Krishna Janmashtami 2022: जब भी प्रेम की बात होती है, भगवान श्रीकृष्ण का नाम सबसे पहले आता है। श्रीकृष्ण को प्रेम और स्नेह का प्रतीक माना जाता है। पुराणों के अनुसार, श्रीकृष्ण की 16 हजार 108 रानियां थीं। श्रीकृष्ण की मुख्य रानियों में रुक्मणि, सत्यभामा का नाम शामिल है। इसके अलावा बाल्यावस्था में श्रीकृष्ण के गोकुल में गोपियों संग रासलीला की कहानियां आज भी मशहूर हैं। हालांकि सभी को प्रेम और स्नेह का पाठ पढ़ाने वाले श्रीकृष्ण का नाम सिर्फ राधा के साथ ही लिया जाता है। हर कोई प्रभु कृष्ण के नाम का जाप करते समय 'राधे श्याम' का उच्चारण करता है। भले ही उनकी 160108 रानियां थीं लेकिन जब प्रेम की मिसाल दी जाती है तो श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम सबसे ऊपर होता है। श्रीकृष्ण और राधा की प्रेम कहानियां पीढ़ी दर पीढ़ी सुनने को मिलती हैं। लेकिन जब भी राधारानी और श्रीकृष्ण के प्रेम का जिक्र होता है तो यह सवाल जरूर मन में उठता है कि जब दोनों के बीच इतना प्रेम था, तो कृष्ण ने राधा से विवाह क्यों नहीं किया? 16108 रानियों में एक राधा क्यों नहीं थीं? इस साल 19 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर जानिए कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी के बारे में, आखिर कृष्ण ने राधा से शादी क्यों नहीं की थी?
Krishna Janmashtami 2022: राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी, भगवान श्रीकृष्ण ने राधा से शादी क्यों नहीं की?
कौन थीं राधा?
पद्म पुराण के मुताबिक, राधा वृषभानु नाम के एक गोप की पुत्री थीं। कुछ विद्वान मानते हैं कि राधा का जन्म यमुना नदी के पास स्थित रावल गांव में हुआ था। बाद में उनके पिता बरसाना में आकर बस गए थे। हालांकि कुछ लोगों का यह मानना है कि राधा का जन्म बरसाना में ही हुआ था। बरसाना में राधा जी को लाडली कहा जाता है। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा जी कृष्ण से चार साल बड़ी थीं और उनकी मित्र थीं।
राधा जी से जुड़ी कई अन्य मान्यताएं भी हैं। ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, राधा का विवाह रायाण नाम के व्यक्ति से हुआ था, जो कि माता यशोदा के भाई थे। यानी रिश्ते में राधा कृष्ण की मामी लगती थीं। हालांकि अन्य पुराणों में ऐसा जिक्र नहीं मिलता।
राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी
मान्यता है कि जब श्रीकृष्ण आठ साल थे, तो उनकी मुलाकात राधा से हुई, जो 12 साल की थीं। श्रीकृष्ण राधा से प्रेम करने लगे। दोनों एक दूसरे से विवाह भी करना चाहते थे। जब ये बात राधा के घर वालों को पता चली, तो उन्होंने राधा को घर में कैद कर दिया। वह लोग राधा और कृष्ण की विवाह के इसलिए भी खिलाफ थे क्योंकि राधा की मंगनी हो चुकी थी। कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने राधा रानी से शादी करने की हठ कर दी थी। इस पर यशोदा माता और नंदबाबा उन्हें ऋषि गर्ग के पास ले गए। ऋषि गर्ग ने भी कान्हा को बहुत समझाया। इसके बाद कान्हा का मथुरा बुलावा आ गया। वह हमेशा के लिए वृंदावन छोड़कर मथुरा चले गए। उन्होंने राधा से वादा किया था कि वह वापस लौटेंगे लेकिन वह कभी वापस नहीं आए। न ही राधा जी के मथुरा या द्वारका जाने का जिक्र मिलता है।
क्यों नहीं हुआ राधा और कृष्ण का विवाह?
राधा और कृष्ण का विवाह न होने के कई कारण बताए जाते हैं। इसमें से एक कारण नारद जी का श्राप भी माना जाता है। रामचरित मानस के बालकांड के अनुसार, माता लक्ष्मी के स्वयंवर में नारद जी भी जाना चाहते थे। भगवान विष्णु ने नारद जी के साथ छल करते हुए उन्हे खुद का स्वरूप देने के बजाए वानर का स्वरूप दे दिया, जिसकी वजह से माता के स्वयंवर में नारद जी का काफी उपहास हुआ। जब नारद जी को इस बात का पता चला तो वह बैकुंठ पहुंचकर विष्णु जी से बहुत नाराज हुए और श्राप दिया कि उन्हें पत्नी की वियोग सहना होगा। यही वजह है कि रामचंद्र अवतार में उन्हें सीता का वियोग सहना पड़ा और कृष्ण अवतार में देवी राधा से उनका विवाह न हो सका।
क्या राधा ने शादी से किया था मना?
एक मत यह भी है कि देवी राधा ने ही श्रीकृष्ण से विवाह के लिए मना किया था। राधा यशोदा पुत्र कान्हा से प्रेम करती थीं लेकिन जब वह मथुरा गए तो राधा रानी खुद को महलों के जीवन के लिए उपयुक्त नहीं मानती थीं। लोग चाहते थे कि श्रीकृष्ण एक राजकुमारी से विवाह करें। इसलिए राधा ने श्रीकृष्ण से विवाह न करने की ठान ली।
ये भी कहा जाता है कि राधा को महसूस हो चुका था कि श्रीकृष्ण भगवान का अवतार हैं। वह खुद को एक भक्त मानने लगी थीं। राधा श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन हो चुकी थीं। वह भगवान से विवाह नहीं कर सकती थीं।