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तस्वीरें: भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण को दिखाने के सौ इंतजाम, बचाने में हो रहे नाकाम

उदयभान त्रिपाठी, कुशीनगर। Published by: vivek shukla Updated Thu, 01 Oct 2020 09:17 AM IST
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Many antiquities of Mahaparinirvan site are in danger due to being submerged in water
भगवान बुद्ध के मुख्य मंदिर परिसर में स्थित पुरावशेष में भरा बारिश का पानी। - फोटो : अमर उजाला।
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भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में पुरामहत्व के जिन अवशेषों को दिखाने के लिए अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट समेत तमाम इंतजाम किए जा रहे हैं, उनके संरक्षण का ध्यान किसी को नहीं है। मुख्य मंदिर, रामाभार स्तूप व माथा कुंवर मंदिर के आसपास बरसात में हुए जलभराव में कुछ स्तूप समेत कई निर्माण करीब चार महीने तक डूबे रहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी लंबी अवधि तक पानी में लगातार डूबे रहने से ढाई हजार साल पुराने ये अवशेष धीरे-धीरे नष्ट हो जाएंगे।
 
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Many antiquities of Mahaparinirvan site are in danger due to being submerged in water
माथा कुंवर मंदिर परिसर में स्थित पुरावशेष में भरा बारिश का पानी। - फोटो : अमर उजाला।
कुशीनगर में इन दिनों अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का काम जोरों पर है। मुख्यमंत्री योगी स्वयं हाल ही में वहां जा चुके हैं। अजीब हाल है कि ढाई हजार साल पुराने जिन खास स्थलों को दिखाने के लिए यह सारी कवायद चल रही है, वे स्थल ही खतरे में हैं। बारिश शुरू होते ही मुख्य मंदिर के उत्तर तरफ स्थित छोटे-छोटे प्राचीन स्तूपों के अवशेष पानी में डूब जाते हैं। इसके अलावा दूसरे सबसे महत्वपूर्ण स्थान रामाभार स्तूप के बगल में ही पानी भरने के चलते कई अवशेष डूब गए हैं।

 
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रामाभार स्तूप परिसर में पुरावशेष में भरा बारिश का पानी। - फोटो : अमर उजाला।
माथा कुंवर मंदिर तथा उसके सामने स्थित पुरातात्विक अवशेष बरसात में जलभराव से बने तालाब में समा चुके हैं। अब बरसात खत्म होने के बाद अक्तूबर-नवंबर में जब पानी सूखेगा तब ही इनके दर्शन हो सकेंगे। पीडब्ल्यूडी के सिविल इंजीनियर आरएन राव का कहना है कि पानी में डूबे रहने से पुरातन अवशेषों का क्षरण होता है। हालांकि, सारनाथ मंडल के पुरातत्वविद नीरज कुमार सिन्हा का कहना है कि बारिश के पानी में डूबे होने से उत्खनित पुरावशेषों को कोई नुकसान नहीं होता। विभाग हर साल पानी हटने के बाद क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत करा देता है।
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भगवान बुद्ध के मुख्य मंदिर परिसर में स्थित पुरावशेष में भरा बारिश का पानी। - फोटो : अमर उजाला।
पुरातत्व विभाग को भी चिंता नहीं
महापरिनिर्वाण स्थली भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के जिम्मे है, जिसका कुशीनगर में कार्यालय भी है। बावजूद इसके यह विभाग प्रमुख स्थलों पर जलभराव की समस्या के हल के लिए अब तक कुछ नहीं कर सका है।

 
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भगवान बुद्ध। - फोटो : अमर उजाला।
पुरातत्व विभाग को भेजा जाएगा पत्र
पर्यटन सूचना अधिकारी राजेश कुमार भारती ने कहा कि महापरिनिर्वाण मंदिर, माथा कुंवर मंदिर व रामाभार स्तूप परिसर में पानी में डूबे उत्खनित पुरावशेषों का निरीक्षण किया गया है। ये तीनों स्थल भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के संरक्षित स्थल हैं। इसलिए यहां से जल निकासी के लिए रिपोर्ट तैयार कराकर विभाग को पत्र भेजा जाएगा। इस संबंध में अधीक्षण पुरातत्वविद से भी वार्ता की जाएगी। इन स्थलों पर भविष्य में जलभराव न हो, इसके लिए बंदोबस्त किया जाएगा।
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