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MP News:यूनियन कार्बाइड का कचरा जलाने के लिए कोर्ट से समय मांगेगी सरकार,सीएस बोले-सहमति के बाद होगा डिस्पोजल
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल
Published by: आनंद पवार
Updated Sat, 04 Jan 2025 05:02 PM IST
सार
यूनियन कार्बाइड का कचरा पीथमपुर पहुंच चुका है। अब इस कचरे को जलाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार कोर्ट से समय मांगेगी। ऐसा करके सरकार लोगों की भ्रांतियां दूर करना चाहती है। कचरे को सबकी सहमति के बाद वैज्ञानिक मार्गदर्शन में जलाया जाएगा।
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मुख्य सचिव अनुराग जैन
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
यूनियन कार्बाइड के कचरे के निष्पादन को लेकर शुक्रवार को पीथमपुर में विरोध प्रदर्शन और हंगामा हुआ। अब सरकार ने लोगों की भ्रांतियों को दूर करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं। शनिवार को मुख्य सचिव अनुराग जैन ने कहा कि कचरे के निष्पादन को लेकर लोगों के बीच फैल रही गलतफहमियों को दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस काम को वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में कर रही है। कचरे के निष्पादन से किसी को कोई खतरा नहीं होगा। मुख्य सचिव ने बताया कि सरकार ने अब तक कोर्ट के निर्देशों का पालन किया है। आगे भी कोर्ट के सामने जनभावनाओं को प्रस्तुत किया जाएगा। वर्तमान में सरकार ने कचरे को डंप किया है। कोर्ट ने 6 जनवरी तक इसे हटाने के कहा था। अब कोर्ट से कचरे के निष्पादन के लिए समय मांगा जाएगा। सभी की सहमति के बाद ही कचरे को जलाया जाएगा।
दो बार कचरे का हो चुका निष्तारण, पैरामीटर मानक सीमा में
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि 2014 में रामकी प्लांट में कचरे के निष्तारण का ट्रायल रन हो चुका है। इस पर नीरी, आईसीटी और सीपीसीबी ने अध्ययन भी किया था। इस ट्रायल रन के लिए कोच्चि के हिन्दुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड से 10 मीट्रिक टन कचरा मंगाया गया था। वो कचरा भी यूनियन कार्बाइड के कचरे की तरह था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। इसके बाद 2015 में भोपाल यूनियन कार्बाइड का 10 मीट्रिक टन कचरा जलाकर उसका निष्तारण किया गया था। इस पर सीपीसीबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया कि कचरे के निपटान का वातावरण पर कोई नुकसान नहीं हुआ। आसपास के 12 गांवों के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया, जिसमें स्थिति सामान्य पाई गई थी और सभी रिपोर्ट के पैरामीटर मानक सीमा के अंदर थे।
कचरे को तेजी से जलाने कर रहे परीक्षण
मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि यूनियन कार्बाइड के 358 मीट्रिक टन कचरे को पीथमपुर भेजा गया है, जिसमें 60 प्रतिशत स्थानीय मिट्टी और 40 प्रतिशत सेवन नेपथॉल रेसीड्यूस तथा अन्य कीटनाशक का अपशिष्ट है। इस कचरे को जलाने में लगभग 6 महीने का समय लगेगा। हालांकि, सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कचरे को तेजी से जलाने के लिए परीक्षण कर रहे हैं। यह प्लांट नया है।
कचरा जलाने सहमति बनाने हर स्तर पर करेंगे प्रयास
मुख्य सचिव ने कहा कि लोगों के बीच कचरा जलाने के बाद होने वाले नुकसान को लेकर गलतफहमियां फैली हुई हैं, जिन्हें दूर करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार के अधिकारी इंदौर और धार जिलों में जाकर लोगों को समझाएंगे और स्थानीय अधिकारियों को भी अब तक की सभी रिपोर्ट की जानकारी देंगे, ताकि स्थानीय लोगों की भ्रांतियों को दूर किया जा सके।
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दो बार कचरे का हो चुका निष्तारण, पैरामीटर मानक सीमा में
मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि 2014 में रामकी प्लांट में कचरे के निष्तारण का ट्रायल रन हो चुका है। इस पर नीरी, आईसीटी और सीपीसीबी ने अध्ययन भी किया था। इस ट्रायल रन के लिए कोच्चि के हिन्दुस्तान इनसेक्टीसाइड लिमिटेड से 10 मीट्रिक टन कचरा मंगाया गया था। वो कचरा भी यूनियन कार्बाइड के कचरे की तरह था। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था। इसके बाद 2015 में भोपाल यूनियन कार्बाइड का 10 मीट्रिक टन कचरा जलाकर उसका निष्तारण किया गया था। इस पर सीपीसीबी ने सुप्रीम कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें बताया गया कि कचरे के निपटान का वातावरण पर कोई नुकसान नहीं हुआ। आसपास के 12 गांवों के लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया गया, जिसमें स्थिति सामान्य पाई गई थी और सभी रिपोर्ट के पैरामीटर मानक सीमा के अंदर थे।
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कचरे को तेजी से जलाने कर रहे परीक्षण
मुख्य सचिव ने यह भी बताया कि यूनियन कार्बाइड के 358 मीट्रिक टन कचरे को पीथमपुर भेजा गया है, जिसमें 60 प्रतिशत स्थानीय मिट्टी और 40 प्रतिशत सेवन नेपथॉल रेसीड्यूस तथा अन्य कीटनाशक का अपशिष्ट है। इस कचरे को जलाने में लगभग 6 महीने का समय लगेगा। हालांकि, सीपीसीबी और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कचरे को तेजी से जलाने के लिए परीक्षण कर रहे हैं। यह प्लांट नया है।
कचरा जलाने सहमति बनाने हर स्तर पर करेंगे प्रयास
मुख्य सचिव ने कहा कि लोगों के बीच कचरा जलाने के बाद होने वाले नुकसान को लेकर गलतफहमियां फैली हुई हैं, जिन्हें दूर करने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं। प्रदेश सरकार के अधिकारी इंदौर और धार जिलों में जाकर लोगों को समझाएंगे और स्थानीय अधिकारियों को भी अब तक की सभी रिपोर्ट की जानकारी देंगे, ताकि स्थानीय लोगों की भ्रांतियों को दूर किया जा सके।

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