Cough Syrup: मध्यप्रदेश और राजस्थान में 'विषाक्त कफ सिरप' पीने से हुई 22 बच्चों की मौत इन दिनों सुर्खियों में है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दवा के सेवन के कारण बच्चों की किडनी फेल हो गई, जिससे उनकी मौत हुई। बच्चों की मौत के मामले की सीबीआई जांच की मांग के लिए उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी जिसे शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है। कई राज्यों में प्रबंधित कफ सिरप को बैन कर दिया गया है।
Cough Syrup: कौन सा कफ सिरप आपके लिए सही है? खरीदने से पहले लेबल पर चेक करें ये चीजें
- ये कैसे जाना जा सकता है कि कौन सा सिरप आपके लिए सही है? कफ सिरप खरीदते समय किन-किन बातों का सभी लोगों को गंभीरता से ध्यान देना चाहिए? आइए इस बारे में विस्तार से समझते हैं।
पहले खांसी के बारे में जान लीजिए
डॉक्टर कहते हैं, खांसी शरीर के श्वसन मार्ग को साफ रखने और इसकी रक्षा करने का प्राकृतिक तरीका है, ये जलन पैदा करने वाले तत्वों, बलगम और संक्रमणों को दूर करने में मदद करती है। कभी-कभार होने वाली खांसी फायदेमंद होती है, लेकिन लगातार या गंभीर खांसी आपके लिए दिक्कतें बढ़ाने वाली हो सकती है।
बाजार में खांसी की इतनी सारी दवाइयां उपलब्ध होने के कारण सही दवा चुनना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। इसके ऊपर से हाल में ही सामने आए सिरप से मौत के मामलों ने लोगों को और भी डरा दिया है।
फिर आपको सिरप चुनते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? आइए इस बारे में समझते हैं।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
अमर उजाला से बातचीत में दिल्ली स्थित एक अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सरिता शर्मा कहती हैं, कफ सिरप को 6 माह से कम उम्र के बच्चों को दिया ही नहीं जाना चाहिए। 5 साल से छोटे बच्चों को डॉक्टरी सलाह और निगरानी में ही कफ सिरप दी जा सकती है। बड़े लोगों को भी कफ सिरप प्रिस्क्राइब करते समय भी डॉक्टर्स कोमारबिडिटी सहित कई स्थितियां का ध्यान रखते हैं।
भारत में ओवर-द-काउंटर (बिना प्रिस्क्रिप्शन) कफ सिरप आसानी से मिल जाते हैं। लोग गले में थोड़ी खराश होते ही सिरप पी लेते हैं, जो खतरनाक साबित हो सकता है। कुछ सिरप में कोडीन जैसे तत्व होते हैं, जो लत लगाने वाले और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित करने वाले होते हैं। इसलिए सिरप हमेशा डॉक्टर की सलाह पर ही लें।
कफ सिरप खरीदते समय क्या-क्या चेक करें
कफ सिरप लेने से पहले उसके लेबल को ध्यान से पढ़ना बहुत जरूरी है। यह आदत आपकी सेहत को कई जोखिमों से बचा सकती है।
सबसे पहले देखें कि सिरप में कौन-कौन से तत्व हैं जैसे कोडीन, डेक्स्ट्रोमेथॉरफैन या ग्वाइफेनेसिन। ऐसे सिरप से बचें जिनमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल या एथिलीन ग्लाइकॉल हो या होने का संदेह हो, ये औद्योगिक रसायन हैं जो अत्यधिक विषैले हो सकते हैं। यदि सिरप पर किसी विलायक या सामग्री का उल्लेख नहीं है, तो ऐसे सिरप बिल्कुल भी न लें।
सिरप सूखी खांसी के लिए है या बलगम वाली खांसी के लिए, यह लेबल पर लिखा होता है। कभी भी एक्सपायर सिरप न खरीदें और केवल भरोसेमंद और रजिस्टर्ड कंपनी का सिरप खरीदें। जरूरी बात ये भी है कि बिना डॉक्टर की सलाह के खुराक तय न करें।
आयुर्वेद के नाम पर बिकने वाले सिरप पर भी न करें अंधा भरोसा
आपके मन में भी सवाल होंगे क्या बाजार में मिलने वाले आयुर्वेदिक कफ सिरप का इस्तेमाल किया जा सकता है? क्या आयुर्वेदिक कफ सिरप अच्छा विकल्प हो सकते हैं?
अमर उजाला से बातचीत में ग्रेटर नोएडा स्थित एक निजी अस्पताल में इंटरनल मेडिसिन के डॉक्टर श्रेय श्रीवास्तव कहते हैं, जब बात इन घरेलू चीजों का इस्तेमाल करके आयुर्वेदिक दवाओं की आती है तो इसके कितने रिसर्च हुए हैं वह बहुत स्पष्ट नहीं होता है। कई बार इस तरह की दवाओं में मेटल्स हो सकते हैं जो लेवल पर मेंशन भी नहीं होते हैं जिसके बाद में कई साइड इफेक्टस होने का खतरा देखा जाता रहा है। इसलिए बिना डॉक्टरी सलाह के इस तरह के सिरप का भी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। यहां क्लिक करके पढ़ें पूरी रिपोर्ट
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नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।
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