक-दूसरे के घर भोजन करने भी जाएंगे। गुरुवार को जब खंडेलवाल सागर पहुंचे तो शहर के प्रवेश स्थल से ही एक-दूसरे के धुर विरोधी नेता गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह गाड़ी में उनके साथ सवार थे। 

 एक-दूसरे के खिलाफ लड़े थे चुनाव 
बता दें कि गोविंद सिंह राजपूत और भूपेंद्र सिंह  के बीच राजनीतिक खुन्नस, बैर और सीधे शब्दों में कहें तो दुश्मनी हाल-फिलहाल की नहीं है। यह 27 साल पुरानी अदावत चली रही है। दरअसल 1998 में सुरखी विधानसभा से गोविंद राजपूत कांग्रेस से और भूपेंद्र सिंह भाजपा के टिकट पर एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़े थे। बात में यह मौका दो बार आया। जिसमें एक बार भूपेंद्र तो एक बार गोविंद की जीत हुई थी। 

सिंधिया के साथ भाजपा में आए थे गोविंद 
2018 में गोविंद सिंह राजपूत सुरखी से विधायक बने और कमलनाथ सरकार में सिंधिया खेमे से गृह एवं परिवहन मंत्री बने थे। साल 2020 में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद राजपूत अपने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आ गए थे। उस समय गोविंद और भूपेंद्र दोनों मंत्री बने थे। लेकिन 2023 चुनाव में मोहन सरकार आने के बाद नए मंत्रिमंडल में गोविंद को सिंधिया कोटे से मंत्री बनाया गया, लेकिन भूपेंद्र सिंह और गोपाल भार्गव को मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया। इसके बाद से इनके बीच दूरिया और मनमुटाव और अदावत बढ़ती चली गई, जो विधानसभा से लेकर सागर के विभिन्न मंचों तक नजर आ रही थी। हालत यह हो गई थी कि सीएम के 3 कार्यक्रमों में भी दोनों ने मंच साझा नहीं किया था।
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