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Tesla: भारत में लॉन्च से पहले टेस्ला दिल्ली और मुंबई में ड्राइवरों की कर रही है भर्ती, जानें इसकी वजह
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Sat, 31 May 2025 06:12 PM IST
सार
अमेरिका की दिग्गज इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी Tesla (टेस्ला) अब भारत में अपनी एंट्री की पूरी तैयारी कर रही है। और इसी सिलसिले में कंपनी ने दिल्ली और मुंबई में ड्राइवरों की भर्ती शुरू कर दी है।
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Tesla Car
- फोटो : Tesla
अमेरिका की दिग्गज इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी Tesla (टेस्ला) अब भारत में अपनी एंट्री की पूरी तैयारी कर रही है। और इसी सिलसिले में कंपनी ने दिल्ली और मुंबई में ड्राइवरों की भर्ती शुरू कर दी है। ये ड्राइवर कंपनी के ऑटोपायलट सिस्टम की टेस्टिंग के लिए हायर किए जा रहे हैं। इन्हें प्रोटोटाइप व्हीकल ऑपरेटर कहा जाएगा, जिनका काम होगा इंजीनियरिंग टेस्ट गाड़ियों को भारत की असली सड़कों पर चलाकर जरूरी डेटा इकट्ठा करना। इससे टेस्ला अपने ऑटोमैटिक ड्राइविंग सिस्टम जैसे ADAS (एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम) और FSD (फुल सेल्फ ड्राइविंग) को भारतीय ट्रैफिक और सड़क हालात के हिसाब से ढाल पाएगी। यह भारत में टेस्ला के लॉन्च की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
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- फोटो : Tesla
टेस्ला को किस तरह के ड्राइवर चाहिए?
टेस्ला ऐसे ड्राइवरों की तलाश कर रही है जो अनुभवी हों और जो आराम से भीड़-भाड़ वाले शहरी इलाकों में लंबी ड्राइविंग कर सकते हों। इनका काम सिर्फ गाड़ी चलाना ही नहीं, बल्कि गाड़ी में लगे सेंसर, कैमरा और वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम से डेटा इकट्ठा करना भी होगा। इस नौकरी में हर दिन करीब 5 से 8 घंटे तक टेस्ट गाड़ी चलानी होगी, साथ ही रिकॉर्डिंग उपकरण ऑपरेट करना और जो डेटा मिला है उसकी क्वालिटी की जांच करना भी जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा, ड्राइवरों को यह भी बताना होगा कि सिस्टम में कहां सुधार की जरूरत है।
कंपनी चाहती है कि आवेदन करने वाले ड्राइवर ADAS और सेल्फ-ड्राइविंग टेक्नोलॉजी के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखते हों। और तेज रफ्तार और टारगेट-ओरिएंटेड काम के माहौल में आसानी से काम कर सकें।
यह भी पढ़ें - 2025 KTM RC 200: 2025 केटीएम आरसी 200 बाइक हुई लॉन्च, अब मिलेगी नई TFT स्क्रीन, जानें कीमत और फीचर्स
टेस्ला ऐसे ड्राइवरों की तलाश कर रही है जो अनुभवी हों और जो आराम से भीड़-भाड़ वाले शहरी इलाकों में लंबी ड्राइविंग कर सकते हों। इनका काम सिर्फ गाड़ी चलाना ही नहीं, बल्कि गाड़ी में लगे सेंसर, कैमरा और वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम से डेटा इकट्ठा करना भी होगा। इस नौकरी में हर दिन करीब 5 से 8 घंटे तक टेस्ट गाड़ी चलानी होगी, साथ ही रिकॉर्डिंग उपकरण ऑपरेट करना और जो डेटा मिला है उसकी क्वालिटी की जांच करना भी जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा, ड्राइवरों को यह भी बताना होगा कि सिस्टम में कहां सुधार की जरूरत है।
कंपनी चाहती है कि आवेदन करने वाले ड्राइवर ADAS और सेल्फ-ड्राइविंग टेक्नोलॉजी के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी रखते हों। और तेज रफ्तार और टारगेट-ओरिएंटेड काम के माहौल में आसानी से काम कर सकें।
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2025 Tesla Model Y
- फोटो : X/@Tesla
Tesla Autopilot आखिर है क्या?
टेस्ला का ऑटोपायलट एक एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम है, जो गाड़ी चलाने को और ज्यादा सुरक्षित और आसान बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें लेन सेंटरिंग, एडैप्टिव क्रूज कंट्रोल और ट्रैफिक को ध्यान में रखकर लेन बदलने जैसी खूबियां हैं। वहीं इसका एक और पावरफुल वर्जन है फुल सेल्फ-ड्राइविंग (FSD), जो गाड़ी को खुद-ब-खुद मोड़ने, चौराहे पार करने और रास्ता तय करने जैसी चीजें करने में सक्षम बनाता है। लेकिन अभी भी इसके लिए ड्राइवर की निगरानी जरूरी होती है।
टेस्ला अब अपने सभी गाड़ियों में "टेस्ला विजन" नाम की टेक्नोलॉजी दे रही है, जो पूरी तरह से AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और कैमरा-बेस्ड सिस्टम है और अब रडार की जरूरत नहीं पड़ती। यही सिस्टम अब भारतीय सड़कों पर टेस्ट किया जाएगा, ताकि ये स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से काम कर सके।
यह भी पढ़ें - 2025 Kawasaki Ninja 300: नई 2025 कावासाकी निंजा 300 हुई लॉन्च, भारत में कंपनी की एंट्री-लेवल स्पोर्ट्स बाइक
टेस्ला का ऑटोपायलट एक एडवांस्ड ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम है, जो गाड़ी चलाने को और ज्यादा सुरक्षित और आसान बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें लेन सेंटरिंग, एडैप्टिव क्रूज कंट्रोल और ट्रैफिक को ध्यान में रखकर लेन बदलने जैसी खूबियां हैं। वहीं इसका एक और पावरफुल वर्जन है फुल सेल्फ-ड्राइविंग (FSD), जो गाड़ी को खुद-ब-खुद मोड़ने, चौराहे पार करने और रास्ता तय करने जैसी चीजें करने में सक्षम बनाता है। लेकिन अभी भी इसके लिए ड्राइवर की निगरानी जरूरी होती है।
टेस्ला अब अपने सभी गाड़ियों में "टेस्ला विजन" नाम की टेक्नोलॉजी दे रही है, जो पूरी तरह से AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) और कैमरा-बेस्ड सिस्टम है और अब रडार की जरूरत नहीं पड़ती। यही सिस्टम अब भारतीय सड़कों पर टेस्ट किया जाएगा, ताकि ये स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से काम कर सके।
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Tesla Car
- फोटो : Tesla
भारत में टेस्टिंग क्यों है इतनी जरूरी?
भारत की सड़कें बाकी दुनिया से काफी अलग हैं। क्योंकि यहां ट्रैफिक ज्यादा होता है, गाड़ियों की किस्में बहुत विविध होती हैं, पैदल चलने वालों का व्यवहार भी अनुमान से परे होता है और सड़कों की हालत भी एक जैसी नहीं रहती। ऐसे में टेस्ला को भारतीय हालात में अपने सिस्टम की टेस्टिंग जरूरी लगी ताकि उनकी टेक्नोलॉजी भारतीय ड्राइविंग पैटर्न और चालकों की जरूरतों के हिसाब से सही तरीके से काम करे। यह लोकल डेटा मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म को ट्रेनिंग देने में मदद करेगा, जो सिर्फ विदेशी डेटा से संभव नहीं हो पाता।
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भारत की सड़कें बाकी दुनिया से काफी अलग हैं। क्योंकि यहां ट्रैफिक ज्यादा होता है, गाड़ियों की किस्में बहुत विविध होती हैं, पैदल चलने वालों का व्यवहार भी अनुमान से परे होता है और सड़कों की हालत भी एक जैसी नहीं रहती। ऐसे में टेस्ला को भारतीय हालात में अपने सिस्टम की टेस्टिंग जरूरी लगी ताकि उनकी टेक्नोलॉजी भारतीय ड्राइविंग पैटर्न और चालकों की जरूरतों के हिसाब से सही तरीके से काम करे। यह लोकल डेटा मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म को ट्रेनिंग देने में मदद करेगा, जो सिर्फ विदेशी डेटा से संभव नहीं हो पाता।
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Tesla Model Y
- फोटो : Tesla
भारत लॉन्च के और करीब पहुंची टेस्ला
कई सालों से भारत में टेस्ला के आने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। अब जब कंपनी ने दिल्ली और मुंबई में ड्राइवरों की भर्ती शुरू कर दी है, तो यह साफ हो गया है कि अब वह अपने प्लान को लेकर एक्शन मोड में आ गई है। अभी तक टैक्स, इंपोर्ट ड्यूटी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दे रुकावट बने हुए थे, लेकिन अब कंपनी ने भारत के लिए टेस्टिंग और लोकलाइजेशन की दिशा में पुख्ता कदम बढ़ा दिए हैं।
टेस्ला की यह तैयारी यह दिखाती है कि कंपनी भारत में सिर्फ गाड़ियां बेचना नहीं चाहती, बल्कि उन्हें यहां की ड्राइविंग आदतों और ट्रैफिक के लिहाज से पूरी तरह से कस्टमाइज भी करना चाहती है। जब टेस्ला की गाड़ियां भारत की सड़कों पर चलेंगी, तो भारतीय ग्राहकों को एक स्मार्ट, सुरक्षित और स्थानीय जरूरतों के हिसाब से बनी ड्राइविंग टेक्नोलॉजी का अनुभव मिलेगा।
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कई सालों से भारत में टेस्ला के आने को लेकर कयास लगाए जा रहे थे। अब जब कंपनी ने दिल्ली और मुंबई में ड्राइवरों की भर्ती शुरू कर दी है, तो यह साफ हो गया है कि अब वह अपने प्लान को लेकर एक्शन मोड में आ गई है। अभी तक टैक्स, इंपोर्ट ड्यूटी और चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे मुद्दे रुकावट बने हुए थे, लेकिन अब कंपनी ने भारत के लिए टेस्टिंग और लोकलाइजेशन की दिशा में पुख्ता कदम बढ़ा दिए हैं।
टेस्ला की यह तैयारी यह दिखाती है कि कंपनी भारत में सिर्फ गाड़ियां बेचना नहीं चाहती, बल्कि उन्हें यहां की ड्राइविंग आदतों और ट्रैफिक के लिहाज से पूरी तरह से कस्टमाइज भी करना चाहती है। जब टेस्ला की गाड़ियां भारत की सड़कों पर चलेंगी, तो भारतीय ग्राहकों को एक स्मार्ट, सुरक्षित और स्थानीय जरूरतों के हिसाब से बनी ड्राइविंग टेक्नोलॉजी का अनुभव मिलेगा।
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