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MP News: रेटिना का वायरल संक्रमण पहचानने में देरी से जा सकती है रोशनी, वैश्विक मंच से एम्स के डॉक्टर ने चेताया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: संदीप तिवारी
Updated Wed, 10 Dec 2025 07:01 PM IST
सार
एम्स भोपाल के रेटिना सर्जन डॉ. समेंद्र कारखुर ने इटली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘फ्लोरेटिना आईकूर 2025’ में बताया कि वायरल रेटिनाइटिस एक गंभीर नेत्र रोग है, जो समय पर पहचान न होने पर स्थायी रूप से आंखों की रोशनी छीन सकता है।
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इटली में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में डॉ. समेंद्र कारखु
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
रेटिना में होने वाला वायरल संक्रमण (वायरल रेटिनाइटिस) आंखों के सबसे खतरनाक रोगों में से एक है। इसका निदान जटिल होता है और इलाज में थोड़ी भी देरी होने पर मरीज की दृष्टि स्थायी रूप से क्षतिग्रस्त हो सकती है। यह चेतावनी एम्स भोपाल के नेत्र रोग विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर एवं चीफ रेटिना सर्जन डॉ. समेंद्र कारखुर ने इटली में आयोजित प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन ‘फ्लोरेटिना आईकूर 2025’ में दी। डॉ. कारखुर इस सम्मेलन में गेस्ट फैकल्टी स्पीकर के रूप में आमंत्रित किए गए थे। 13वीं अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में दुनिया भर से 1600 से ज्यादा नेत्र विशेषज्ञ और रेटिना सर्जन शामिल हुए। मंच से अपने व्याख्यान में उन्होंने रेटिना के वायरल संक्रमण से जुड़ी जटिलताओं, गलत उपचार के दुष्परिणामों और सटीक इलाज की रणनीतियों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
कमजोर इम्युनिटी वालों में ज्यादा खतरा
डॉ. कारखुर ने बताया कि वायरल रेटिनाइटिस का खतरा खासतौर पर उन मरीजों में अधिक रहता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसमें ब्लड कैंसर से पीड़ित, कीमोथेरेपी ले रहे मरीज, एचआईवी पॉजिटिव, अत्यधिक वृद्ध व्यक्ति और कमजोर इम्युनिटी वाले लोग शामिल हैं।
बच्चों में भी सामने आ रहे मामले
उन्होंने बताया कि यह बीमारी सिर्फ वयस्कों तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों में भी वायरल रेटिनाइटिस के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। शुरुआती लक्षण अक्सर अन्य सामान्य आंखों के रोगों जैसे दिखाई देते हैं, जिससे गलत निदान और गलत इलाज की आशंका बढ़ जाती है।
यह भी पढ़ें-ड्रग तस्करी पर सियासी घमासान, मंत्री भाई की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस सड़कों पर, कार्यकर्ता गिरफ्तार
स्टेरॉयड से बिगड़ सकती है स्थिति
डॉ. कारखुर ने विशेष रूप से आगाह किया कि कई मामलों में बिना सही जांच के सिर्फ स्टेरॉयड देने से संक्रमण तेजी से फैल जाता है और बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। वायरल रेटिनाइटिस में स्टेरॉयड का गलत उपयोग स्थिति को “ओवरड्राइव” में डाल देता है, जिससे आंखों की रोशनी बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
यह भी पढ़ें-वोटर लिस्ट पर बड़ा सवाल,10.5% मतदाता नो मेपिंग में, 50 दिन में नहीं मिले रिकॉर्ड तो नाम कटेंगे
समय पर सही इलाज से बच सकती है दृष्टि
उन्होंने बताया कि सटीक डायग्नोसिस, तुरंत रेफरल और अनुभवी रेटिना विशेषज्ञ द्वारा इलाज ही मरीज की दृष्टि बचा सकता है। उपचार में बार-बार इंट्रा-ऑक्यूलर इंजेक्शन, इंट्रावीनस थेरेपी और जरूरत पड़ने पर समय पर रेटिना सर्जरी कारगर साबित होती है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर डॉ. समेंद्र कारखुर के इस व्याख्यान को आंखों के गंभीर वायरल संक्रमण को लेकर महत्वपूर्ण मार्गदर्शन के रूप में देखा गया, जिससे दुनियाभर के विशेषज्ञों को मरीजों के बेहतर इलाज की दिशा मिली।
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कमजोर इम्युनिटी वालों में ज्यादा खतरा
डॉ. कारखुर ने बताया कि वायरल रेटिनाइटिस का खतरा खासतौर पर उन मरीजों में अधिक रहता है, जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इसमें ब्लड कैंसर से पीड़ित, कीमोथेरेपी ले रहे मरीज, एचआईवी पॉजिटिव, अत्यधिक वृद्ध व्यक्ति और कमजोर इम्युनिटी वाले लोग शामिल हैं।
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बच्चों में भी सामने आ रहे मामले
उन्होंने बताया कि यह बीमारी सिर्फ वयस्कों तक सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों में भी वायरल रेटिनाइटिस के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। शुरुआती लक्षण अक्सर अन्य सामान्य आंखों के रोगों जैसे दिखाई देते हैं, जिससे गलत निदान और गलत इलाज की आशंका बढ़ जाती है।
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स्टेरॉयड से बिगड़ सकती है स्थिति
डॉ. कारखुर ने विशेष रूप से आगाह किया कि कई मामलों में बिना सही जांच के सिर्फ स्टेरॉयड देने से संक्रमण तेजी से फैल जाता है और बीमारी गंभीर रूप ले लेती है। वायरल रेटिनाइटिस में स्टेरॉयड का गलत उपयोग स्थिति को “ओवरड्राइव” में डाल देता है, जिससे आंखों की रोशनी बचाना बेहद मुश्किल हो जाता है।
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समय पर सही इलाज से बच सकती है दृष्टि
उन्होंने बताया कि सटीक डायग्नोसिस, तुरंत रेफरल और अनुभवी रेटिना विशेषज्ञ द्वारा इलाज ही मरीज की दृष्टि बचा सकता है। उपचार में बार-बार इंट्रा-ऑक्यूलर इंजेक्शन, इंट्रावीनस थेरेपी और जरूरत पड़ने पर समय पर रेटिना सर्जरी कारगर साबित होती है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर डॉ. समेंद्र कारखुर के इस व्याख्यान को आंखों के गंभीर वायरल संक्रमण को लेकर महत्वपूर्ण मार्गदर्शन के रूप में देखा गया, जिससे दुनियाभर के विशेषज्ञों को मरीजों के बेहतर इलाज की दिशा मिली।

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