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MP: 12 वर्षों से जवानों के लिए राखियां भेज रहीं हैं रूपल सादानी, पुलवामा शहीदों के लिए दिया था 17 माह का वेतन

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, राजगढ़ Published by: शबाहत हुसैन Updated Wed, 23 Jul 2025 08:17 AM IST
सार

MP: रूपल सादानी ने अपने 17 महीनों का वेतन लगभग 81,700 पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों को दान कर दिया था। इसके साथ ही वे बीते 11 वर्षों से अपने हाथों से राखियां बनाकर देश की सरहदों की रक्षा में तैनात सैनिकों को भेज रहीं हैं। 

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MP News Rupal Sadani Sends Rakhi to Soldiers for 12 Years, Donated 17 Months’ Salary for Pulwama Martyrs
रूपल सादानी - फोटो : अमर उजाला
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देशभक्ति और भारतीय परंपरा की मिसाल राजगढ़ जिले के सारंगपुर की रूपल सादानी पेश कर रही हैं। वे बीते 11 वर्षों से अपने हाथों से राखियां बनाकर देश की सरहदों की रक्षा में तैनात सैनिकों को भेज रहीं हैं। इस वर्ष उनका यह सेवाभाव 12वें वर्ष में प्रवेश कर गया है।

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MP News Rupal Sadani Sends Rakhi to Soldiers for 12 Years, Donated 17 Months’ Salary for Pulwama Martyrs
जवानों के लिए राखियां - फोटो : अमर उजाला

रूपल सादानी का मानना है कि जब पूरा देश रक्षा बंधन पर अपने भाइयों को राखी बांधता है, तब हमारे देश के कई जवान ड्यूटी के कारण अपने घर नहीं पहुंच पाते। उन्हीं जवानों के लिए वे हर साल राखियां बनाकर रक्षा मंत्रालय को भेजतीं हैं, ताकि यह पर्व उनके लिए भी विशेष बन सके।

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राखी तैयार करतीं रूपल - फोटो : अमर उजाला

रूपल सादानी बतातीं हैं कि रक्षा बंधन केवल एक पर्व नहीं है, यह भाई-बहन के स्नेह और सुरक्षा के वचन का प्रतीक है। मेरे लिए देश के हर सैनिक भाई की रक्षा करना भी उतना ही जरूरी है, जितना एक बहन के लिए उसका सगा भाई।

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पति के साथ रूपल - फोटो : अमर उजाला

गौरतलब है कि रूपल सादानी ने 17 महीनों का वेतन लगभग 81,700 पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों के परिवारों को दान कर दिया था। यह कदम भी उनके देशप्रेम और कर्तव्यनिष्ठा का परिचायक है। भारतीय संस्कृति में रक्षा बंधन सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि भावनाओं और कर्तव्यों का पर्व है। ऐसे में रूपल सादानी जैसी महिलाएं न केवल इस परंपरा को जीवित रख रही हैं, बल्कि उसे एक नया आयाम भी दे रही हैं।

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