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जल स्रोतों में घुल रहा गैसकांड का जहरीला कचरा
भोपाल/इंटरनेट डेस्क
Updated Mon, 03 Dec 2012 03:53 PM IST
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भोपाल गैस त्रासदी के बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के जहरीले कचरे के निपटारे को लेकर सरकार कुछ तय ही नहीं कर पा रही है। बीते डेढ़ दशक में कचरे का निपटारा कहां और कैसे किया जाए सरकार इसका निर्णय ही नहीं कर पाई है। गैस पीड़ित संगठनों का कहना है कि यूका कारखाने में 20 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा जहरीला कचरा पड़ा है।
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यूका कारखाने में लगभग 350 मीट्रिक टन रासायनिक कचरे को बोरियों में पैक कर दिया गया था। यूका परिसर में खुले में और फैक्ट्री के अंदर कचरा होने के अलावा फैक्ट्री के पीछे की ओर बने इवापारेशन पांड में भी कचरा है। तालाबों की तलहटी में लगाई गई प्लास्टिक पन्नियां फट चुकी हैं। कचरा बारिश के पानी के साथ जल स्रोतों में मिलता जा रहा है।
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ग्रुप ऑफ मिनिस्ट्रर्स की बैठक में जहरीले कचरे के निष्पादन के लिए टेंडर निकालना तय किया गया था। इसमें जर्मनी की कंपनी से करार होने का दावा किया गया था। करार को लेकर सरकार का झूठ सामने आ गया। जर्मनी की जीआईजेड कंपनी ने ही स्पष्ट कर दिया कि भारत सरकार ने कचरा निष्पादन के लिए करार ही नहीं किया है। इससे पहले पीथमपुर में कचरा जलाने की तैयारी धरी रह गई। इसके बाद गुजरात ने मना कर दिया।

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