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Janmashtami 2022: कौन था बर्बरीक जिसका कृष्ण और महाभारत से है संबंध

लाइफस्टाइल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अपराजिता शुक्ला Updated Thu, 18 Aug 2022 12:44 AM IST
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Janmashtami 2022 Barbarik Mahabharat History Story and Relation With Lord Krishna In Hindi
janmashtami 2022

श्रीकृष्ण ने अपने जीवनकाल में अनेक लीलाएं की। जिसमे महाभारत का युद्ध सबसे महत्वपूर्ण था। इस युद्ध के दौरान भले ही कृष्ण ने अस्त्र ना उठाने का प्रण किया हो। लेकिन अपनी बुद्धि चातुर्य से उन्होंने पांडवों को जिताने का भरसक प्रयास किया। इसी कड़ी में एक लीला कृष्ण की बर्बरीक के साथ भी है। जो पांडवों के दूसरे ज्येष्ठ भ्राता गदाधारी भीमसेन के पोते थे। 

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Janmashtami 2022 Barbarik Mahabharat History Story and Relation With Lord Krishna In Hindi
Khatu Shyam Ji - फोटो : iStock

कुछ किताबों के अनुसार बर्बरीक पूर्वजन्म में यक्ष थे। जिनका जन्म द्वापरकाल में गदाधारी भीमसेन के पोते के रूप में हुआ था। दरअसल, भीमसेन ने राक्षसी हिडिंबा से विवाह किया था। जिस विवाह के फलस्वरूप भीम को घटोत्कच रूपी पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई थी। बर्बरकी भीम पुत्र घटोत्कच का ही पुत्र था।। जो कि अपने दादा और पिता के समान ही महान बलशाली और हमेशा सत्य का साथ देने वाला था। महान योद्धा और वीर बर्बरीक की पूजा सुप्रसिद्ध खाटू श्याम महाराज के रूप में की जाती है। जिनकी कथा कुछ इस प्रकार से है। 

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krishna - फोटो : social media

बर्बरीक बालकाल से ही वीर और महान योद्धा थे। उनकी माता ने ही बर्बरीक को युद्ध की दीक्षा दी थी। दरअसल, बर्बरीक की मां ने मां आदिशक्ति की घोर तपस्या कर उन्हें प्रसन्न किया था। और वरदान के रूप में तीन अभेद्य बाण मांगे थे। जिन्हें मां आदिशक्ति ने बर्बरीक की मां को दिए थे। तीन अभेद्य बाणों की वजह से ही बर्बरीक की मां का नाम तीन बाणधारी प्रसिद्ध था। वहीं इन बाणों के साथ ही वाल्मिकी ने उन्हें धनुष प्रदान किया था। जो बर्बरीक की मां को तीनों लोकों में विजय प्राप्त करने में मदद कर सकता था। 

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lord shri krishna

जब कौरवों और पांडवों के बीच युद्ध होना सुनिश्चित हो गया। तो इसकी सूचना बर्बरीक को भी प्राप्त हुई। ऐसे में बर्बरीक ने भी अपने प्रियजनों के साथ युद्ध में शामिल होने का निर्णय किया। और मां से विदा लेकर चलने को आतुर हुए। तब माता ने उनसे आशीर्वाद स्वरूप उनसे हारे हुए पक्ष की तरफ से युद्ध लड़ने का वचन लिया। क्योंकि बर्बरकी महान योद्धा और वीर थे। साथ ही उनके पास मां आदिशक्ति का दिया हुआ तीन बाण और धनुष भी मौजूद था। इसलिए वो जिस भी सेना की तरफ से लड़ते उसकी जीत सुनिश्चित थी। 

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shri krishna

भगवान कृष्ण ये भलीभांति जानते थे कि इस युद्ध में हार कौरवों की होगी और बर्बरीक को माता के वजन के फलस्वरुप उसी पक्ष की ओर से लड़ना होगा। इसलिए श्रीकृष्ण ब्राह्मण वेश में बर्बरीक को रोकने चल दिए। बर्बरीक को रास्ते में ब्राह्मण वेश में रोकते हुए उन्होने बर्बरीक से रणभूमि की ओर जाने का प्रयोजन पूछा। जिसका जवाब सुन ब्राह्मण भेषधारी श्री कृष्ण ने बर्बरीक का मजाक बनाया और कहा कि क्या वो केवल तीन बाणों से युद्ध लड़ेंगे। तब बर्बरीक ने उत्तर दिया कि केवल एक बाण ही पूरी शत्रु सेना को मार गिराने के लिए पर्याप्त है। साथ ही ये बाण कार्य पूरा करने के बाद अपने तरकस में  वापस भी आ जाएगा। 

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