अस्थमा, सांसों की एक गंभीर समस्या है, जिसके कारण हर साल लाखों लोगों की मौत हो जाती है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में यह रोग हर साल 45 लाख से अधिक लोगों की मौत का कारण बनता है जिसमें से करीब 43 फीसदी मौतें भारत से रिपोर्ट की जाती हैं। लखनऊ मेडिकल कॉलेज में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार अस्थमा को लेकर गलत जानकारियों, देखरेख-बीमारियों के निदान में देरी और मरीजों को समय पर दवा न मिल पाने के कारण यह रोग बढ़ता जा रहा है।
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अस्थमा के कारण क्या हैं?
अस्थमा, कोल्ड-फ्लू जैसे वायरस से संक्रमण, एलर्जी, धूल-धुंए आदि के कारण ट्रिगर हो सकता है। अस्थमा रोग, वायुमार्ग या ब्रोन्कियल नलियों की अंदरूनी परतों में सूजन का कारण बनती है। इससे फेफड़ों में हवा का संचार बाधित हो सकता है, जिसके कारण रोगियों को सांस लेने में दिक्कत और सांस छोड़ते समय सीटी-घरघराहट की आवाज आ सकती है।
अस्थमा अटैक के दौरान, वायुमार्ग सूज जाते हैं उनके आसपास की मांसपेशियां कड़ी हो जाती हैं जिसके कारण फेफड़ों में हवा का आना-जाना मुश्किल हो जाता है। यह स्थिति गंभीर हो सकती है।
अस्थमा की पहचान कैसे की जाती है?
सांस लेने में होने वाली दिक्कतें और अक्सर धूल-धुंए के कारण इन समस्याओं का बढ़ जाना यह संकेत है कि आपको अस्थमा हो सकती है। यह भी जरूरी नहीं है कि अस्थमा के जो लक्षण किसी व्यक्ति को हो रहे हैं वह दूसरों को भी हों। जैसे सांस छोड़ते समय घरघराहट होना सभी लोगों में जरूरी नहीं है, कई लोगों में यह इतने धीरे होती है कि सुनने के लिए सहायक उपकरणों की जरूरत हो सकती है।
इसके कुछ सामान्य लक्षणों के बारे में सभी लोगों को जानना चाहिए।
- सांस लेने में कठिनाई होना।
- व्यायाम या कोई भारी काम करते समय खांसी होना।
- सीने में जकड़न और दर्द बने रहना।
- बेचैनी या घबराहट की दिक्कत
- बार-बार श्वसन संक्रमण होना।
क्यों होती है ये बीमारी
डॉक्टर कहते हैं, कई ऐसे कारण हैं जो अस्थमा रोग को विकसित कर सकते हैं। इसका आनुवंशिक खतरा भी होता है जैसे यदि माता-पिता या भाई-बहन को अस्थमा रहा है, तो आपको भी इसका जोखिम हो सकता है। इसके अलावा बचपन के दौरान गंभीर वायरल संक्रमण जैसे कि रेस्पिरेटरी सिन्सिटियल वायरस इन्फेक्शन (RSV) या गंभीर कोविड-19 वालों में भी इसके विकसित होने का जोखिम देखा गया है।
साल 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, मोटापा के कारण बच्चों और वयस्कों दोनों में अस्थमा रोग और इसके ट्रिगर होने का खतरा हो सकता है।
अस्थमा का इलाज और बचाव के उपाय
अस्थमा को पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है, दवाइयों के माध्यम से इसके लक्षणों की गंभीरता और अस्थमा अटैक को रोकने का प्रयास किया जाता है। रोगियों को अस्थमा अटैक के दौरान तुरंत इनहेलर के प्रयोग की सलाह दी जाती है। हमेशा अपने पास में इनहेलर रखें।
इसके अलावा अस्थमा रोग से बचाव के लिए इसको ट्रिगर करनी वाले रसायनों, खास प्रकार की गंध या धूल-धुंए से बचाव करें। स्वस्थ-संतुलित आहार और नियमित योग-सांस के अभ्यास, इस रोग के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
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नोट: यह लेख योग विशेषज्ञों के सुझावों के आधार पर तैयार किया गया है।
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