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हाईवे कांड: 9 साल बीते, नहीं भूली वो भयावह रात..आज भी आंखों में तैर रहे राक्षसी चेहरे; पीड़िता ने तोड़ी खामोशी
विकास वत्स, अमर उजाला, बुलंदशहर
Published by: शाहरुख खान
Updated Tue, 23 Dec 2025 10:43 AM IST
सार
बुलंदशहर हाईवे कांड की पीड़िता नौ साल बीतने के बाद भी वो खौफनाक रात नहीं भूली है। पीड़िता की आंखों में आज भी राक्षसी चेहरे हैं। पीड़िता ने बताया कि एक काली रात ने हंसती-खेलती जिंदगी को उम्रभर का सन्नाटा दिया।
वह रात कभी खत्म क्यों नहीं होती। नौ साल बीत गए, लेकिन जब भी आंखें मूंदती हूं, वही चीखें, वही अंधेरा और वही राक्षसी चेहरे सामने आ जाते हैं। यह दर्द उस बेटी का है, जिसने नौ साल पहले हाईवे पर वह खौफनाक मंजर झेला, जिसे सुनकर आज भी लोगों की रूह कांप जाती है।
बुलंदशहर की अदालत में पांच दरिंदों को सजा सुनाए जाने के बाद पीड़िता ने अपनी खामोशी तोड़ी। वर्तमान में बरेली में रह रही पीड़िता ने बताया कि एक काली रात ने उनकी हंसती-खेलती जिंदगी को उम्रभर का सन्नाटा दे दिया। आज भी कई रातें ऐसी होती हैं, जब वह घबराकर नींद से जाग जाती है। वह अब खुद न्यायिक अधिकारी बनकर ऐसे अपराधियों को सजा देना चाहती है।
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हाईवे कांड के आरोपी जुबैर और साजिद को जेल लेकर जाती पुलिस
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
रुंधे गले से वह कहती हैं कि दरिंदों के चेहरे याददाश्त में पत्थर की लकीर की तरह दर्ज हैं। उन्होंने सिर्फ शरीर को नहीं नोचा, बल्कि भविष्य और खुशियां भी तबाह कर दीं। वे इंसान नहीं, राक्षस थे। उन्होंने बताया, वह चाहती हैं कि दोषियों को ऐसी सजा मिले, जिससे किसी और बेटी को उस रात का खौफ न झेलना पड़े।
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हाईवे कांड के आरोपी धर्मवीर उर्फ राका को जेल लेकर जाती पुलिस
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
कांटों भरी रही न्याय की लड़ाई
न्याय की यह लड़ाई इस परिवार के लिए कांटों भरी रही है। पीड़िता और उनके पिता ने बताया कि पिछले नौ वर्षों में उन्हें छह बार अपना घर बदलना पड़ा। जैसे ही आसपास के लोगों को उनके अतीत की भनक लगती, उनका नजरिया बदल जाता। सहानुभूति के बजाय नफरत भरी नजरों से घूरना, फब्तियां कसना और कानाफूसी शुरू हो जाती। घर के आसपास संदिग्ध लोगों की आवाजाही बढ़ जाती।
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कोर्ट परिसर में हाईवे कांड की सुनाई गई सजा के दौरान मौजूद पुलिस बल
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
बदनामी और डर के कारण हर बार शहर छोड़ना पड़ा। इस त्रासदी ने परिवार को आर्थिक रूप से भी तोड़ दिया। पीड़िता के पिता, जो कभी तीन टैक्सियों के मालिक थे, आज रात की शिफ्ट में दूसरों की गाड़ी चलाने को मजबूर हैं। वह कहते हैं कि कभी हमारे पास सब कुछ था, आज 12 से 15 हजार की नौकरी कर रहे हैं, जिससे बेटी की पढ़ाई पूरी हो सके। उन्होंने बताया कि बेटी ने बीए ऑनर्स इंग्लिश से की है। अब एलएलबी की तैयारी कर रही है।
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हाईवे कांड के आरोपी सुनील और नरेश को जेल लेकर जाती पुलिस
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
सजा से पहले टूट गईं चश्मदीद ताऊ की सांसें
घटना के समय गाड़ी में पीड़िता के ताऊ भी मौजूद थे। वे उस रात के सबसे बड़े चश्मदीद थे। परिजनों के मुताबिक, उस सदमे से वह कभी उबर नहीं पाए। एक माह पूर्व दवा लेने फैजानपुर गए ताऊ की मुरादाबाद में ट्रेन के भीतर हार्ट अटैक से मौत हो गई। वह दोषियों को सजा मिलते देखना चाहते थे, लेकिन नियति को कुछ और मंजूर था।
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