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UP: 400 परिवारों के गांव में 300 से ज्यादा सरकारी नौकर, इस गांव में होती है भर्ती, परीक्षा और नतीजों पर चर्चा

प्रशांत भारती, अमर उजाला, हाथरस Published by: शाहरुख खान Updated Fri, 12 Dec 2025 11:06 AM IST
सार

यूपी के 400 परिवारों के इस गांव के 300 से ज्यादा लोग सरकारी नौकरियों में हैं। सिपाही से लेकर शिक्षक, क्लर्क, इंजीनियर और अन्य अहम पदों पर कार्यरत हैं। बुढ़ाइच के नौजवान पढ़-लिखकर गांव को पहचान दिला रहे हैं।

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UP Budhaich Village With 400 Families and Over 300 Government Employees Know Details in Hindi
UP Budhaich Village - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
हाथरस जिला मुख्यालय से करीब 31 किलोमीटर दूर बसा सहपऊ विकास खंड का गांव बुढ़ाइच देखने में भले ही आम गांवों के जैसा है, लेकिन यहां की मिट्टी में शिक्षा की सुगंध रची-बसी है। गांव के बच्चों में कुछ बनने का जज्बा बचपन से ही पैदा हो जाता है। यही वजह है कि 400 परिवारों के इस गांव के 300 से ज्यादा नौजवान सरकारी नौकरियों में हैं।


गांव की चौपालों पर होने वाली चर्चाओं के केंद्र में कहीं न कहीं ‘भर्ती’, ‘परीक्षा’, ‘नतीजे’ जैसे शब्द जरूर होते हैं। इस माहौल से ही यहां के बच्चों को शुरू से ही पढ़-लिखकर सरकारी नौकरियों में जाने की प्रेरणा मिलती है। 

इसी खूबी की वजह से बुढ़ाइच जिले का अकेला ऐसा गांव बन चुका है, जहां के सबसे ज्यादा लोग सरकारी नौकरियों में हैं। यह गांव सिर्फ जिले या प्रदेश के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे देश के उन गांवों के बाशिंदों के लिए प्रेरणास्रोत है, जहां के नौजवान शिक्षा को अपनी पहचान बनाना चाहते हैं।
 
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हाथरस का बुढाइच गांव - फोटो : संवाद
हर सड़क पढ़ाई की कहानी कहती है
सुबह चार बजे जब कई गांव अंधेरे में सोए रहते हैं, तब गांव बुढ़ाइच के घरों के कमरों में से रोशनी दिखाई दे रही होती है। इन घरों में युवा सुनहरे भविष्य का ताना-बाना बुन रहे होते हैं। गलियों में जब टॉर्च की रोशनी दिखने लगती है तो लोग समझ जाते हैं कि बच्चे पढ़ने जा रहे हैं। शाम को खेत से लौटते मजदूरों के बीच से गुजरते बच्चे कंधे पर स्कूल बैग टांगे और हाथों में किताबें थामे कोचिंग से लौट रहे होते हैं।
 
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प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करता युवा - फोटो : संवाद
कई महत्वपूर्ण पदों पर हैं गांव के लोग
इस गांव के कई लोग भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस), पीसीएस, जज, एमडी डॉक्टर, वैज्ञानिक, पुलिस निरीक्षक, अर्द्धसैनिक बल के कमांडेंट जैसे महत्वपूर्ण पदों पर हैं। गांव की बेटियों ने भी अद्भुत उदाहरण पेश किए हैं। दो बेटियां एमबीबीएस डॉक्टर हैं, जिनमें से एक एमडी है। एक बेटी जज और एक पूर्ति निरीक्षक के पद पर तैनात है।
 
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प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते युवा - फोटो : संवाद
एक परिवार में 14 सरकारी सेवक
पूर्व प्रधानाचार्य वासुदेव का परिवार पूरे गांव के लिए एक आदर्श है। वासुदेव की उम्र 70 वर्ष से ज्यादा हो चुकी है, लेकिन आज भी जब वह अपने घर की दहलीज पर बैठे 14 सरकारी नौकरी वाले बेटों-बेटियों, बहुओं और पोतों को याद करते हैं तो उनकी आंखें गर्व से भर उठती हैं। वह कहते हैं कि गरीबी बहुत देखी, पर पढ़ाई को कभी नहीं छोड़ा। आज परिवार की हर पीढ़ी सरकारी सेवा में है। इससे बड़ा ऊपर वाले का आशीर्वाद क्या होगा?”
 
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बच्चों को घर पर पढ़ाती शिक्षिका - फोटो : संवाद
पिछले 10 वर्षों में सबसे ज्यादा चयन
पुराने समय में पढ़ाई के साधन कम थे, लेकिन आज गांव के हर घर में ऑनलाइन क्लास, कोचिंग नोट्स और मार्गदर्शन उपलब्ध है। यहां एक-दूसरे को हाथ पकड़कर आगे बढ़ाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है। ये खूबियां बुढ़ाइच को दूसरे गांवों से अलग बनाती हैं। सेवानिवृत्त कर्मचारी न केवल अपनी पुस्तकों को अगले बच्चों को देते हैं, बल्कि उन्हें पढ़ाई के टिप्स भी देते हैं। यही कारण है कि पिछले 10 वर्षों में इस गांव के सबसे ज्यादा युवाओं को सरकारी नौकरी मिली है।
 
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