सब्सक्राइब करें

Azadi Ka Amrit Mahotsav: ये हैं स्वतंत्रता संग्राम के पांच महानायक, भारत को अंग्रेजों की गुलामी से कराया आजाद

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: शिवानी अवस्थी Updated Mon, 15 Aug 2022 12:14 AM IST
विज्ञापन
Azadi Ka Amrit Mahotsav: Top Five Freedom Fighters Fought For Independence Day Real Heroes
आजादी के महानायक - फोटो : amar ujala
loader
Azadi Ka Amrit Mahotsav: भारत को आजाद हुए 75 साल पूरे हो गए हैं। गुलाम भारत को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए सालों स्वतंत्रता संग्राम चला। घर-घर से युवा जोश, महिलाएं और बुजुर्ग इस आंदोलन का हिस्सा बने। नरम और गरम दलों ने अपने अपने तरीके से अंग्रेजों से भारत से बाहर कर देने में अहम भूमिका निभाई। सालों से गुलामी की जंजीरों को तोड़ते हुए 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया। आजादी के 75 साल पूरे होने की खुशी में देश जश्न मना रहा है। इस जश्न को आजादी का अमृत महोत्सव नाम दिया गया है। भारत की आजादी में कई लोगों का विशेष योगदान है। उस दौर जब पहले ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रवेश लिया और फिर राजा महाराजाओं की रियासतों पर कब्जा करते हुए देश की सत्ता को काबिज हो गए, तब से देश की मिट्टी पर कई महानायकों का जन्म हुआ, जिनका एकमात्र लक्ष्य देश की आजादी था। भारत के विकास, देशवासियों की खुशहाली के लिए वह लगातार कार्य करते रहे। आजादी के अमृत महोत्सव के मौके पर जानिए आजादी के पांच महानायकों के बारे में, जिनकी भूमिका और योगदान इतिहास में दर्ज है। ये रही आजादी के पांच महानायकों की कहानी।

 

Trending Videos
Azadi Ka Amrit Mahotsav: Top Five Freedom Fighters Fought For Independence Day Real Heroes
महात्मा गांधी - फोटो : facebook
मोहनदास करमचंद गांधी

भारत की स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायकों में मोहनदास करमचंद गांधी का नाम है। गांधी जी के कार्यों व प्रयासों के कारण उन्हें महात्मा और बापू की उपाधि दी गई। देश के राष्ट्रपिता होने का गौरव मिला। महात्मा गांधी ने देश के लिए जो किया वह सदियों तक याद रखेगा। उनके आदर्शों, अहिंसा की प्रेरणा, सत्य की ताकत ने अंग्रेजों को भी झुकने को मजबूर कर दिया। 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में पुतलीबाई और करमचंद गांधी के घर में जन्मा एक बालक आगे चलकर देश का राष्ट्रपिता बन गया। सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की बात जब भी आती है, तो सबसे पहले महात्मा गांधी को याद किया जाता है। विदेश से वकालत की शिक्षा हासिल करके आने के बाद 1919 में गांधीजी ने अंग्रेजों के रॉलेट एक्ट कानून के खिलाफ विरोध शुरू किया। इस एक्ट के तहत बिना मुकदमा चलाए किसी भी व्यक्ति को जेल भेजने का प्रावधान था। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ महात्मा गांधी ने सत्याग्रह की घोषणा की। 'असहयोग आंदोलन', 'नागरिक अवज्ञा आंदोलन', 'दांडी यात्रा' और 'भारत छोड़ो आंदोलन' किए। भारत के इतिहास में ये सबसे बड़े आंदोलन थे, जिसमें पूरा देश शामिल हुआ।

विज्ञापन
विज्ञापन
Azadi Ka Amrit Mahotsav: Top Five Freedom Fighters Fought For Independence Day Real Heroes
जवाहरलाल नेहरू - फोटो : सोशल मीडिया
पंडित जवाहरलाल नेहरू

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आजादी की लड़ाई में बड़ा योगदान दिया था। महात्मा गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़े। असहयोग आंदोलन हो या नमक सत्याग्रह या फिर 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन हो, गांधी जी के हर आंदोलन में जवाहरलाल नेहरू की भूमिका अग्रिम थी। साइमन कमीशन के खिलाफ लखनऊ में हुए प्रदर्शन में नेहरू ने हिस्सा लिया था। भले ही वह गांधीजी की तरह अहिंसात्मक सत्याग्रही थे, लेकिन उन्हें आंदोलन के दौरान पुलिस की लाठियां खानी पड़ीं। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महामंत्री बनने के बाद नेहरू लाहौर अधिवेशन में देश के बुद्धिजीवियों और युवाओं के नेताओं के तौर पर उभर कर सामने आए। गोलमेज सम्मेलन हो या कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच विवाद हो, द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान कारावास जाना हो, जवाहर लाल नेहरू ने अपने दमदार नेतृत्व से देश की आजादी में अपना पूरा योगदान दिया। नेहरू की भूमिका अंग्रेजों से देश को आजाद करने तक की नहीं है, आजादी के बाद भारत को दुनिया के सामने एक मजबूत राष्ट्र के तौर पर पेश करने में भी नेहरू ने अहम भूमिका निभाई।
 
Azadi Ka Amrit Mahotsav: Top Five Freedom Fighters Fought For Independence Day Real Heroes
सरदार वल्लभभाई पटेल - फोटो : Social media
सरदार वल्लभ भाई पटेल

गुजरात में एक किसान परिवार में 31 अक्टूबर को जन्मे सरदार वल्लभ भाई पटेल भी देश की आजादी के लिए स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए थे। एक साधारण परिवार का लड़का अपनी काबिलियत और मेहनत के बल पर देश की आजादी के बाद पहले उप प्रधानमंत्री, पहले गृह मंत्री, सूचना और रियासत विभाग के मंत्री भी बनें।

कैसे मिली सरदार की उपाधि

गुलाम भारत में उन्होंने बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व किया। सत्याग्रह की सफलता के बाद वहां की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि दे दी। सरदार पटेल गांधी जी से बहुत प्रभावित थे। गांधी जी ने गुजरात में सूखा पड़ने पर किसानों की स्थिति का मुद्दा उठाया तो सरदार पटेल ने स्वेच्छा से गांधी जी के सत्याग्रह की अगुवाई की और किसानों के लिए संघर्ष किया। जब देश आजाद हुआ तो नई सरकार आने की तैयारी शुरू हो गई। उम्मीद थी कि जो कांग्रेस का नया अध्यक्ष होगा, वही आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री होगा। सरदार पटेल की लोकप्रियता के चलते हुए कांग्रेस कमेटी ने पूर्ण बहुमत से उनका नाम प्रस्तावित किया। सरदार पटेल देश की पहले प्रधानमंत्री बनने ही वाले थे लेकिन महात्मा गांधी के कहने पर वह पीछे हट गए और अपना नामांकन वापस ले लिया।

आजादी के बाद देश के पहले गृह मंत्री बनते ही उनके सामने पहली और सबसे बड़ी चुनौती बिखरी हुई देसी रियासतों को भारत में मिलाना था। छोटे बड़े राजा, नवाबों को भारत सरकार के अधीन लाना आसान नहीं था लेकिन पटेल ने बिना किसी राजा का अंत किए रजवाड़े खत्म कर दिए। ये उनकी उपलब्धि ही है कि पटेल ने 562 छोटी बड़ी रियासतों का भारत संघ में विलय किया।  
विज्ञापन
Azadi Ka Amrit Mahotsav: Top Five Freedom Fighters Fought For Independence Day Real Heroes
बी आर अंबेडकर - फोटो : facebook
डॉ. बीआर अंबेडकर 

आजाद भारत को एक गणतांत्रिक देश बनाने में डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की भूमिका अहम है। बाबा साहेब को संविधान निर्माता के तौर पर भी जाना जाता है। उनका पूरा जीवन संघर्षरत रहा है। अंबेडकर भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निर्माण में अभूतपूर्व योगदान दिया। कमजोर और पिछड़े वर्ग के अधिकारों के लिए बाबा साहेब ने पूरा जीवन संघर्ष किया। अपने करियर में उन्हें जात पात और असमानता का सामना करना पड़ा। जिसके बाद बाबा साहेब ने दलित समुदाय को समान अधिकार दिलाने के लिए कार्य करना शुरू किया।

अंबेडकर ने ब्रिटिश सरकार से पृथक निर्वाचिका की मांग की, जिसे मंजूरी भी दे दी गई थी लेकिन गांधी जी ने इसके विरोध में आमरण अनशन किया तो अंबेडकर ने अपनी मांग को वापस ले लिया। बाद में अंबेडकर ने लेबर पार्टी का गठन किया। संविधान समिति के अध्यक्ष नियुक्त हुए। आजादी के बाद अंबेडकर ने बतौर कानून मंत्री पदभार संभाला। बाद में बाॅम्बे नॉर्थ सीट से देश का पहला आम चुनाव लड़ा, हालांकि हार का सामना करना पड़ा। बाबा साहेब राज्यसभा से दो बार सांसद चुने गए। 6 दिसंबर 1956 को डॉ. भीमराव अंबेडकर का निधन हो गया। निधन के बाद साल 1990 में बाबा साहेब को भारत का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
विज्ञापन
अगली फोटो गैलरी देखें

सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट अमर उजाला पर पढ़ें  लाइफ़ स्टाइल से संबंधित समाचार (Lifestyle News in Hindi), लाइफ़स्टाइल जगत (Lifestyle section) की अन्य खबरें जैसे हेल्थ एंड फिटनेस न्यूज़ (Health  and fitness news), लाइव फैशन न्यूज़, (live fashion news) लेटेस्ट फूड न्यूज़ इन हिंदी, (latest food news) रिलेशनशिप न्यूज़ (relationship news in Hindi) और यात्रा (travel news in Hindi)  आदि से संबंधित ब्रेकिंग न्यूज़ (Hindi News)।  

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed