राजस्थान पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव के नतीजे आ चुके हैं। पंचायत समिति के अब तक के नतीजों में भाजपा ने 1989 निर्वाचन क्षेत्रों में विजय हासिल की तो कांग्रेस को 1852 निर्वाचन क्षेत्रों में जीत मिली। वहीं, जिला परिषद सदस्यों की 353 सीटों पर भाजपा काबिज हुई तो कांग्रेस 252 सीटें ही जीत सकी। इसके साथ ही, राजस्थान में जिसकी सरकार, उसके पंचायत चुनाव की परंपरा भी टूट गई। दरअसल, इससे पहले तक राजस्थान की सत्ता में जो भी सरकार काबिज होती थी, पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव भी उसकी झोली में ही जाता था, लेकिन इस बार भाजपा ने कांग्रेस की नैया पलट दी। इस रिपोर्ट में हम जानते हैं कि इन चुनावों में क्या भाजपा ने 'करिश्मा' किया या कांग्रेस अपनी ही गलतियों की वजह से हार गई?
राजस्थान पंचायत समिति चुनाव: भाजपा ने किया 'करिश्मा' या अपनी ही गलतियों से हारी कांग्रेस?
चार चरणों में हुआ था चुनाव
गौरतलब है कि राजस्थान में चार चरणों में 23 नवंबर, 27 नवंबर, एक दिसंबर और पांच दिसंबर को जिला परिषद और पंचायत समिति सदस्यों के लिए मतदान हुआ था। दरअसल, राजस्थान के 21 जिलों के 636 जिला परिषद सदस्यों और 4371 पंचायत समिति सदस्यों के लिए हुए चुनाव में कुल 12663 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। ऐसे में 21 जिला प्रमुखों के लिए हुए चुनावों में 14 पर भाजपा ने जीत हासिल की, जबकि पांच सीटें कांग्रेस की झोली में गईं।
जिला परिषद सदस्यों के अब तक के नतीजे
| पार्टी | सीट |
| भाजपा | 353 |
| कांग्रेस | 252 |
| आरएलपी | 10 |
| सीपीआईएम | 02 |
| निर्दलीय | 18 |
भाजपा ने किया 'करिश्मा'
राजस्थान के इन चुनावों में भाजपा को मिली जीत को भगवा पार्टी का करिश्मा ही कहा जा सकता है। दरअसल, 2003 और 2013 में जब राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार थी, तब जिला परिषद और पंचायत समिति की 70 फीसदी सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। वहीं, वसुंधरा सरकार के दौरान भाजपा ने इन चुनावों की 70 प्रतिशत सीटों पर कब्जा जमाया था, लेकिन इस बार राज्य में कांग्रेस की सरकार है और उसे ही करारी हार का सामना करना पड़ा।
पंचायत समिति सदस्यों के नतीजे
| पार्टी | सीट |
| भाजपा | 1989 |
| कांग्रेस | 1852 |
| आरएलपी | 60 |
| सीपीआईएम | 26 |
| बसपा | 05 |
| निर्दलीय | 439 |
पांच मंत्रियों के इलाकों में भी हारी कांग्रेस
गौर करने वाली बात यह है कि कांग्रेस को उन इलाकों में भी हार का सामना करना पड़ा, जहां उसके मंत्री हैं। दरअसल, पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना और खेल राज्य मंत्री अशोक चांदना के इलाकों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है।
सरकार होने के बाद भी कांग्रेस क्यों हारी?
अब सवाल यह उठता है कि राज्य में अपनी सरकार होने के बाद भी कांग्रेस को हार का सामना क्यों करना पड़ गया? इसके लिए सबसे बड़ी वजह संगठन की मौजूदगी न होना बताया जा रहा है। दरअसल, कांग्रेस का संगठन न तो प्रदेश स्तर पर नजर आया और न ही जिला स्तर पर। इसके अलावा विधायकों पर अपने-अपने रिश्तेदारों को टिकट बांटने का भी आरोप लग रहा है, जिससे कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ गई।