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चाणक्य नीति: इन परिस्थितियों में माता-पिता, संतान और जीवनसाथी भी हो सकते हैं एक-दूसरे के दुश्मन

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: Shashi Shashi Updated Fri, 02 Jul 2021 09:22 AM IST
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chanakya niti in these circumstances father mother wife and son can also be enemies
आचार्य चाणक्य - फोटो : Social media

आचार्य चाणक्य चंद्रगुप्त मौर्य के महामंत्री और मौर्य साम्राज्य के संस्थापक थे। इन्हें चाणक्य नाम अपने गुरु चणक से प्राप्त हुआ था। इसके अलावा कई विषयों का गहन ज्ञान होने के कारण ये कौटिल्य के नाम से भी विख्यात थे। ये कूटनीति और राजनीति में कुशल थे। इसके अलावा ये एक महान अर्थशास्त्री होने के साथ योग्य शिक्षक भी थे। इनके जीवन का एक बड़ा भाग अध्ययन-अध्यापन में ही व्यतीत हुआ था। आचार्य चाणक्य ने  अपने जीवन में विपरीत से विपरीत परिस्थितियों का भी सामना किया परंतु कभी भी अपना धैर्य नहीं खोया और अपनी बुद्धिमत्ता व नीतियों के बल पर इन्होंने नंदवंश का नाश करके चंद्रगुप्त को एक शासक के रुप में स्थापित करके इतिहास की धारा को बदल कर रख दिया था। इनका जीवन हर व्यक्ति के लिए प्रेरणादायी है। इसकी साथ इनके द्वारा लिखे गए नीतिशास्त्र की बातें भी मनुष्य को सही राह दिखाती हैं। आज के समय में भले ही कुछ लोग इनकी नीतियों से सहमत न होते हो या फिर इनकी नीतियों को बहुत ही कठोर समझते हैं लेकिन ये कठोरता ही जीवन की सच्चाई है। आचार्य चाणक्य ने नीतिशास्त्र में निजी रिश्तों से लेकर आर्थिक, सामाजिक सभी के विषये में अपने विचार व्यक्ति किए हैं। इसी विषय में आचार्य चाणक्य ने ऐसी परिस्थितियों का वर्णन भी किया है जब माता-पिता और संतान भी एक दूसरे के लिए शत्रु हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं कि कौन सी हैं वे परिस्थितियां।

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आचार्य चाणक्य - फोटो : Social media

ऋणकर्ता पिता शत्रुर्माता च व्यभिचारिणी।
भार्या रूपवती शत्रु: पुत्र: शत्रुरपण्डित:।।

चाणक्य नीति कहती है कि जो पिता कर्ज लेकर उसे चुकाता नहीं है जिसका भार पुत्र पर आ जाता है तो वह पिता अपने पुत्र के लिए शत्रु समान हो जाता है। पिता के द्वारा लिए गए अत्यधिक ऋण के कारण पुत्र का जीवन कष्टकारी हो जाता है, इसलिए आचार्य चाणक्य कहते हैं कि ऐसी परिस्थिति में एक पिता अपने पुत्र के लिए शत्रु से कम नहीं होता है। 

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आचार्य चाणक्य - फोटो : Social media

मां और संतान की तुलना किसी रिश्ते से नहीं कि जा सकती है यह रिश्ता संसार में सभी रिश्तों से ऊपर होता है लेकिन कुछ परिस्थितियां ऐसी भी होती हैं जब मां अपनी संतान के लिए शत्रु के समान हो जाती है। आचार्य चाणक्य कहते हैं कि यदि एक मां अपनी संतानों के बीच फर्क करती है तो एक समान व्यवहार नहीं करती है तो वह संतान के लिए शत्रु के समान होती है। इसके अलावा जिस स्त्री के संबंध अपने पति के अलावा किसी परपुरुष के साथ होते हैं तो ऐसी स्त्री न केवल पति के लिए अपितु वह अपने पुत्र के लिए भी शत्रु के समान होती है। 

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आचार्य चाणक्य - फोटो : Social media

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अत्यधिक सुंदर पत्नी होना कई बार पति के लिम समस्या की वजह बन सकती है और यदि पति अपनी पत्नी की रक्षा करने में समर्थ न हो, कमजोर हो तो वह अपनी पत्नी के लिए किसी शत्रु से कम नहीं होता है।

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आचार्य चाणक्य - फोटो : Social media

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि जहां एक अच्छी बुद्धिमान संतान माता-पिता के लिए अनमोल होती है तो वहीं मूर्ख संतान माता-पिता के लिए किसी शत्रु से कम नहीं होती है। मूर्ख संतान के कारण माता-पिता का पूरा जीवन दुखों से भर सकता है, इसलिए कहा गया है कि मूर्ख संतान  माता पिता के लिए दुश्मन के समान होती है।

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