थोड़ी सी सावधानी घुटना प्रत्यारोपण की प्रक्रिया से बचा सकती है। क्योंकि 70 फीसदी से ज्यादा मरीजों को घुटना प्रत्यारोपण की जरूरत नहीं होती है। इसके लिए घुटना रक्षित (नी प्रिजर्वेटिव) तकनीक को अपनाना होगा। इससे घुटना प्रत्यारोपण की जरूरत भी नहीं पड़ेगी और दर्द से राहत भी मिल जाएगा। यह कहना है जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य एवं अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंद स्वरूप का। करीब 25 साल से घुटना रक्षित तकनीक पर कार्य कर रहे डॉ. आनंद ने बताया कि इस तकनीक से लंबे समय तक घुटने के दर्द से बचा जा सकता है। घुटना अधिक खराब होने पर घुटना रक्षित शल्य (नी प्रिजरवेटिव सर्जरी) कराई जा सकती है। इसके बाद 10 से 15 वर्ष के लिए घुटना प्रत्यारोपण से बचा जा सकता है।
वजन न घटे तो पैर की एक्सरसाइज पर ध्यान दें, घुटना दर्द के ये हैं प्रमुख कारण, ऐसे करें देखभाल
वजन न घटे तो पैर की एक्सरसाइज पर ध्यान दें
यदि आपका वजन नहीं घटा पा रहे हैं तो नियमित पैर की कसरत करें ताकि घुटने की मांसपेशियां मजबूत रहें। घुटने की मांसपेशियां मजबूती रहने से जोड़ के कार्टिलेज पर कम दबाव पड़ता है और वह कम घिसता है। कार्टिलेज (उपास्थि) के घिसने पर घुटने के जोड़ के आंतरिक हिस्से में ज्यादा दर्द होता है। मांसपेशियों कमजोर होने पर कार्टिलेज कम उम्र में ही घिस जाता है और फिर घुटने की हड्डियां आपस में लड़ने लगती है। इसी लापरवाही के कारण घुटने में असहनीय दर्द होता है। वजन कम करके इसे रोका जा सकता है।
घुटना दर्द के प्रमुख कारण
घुटने के दर्द का सबसे बड़ा कारण है वजन का बढ़ना। यदि वजन ज्यादा है तो उसका जोर घुटने पर पड़ेगा। कार्टिलेज जितनी तेजी से घिसेगा, उतना ही अधिक नुकसान होगा। इसी तरह पुरानी चोट कुछ दिन बाद दर्द देने लगती है। दर्द होने पर एक्स-रे करवाकर यह जांचना जरूरी होता है कि चोट वाले स्थान पर दोबारा फ्रेक्चर तो नहीं हो रहा है। इसी तरह आर्थराइटिस की वजह से भी घुटने का दर्द होता है।
ऐसे करें देखभालः घुटने में दर्द होने पर आराम करें। वजन उठाने, दौड़ने, तेज चलने, ऊबड़-खाबड़ वाले स्थान पर चलने से बचें। बैंडेज बांधें। सोते समय पैर को ऊपर उठाकर रखें। इसके लिए पैर के नीचे तकिया रखा जा सकता है। यदि दर्द निवारक तेल की मालिश कर रहे हैं तो उसे हल्के हाथ से करें।