दिल के मरीजों के लिए यूं तो सर्दी का मौसम मुश्किल वक्त माना जाता है। क्योंकि इस मौसम में आमतौर पर मरीजों की संख्या बढ़ जाती है, लेकिन इस बार ठंड आने से दो माह पहले ही राजधानी के अस्पतालों में दिल के मरीजों की संख्या बढ़ गई है। पिछले माह के मुकाबले करीब 40 फीसदी ज्यादा मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। खास ये कि इसमें बुजुर्गों के साथ ही 30 से 35 साल के युवाओं की संख्या भी करीब 30 फीसदी के आसपास है। यह कोरोना का असर है, यह तो स्पष्ट नहीं है, लेकिन चिकित्सकों का कहना है कि कोविड के दौरान इलाज बाधित रहना, इलाज में लापरवाही, बिगड़ी दिनचर्या, कोविड में अपनों को खोने या बेरोजगारी की टेंशन इसकी वजह हो सकती है।
लखनऊ में दिल के रोगियों के इलाज का सबसे बड़ा केंद्र केजीएमयू ही है। कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान यहां भले ही सामान्य ओपीडी बंद कर दी गई थी, लेकिन इमरजेंसी सेवाएं जारी रहीं। केजीएमयू में एक माह पहले 300 से 400 मरीज दिल से जुड़ी शिकायत लेकर पहुंच रहे थे, लेकिन इस समय यह संख्या 500 के पार पहुंच रही है। हालांकि, यहां अभी सीमित संख्या में 200 मरीज ही ओपीडी में देखे जा रहे हैं। इससे बाकी मरीजों के लिए मुश्किल हो रही है।
लखनऊ में दिल के रोगियों के इलाज का सबसे बड़ा केंद्र केजीएमयू ही है। कोविड की पहली और दूसरी लहर के दौरान यहां भले ही सामान्य ओपीडी बंद कर दी गई थी, लेकिन इमरजेंसी सेवाएं जारी रहीं। केजीएमयू में एक माह पहले 300 से 400 मरीज दिल से जुड़ी शिकायत लेकर पहुंच रहे थे, लेकिन इस समय यह संख्या 500 के पार पहुंच रही है। हालांकि, यहां अभी सीमित संख्या में 200 मरीज ही ओपीडी में देखे जा रहे हैं। इससे बाकी मरीजों के लिए मुश्किल हो रही है।