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डॉक्टर 'प्रोन वेंटिलेशन' से बचा रहे गंभीर कोरोना मरीजों की जान, जानिए क्या है ये विधि

अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Thu, 01 Oct 2020 09:17 AM IST
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Doctors in Gorakhpur saving lives of serious corona patients from prone ventilation
Covid 19 - फोटो : PTI

गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज प्रोन वेंटिलेशन (पेट के बल लिटाकर ऑक्सीजन देना) के जरिए किया जा रहा है। इस तकनीक में गंभीर मरीजों को ऑक्सीजन लेवल की रफ्तार धीरे-धीरे बढ़ रही है। इससे मरीजों को काफी हद तक राहत मिली है। यह तकनीक अब तक बेहद कारगार साबित रही है। विशेषज्ञ होम आइसोलेट मरीजों को यह सलाह भी दे रहे हैं कि अगर सांस लेने में तकलीफ बढ़े तो पेट के बल लेटकर ऑक्सीजन लें।

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Doctors in Gorakhpur saving lives of serious corona patients from prone ventilation
कोरोना वायरस (प्रतीकात्मक तस्वीर) - फोटो : PTI

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में लगातार मौतों की बढ़ती संख्या को देखते हुए गंभीर मरीजों के इलाज में बदलाव किया जा रहा है। जिससे की मौत की दर को रोका जा सके। इसी कड़ी में कॉलेज प्रशासन ने ऐसे मरीजों को चिन्हित करने का काम किया है, जिन मरीजों को सांस (ऑक्सीजन लेवल नीचे गिरना) लेने में ज्यादा परेशानी हो रही है। ऐसे मरीजों को प्रोन वेंटिलेशन के जरिए ऑक्सीजन दिया जा रहा है।

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Doctors in Gorakhpur saving lives of serious corona patients from prone ventilation
कोरोना वायरस। - फोटो : अमर उजाला

इस तकनीक से ऑक्सीजन धीरे-धीरे शरीर में जाएगा और ऑक्सीजन लेवल को पूरी तरह से मेंटेंन कर देगा। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. महिम मित्तल ने बताया कि यह तकनीक बेहद सफल रही है। अमेरिका के मेडिकल जनरल में यह बात सामने भी आ चुकी है कि प्रोन वेंटिलेशन तकनीक से 25 से 30 प्रतिशत मरीजों की रिकवरी की संभावना बढ़ गई है। बीआरडी में इस प्रयोग से कई मरीजों की जान बचाई जा चुकी है।

 

Doctors in Gorakhpur saving lives of serious corona patients from prone ventilation
कोरोना वायरस। - फोटो : PTI

क्या है प्रोन वेंटिलेशन तकनीक
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के चेस्ट विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिश्रा ने बताया कि अधिकांश कोरोना मरीजों में एआरडीएस (एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम) के शिकार हो रहे हैं। इसकी वजह से फेफड़ों में संक्रमण के कारण फूलने की ताकत नहीं बचती है। फेफड़ों के बाहर एक दीवार से बन जाता है। इसकी वजह से मरीज सांस नहीं ले पाता है और लगातार ऑक्सीजन लेवल गिरता जाता है।

 

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कोरोना वायरस। - फोटो : PTi

उन्होंने बताया कि ऑक्सीजन की कमी से दूसरे अंग भी काम करने बंद कर देते हैं। पेट के बल लेटने से फेफड़े खुल जाते हैं। इस बीच नोजल से ऑक्सीजन ज्यादा जाता है। जब मरीज धीरे-धीरे सांस खींचने लगता है तो फेफड़े पूरी तरह से काम करना शुरू कर देते हैं। इसी तकनीक को प्रोन वेंटिलेशन कहते हैं।

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