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Chhindwara: साध्वी लक्ष्मी दास 90 लाख की धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार, नर्मदापुरम से नाटकीय ढंग से पकड़ी गई
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, छिंदवाड़ा
Published by: छिंदवाड़ा ब्यूरो
Updated Tue, 22 Jul 2025 09:27 AM IST
सार
90 लाख रुपये की धोखाधड़ी और अदालत को गुमराह करने के मामले में लंबे समय से फरार चल रहीं साध्वी लक्ष्मी दास (असली नाम रीना रघुवंशी) को छिंदवाड़ा पुलिस ने नर्मदापुरम जिले के चंद्रकलां गांव से गिरफ्तार कर लिया।
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90 लाख की ठगी कर फरार साध्वी लक्ष्मी दास आखिरकार गिरफ्तार
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
90 लाख रुपये की धोखाधड़ी और अदालत को गुमराह करने के मामले में लंबे समय से फरार चल रहीं साध्वी लक्ष्मी दास (असली नाम रीना रघुवंशी) को छिंदवाड़ा पुलिस ने आखिरकार गिरफ्तार कर लिया है। यह गिरफ्तारी नर्मदापुरम जिले के चंद्रकलां गांव से की गई, जहां साध्वी धार्मिक अनुष्ठान के बहाने छिपकर रह रही थी।
पुलिस को एक मुखबिर से सूचना मिली थी कि साध्वी लक्ष्मी दास गांव में मौजूद है। जैसे ही पुलिस टीम वहां पहुंची, साध्वी को गिरफ्तारी की भनक लग गई और उसने टॉयलेट जाने का बहाना बनाकर वहां से भागने की कोशिश की। इसके बाद वह पास ही की नदी पार कर एक अन्य गांव में छिप गई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए नाव की मदद से पीछा कर उसे चारों ओर से घेर लिया और हिरासत में ले लिया।
साध्वी लक्ष्मी दास छिंदवाड़ा जिले के चांद क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध रामजानकी मंदिर, लोनीकलां से जुड़े 90 लाख रुपये के गबन के मामले में वांछित थीं। यह रकम मंदिर के पूर्व महंत स्व. कनक बिहारी दास द्वारा घोषित एक करोड़ रुपये की दान राशि का हिस्सा थी, जो उनकी मृत्यु के बाद रहस्यमय ढंग से बैंक खाते से निकाल ली गई। खास बात यह रही कि जिस बैंक खाते से यह राशि निकाली गई, उसमें कोई नॉमिनी नहीं था। पुलिस जांच में यह सामने आया कि इस धोखाधड़ी में साध्वी लक्ष्मी दास के साथ एक बैंक मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध है।
ये भी पढ़ें: रोटरी की नई टीम में युवाओं को मिलेगा ग्लोबल मंच, रक्तदान और हरियाली बढ़ाने पर देंगे विशेष ध्यान
गिरफ्तारी से बचने के लिए साध्वी ने पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन दोनों जगह से उसे कोई राहत नहीं मिली। 19 मई को हाईकोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट कहा था कि उसने तथ्य छुपाए और अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। बाद में सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) भी साध्वी ने खुद ही वापस ले ली थी, जिसके बाद से वह फरार चल रही थी।
अब छिंदवाड़ा पुलिस की स्पेशल टीम उसे हिरासत में लेकर वापस लौट चुकी है और मंगलवार को साध्वी को अदालत में पेश किया जाएगा। पूछताछ के दौरान यह जानने की कोशिश की जाएगी कि 90 लाख रुपये की रकम कहां और कैसे खर्च की गई। साथ ही पुलिस बैंक अधिकारियों की भूमिका और अन्य संलिप्त व्यक्तियों की जांच भी करेगी। माना जा रहा है कि यह मामला अब और भी गंभीर मोड़ ले सकता है, क्योंकि इसमें मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कई अन्य वित्तीय दस्तावेज और लेनदेन की परतें खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।
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पुलिस को एक मुखबिर से सूचना मिली थी कि साध्वी लक्ष्मी दास गांव में मौजूद है। जैसे ही पुलिस टीम वहां पहुंची, साध्वी को गिरफ्तारी की भनक लग गई और उसने टॉयलेट जाने का बहाना बनाकर वहां से भागने की कोशिश की। इसके बाद वह पास ही की नदी पार कर एक अन्य गांव में छिप गई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए नाव की मदद से पीछा कर उसे चारों ओर से घेर लिया और हिरासत में ले लिया।
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साध्वी लक्ष्मी दास छिंदवाड़ा जिले के चांद क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध रामजानकी मंदिर, लोनीकलां से जुड़े 90 लाख रुपये के गबन के मामले में वांछित थीं। यह रकम मंदिर के पूर्व महंत स्व. कनक बिहारी दास द्वारा घोषित एक करोड़ रुपये की दान राशि का हिस्सा थी, जो उनकी मृत्यु के बाद रहस्यमय ढंग से बैंक खाते से निकाल ली गई। खास बात यह रही कि जिस बैंक खाते से यह राशि निकाली गई, उसमें कोई नॉमिनी नहीं था। पुलिस जांच में यह सामने आया कि इस धोखाधड़ी में साध्वी लक्ष्मी दास के साथ एक बैंक मैनेजर की भूमिका भी संदिग्ध है।
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गिरफ्तारी से बचने के लिए साध्वी ने पहले मध्यप्रदेश हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था, लेकिन दोनों जगह से उसे कोई राहत नहीं मिली। 19 मई को हाईकोर्ट ने उसकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए स्पष्ट कहा था कि उसने तथ्य छुपाए और अदालत को गुमराह करने की कोशिश की। बाद में सुप्रीम कोर्ट में दायर विशेष अनुमति याचिका (SLP) भी साध्वी ने खुद ही वापस ले ली थी, जिसके बाद से वह फरार चल रही थी।
अब छिंदवाड़ा पुलिस की स्पेशल टीम उसे हिरासत में लेकर वापस लौट चुकी है और मंगलवार को साध्वी को अदालत में पेश किया जाएगा। पूछताछ के दौरान यह जानने की कोशिश की जाएगी कि 90 लाख रुपये की रकम कहां और कैसे खर्च की गई। साथ ही पुलिस बैंक अधिकारियों की भूमिका और अन्य संलिप्त व्यक्तियों की जांच भी करेगी। माना जा रहा है कि यह मामला अब और भी गंभीर मोड़ ले सकता है, क्योंकि इसमें मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कई अन्य वित्तीय दस्तावेज और लेनदेन की परतें खुलने की उम्मीद जताई जा रही है।

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