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Umaria News: पादरी के भेष में पेंगोलीन की करता था तस्करी! हथपुरा में फैलाया था जाल; छापेमारी में बड़ा खुलासा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया Published by: उमरिया ब्यूरो Updated Wed, 29 Oct 2025 10:56 AM IST
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सार

Smuggling of Pangolin: उमरिया जिले के हथपुरा गांव में एक पादरी के भेष में पेंगोलीन तस्कर का भंडाफोड़ हुआ है। वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की सूचना पर वन विभाग ने आरोपी पादरी लक्षपत सिंह को गिरफ्तार कर उसके नेटवर्क का पर्दाफाश किया।

Pangolin smugglers disguised as priests spread wildlife smuggling network in Hathpura
पेंगोलीन फाइल फोटो
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विस्तार
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उमरिया के पाली थाना क्षेत्र के ग्राम हथपुरा में हुए कथित अपहरण के मामले की जांच के दौरान एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। जांच में सामने आया कि गांव का ही पादरी लक्षपत सिंह लुप्तप्राय वन्यजीव पेंगोलीन के शिकार और तस्करी के धंधे में लिप्त था। यह कार्रवाई वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो (WCCB) से मिली गोपनीय सूचना के बाद शहडोल दक्षिण वनमंडल की टीम ने की।

डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रों ने बताया कि जैतपुर की वन विभागीय टीम ने सूचना के आधार पर शहडोल निवासी सुशील अधिकारी के यहां छापामार कार्रवाई की, जहां से पेंगोलीन की खपटे (स्केल्स) बरामद की गईं। पूछताछ में सुशील ने स्वीकार किया कि उसने ये खपटे ग्राम हथपुरा के पादरी लक्षपत सिंह से खरीदी थीं। इसके बाद टीम ने लक्षपत सिंह की निशानदेही पर 26 अक्तूबर की रात करीब 11 बजे उसे गिरफ्तार किया और इसकी सूचना उसके परिवार को दे दी।

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झूठे अपहरण की कहानी से गुमराह करने की कोशिश
गिरफ्तारी की सूचना मिलने के बावजूद उसी रात लक्षपत सिंह के बेटे जितेंद्र सिंह ने पाली थाना पहुंचकर पिता के अपहरण की झूठी रिपोर्ट दर्ज कराई। सूचना मिलते ही पुलिस हरकत में आई और पूरी रात पादरी की तलाश में जुटी रही। पुलिस अधीक्षक विजय भागवानी स्वयं मौके पर पहुंचे और खोजबीन की निगरानी की। जांच के बाद यह मामला झूठा निकला। जब सच्चाई सामने आई, तो पुलिस और वन विभाग दोनों हैरान रह गए कि धार्मिक सेवा के भेष में एक पादरी ने पूरे क्षेत्र में वन्यजीव तस्करी का जाल फैला रखा था।

पांच जिलों तक फैला गिरोह
डीएफओ श्रद्धा पेन्द्रों ने बताया कि यह एक अंतर-जिला वन्यजीव शिकार गिरोह है। अब तक शहडोल, कटनी, उमरिया, डिंडौरी और अनूपपुर जिलों से दस आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इनके पास से लगभग 1 किलो 900 ग्राम पेंगोलीन की खपटे जब्त की गई हैं। जांच में सामने आया है कि गिरोह कई पेंगोलीन का शिकार कर उनके अंगों की अवैध बिक्री करता था।

क्रूर तरीके से की जाती थी हत्या
वन विभाग के अनुसार, पेंगोलीन को उसकी खपटे निकालने के लिए बेहद अमानवीय तरीके से मारा जाता है। उन्हें उबलते पानी में डालकर जिंदा ही मौत दी जाती है ताकि खपटे आसानी से अलग हो सकें। यह न केवल अमानवीय कृत्य है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 के अंतर्गत गंभीर अपराध है।

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संवेदनशील क्षेत्र में बढ़ी तस्करी की गतिविधियां
ग्राम हथपुरा घुनघुटी वन परिक्षेत्र के अंतर्गत आता है, जो बाघ और अन्य वन्यजीवों का प्रमुख आवास क्षेत्र है। इससे पहले भी इस इलाके में बाघ शिकार के मामले सामने आ चुके हैं। अब पेंगोलीन तस्करी का खुलासा होने से वन विभाग की निगरानी व्यवस्था और सूचना तंत्र पर सवाल उठने लगे हैं।

वन विभाग ने पादरी लक्षपत सिंह की गिरफ्तारी के बाद उससे जुड़े पूरे नेटवर्क की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि बरामद खपटों की मात्रा और गिरोह के दायरे को देखते हुए यह मामला काफी बड़ा है। फिलहाल सभी आरोपियों से पूछताछ जारी है और यह पता लगाया जा रहा है कि पेंगोलीन की खपटे किन चैनलों के माध्यम से बाहर भेजी जाती थीं।

इस खुलासे ने एक बार फिर साबित किया है कि अवैध वन्यजीव व्यापार में अब अपराधी धार्मिक और सामाजिक पहचान का सहारा लेकर अपनी गतिविधियों को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं। वन विभाग का दावा है कि इस नेटवर्क को पूरी तरह खत्म करने के लिए आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

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