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#KabTakNirbhaya: यूपी 112 तो ठीक, 1090 पर भरोसा मुश्किल, अमर उजाला ने परखी हकीकत

अमर उजाला टीम, गोरखपुर Published by: विजय जैन Updated Wed, 04 Dec 2019 07:53 PM IST
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amarujala team reality check on woman security after hyderabad case
अमर उजाला ने परखी महिला सुरक्षा की हकीकत व पुलिस की सक्रियता - फोटो : rajesh kumar
महिला सुरक्षा के प्रति पुलिस की चुस्ती गोरखपुर में काफी हद तक बेहतर मिली है। हैदराबाद में महिला पशु चिकित्सक के साथ हुई घटना के बाद सोमवार देररात शहर की कुछ सड़कों पर सुरक्षा व पुलिस की सतर्कता की पड़ताल की गई। देखकर खुशी मिली कि शहर की बेटियां यहां तो महफूज हैं। हां, एक टीस रात से ही मन में चुभने लगी।


पड़ताल के वक्त जब सुनसान सड़क पर युवती अकेली खड़ी थी तो आने जाने वाली गाड़ियों में बैठे लोगों की नजरें ऐसे घूर रही थीं कि मानों.....। तब लगा कि पुलिस का डर नहीं होता तो घूरती निगाहें क्या करतीं? सोच कर लगा कि उनके घर में भी अपना परिवार होगा, अगर उनके साथ कुछ ऐसा हो तो न जाने क्या करने पर आमादा हो जाएं, तो दूसरों के घर की बेटियों को आखिर अपना समझना में क्या परहेज। काश! पुलिस की ये तत्परता हमेशा बनी रहे। खैर, रात की पड़ताल कुछ यूं थी।
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अमर उजाला ने परखी महिला सुरक्षा की हकीकत व पुलिस की सक्रियता - फोटो : rajesh kumar
सड़क: देवरिया बाई पास से सर्किट हाउस जाने वाली  
स्थान- जैमिनी गार्डेनिया
समय- रात 9:49 बजे

‘अमर उजाला’ तिराहा स्थित सिटी ऑफिस के पास स्कूटी पर सवार हुई। सहारा इस्टेट की तरफ निकली तो सड़क पर सन्नाटा पसरा था। चंद मिनट में ही देवरिया रोड से सर्किट हाउस की सड़क पर पहुंच गई। ठीक जैमिनी गार्डेनिया अपार्टमेंट के पास से रात 9.49 बजे यूपी-112 पर फोन किया लेकिन फोन लगा नहीं।

दूसरी बार यूपी-100 ट्राई किया और सामने से आवाज आई आपकी क्या मदद कर सकते हैं? मैंने, घबराते हुए कहा कि गार्डेनिया अपार्टमेंट के पास कुछ लड़कों ने छींटाकशी की और अब लगातार पीछा कर रहे हैं। दूसरी तरफ से महिला की आवाज आई कि आप जहां खड़ी हैं, क्या वहीं मदद चाहती हैं। मैने हां में जवाब दिया। उधर से फोन कट गया। पांच मिनट के अंदर ही पहले पीसीआर और फिर आजाद नगर चौकी इंचार्ज सूरज सिंह का फोन मेरे पास आ गया। दोनों जगह से हाल पूछा गया और कहा गया कि आप घबराएं नहीं। हौसला बनाए रखें। पुलिस पहुंच रही है। इस बातचीत के 10 मिनट के अंदर ही पैडलेगंज की पीआरवी 0319 मौके पर पहुंच गई। इसमें हेड कांस्टेबल विजय बहादुर गिरी, संजीव कुमार और चालक आलोक धर दूबे थे।

पीआरवी से उतरते ही सबने मेरा हाल पूछा। इसी बीच रामगढ़ताल थाने से एसएसआई अखिलेश ओझा दलबल के साथ पहुंच गए। तब पुलिस कर्मियों से बताया गया कि यह रियलिटी चेक है। अमर उजाला की तरफ से महिला सुरक्षा और पुलिस की सक्रियता की पड़ताल की जा रही है। इस पड़ताल में ऊपर से लेकर नीचे तक का पुलिस तंत्र सक्रिय दिखा। समय पर सुरक्षा भी मिली। हालांकि पीआरवी समय से पहुंची थी, फिर भी चालक ने कहा कि हमारी पीआरवी की तैनाती कैंट इलाके के पैडलेगंज में थी। यहां की पीआरवी डांगीपार गई थी। इस कारण आने में कुछ देरी हुई। इसका मतलब था कि यदि पैडलेगंज की पीआरवी होती तो और जल्दी मदद मिल सकती थी।
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अमर उजाला ने परखी महिला सुरक्षा की हकीकत व पुलिस की सक्रियता - फोटो : rajesh kumar
महिला लाइन तो है लेकिन ‘हेल्प’ नहीं
सड़क: रेलवे अस्पताल की तरफ जाने वाली  
स्थान- रेलवे कॉलोनी बिछिया
समय:  रात 10:47 बजे

जैमिनी गार्डेनिया से फिर स्कूटी पर सवार हुई। रामगढ़ताल के किनारे की सड़क पकड़ी तो कई कार सवारों ने ओवर टेक किया। कुछ ने कार धीमी की और शीशा उतारकर घूरा भी। एक बार डर लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ न हो जाए लेकिन भगवान का शुक्र है ऐसा नहीं हुआ। पैडलेगंज से मोहद्दीपुर चौराहा पहुंची, फिर मोहद्दीपुर फ्लाईओवर होते हुए रेलवे कॉलोनी बिछिया पहुंच गई। रेलवे अस्पताल से पहले सन्नाटे वाली सड़क पर रुकी और वहां से रात 10:47 बजे वीमेन पावर हेल्प लाइन 1090 पर फोन मिलाया।

पहली बार में फोन कट गया। एक मिनट बाद ही दोबारा फोन किया तो दूसरी तरफ से आवाज आई, आपकी क्या मदद कर सकती हूं? घबराए अंदाज में मैंने कहा मैडम मेरी चेन छीन ली गई। अब चेन स्नेचर पीछा कर रहे हैं। रेलवे अस्पताल में मेरे रिश्तेदार भर्ती हैं, वहीं आई थी। अब जाने का साधन नहीं मिल रहा है। बड़ी मुश्किल में हूं। फिर क्या था, फोन की दूसरी तरफ से सवालों की बौछार। आप कौन बोल रही हैं? कहां से बोल रही हैं? हम आप तक मदद पहुंचाएंगे। इतना था कि कॉल डिस्कनेक्ट हो गई।

मुझे लगा कि कॉल कट गई, शायद कोई दिक्कत होती। मैंने, फिर उसी नंबर पर फोन मिलया। ऐसा लगा कि पहली वाली मैडम ने ही फोन उठाया और कहा कि आप घबराइए नहीं, मदद मिल रही है। 30 मिनट तक इंतजार किया, फिर वहां से निकलना ही उचित समझा। देररात 11.29 बजे एक कांस्टेबल ने मेरा फोन मिलना शुरू किया।

फोन साइलेंट था, देखा भी नहीं तो एक के बाद एक नौ मिस कॉल पड़ी मिली। 10वीं बार में फोन उठाया तो कांस्टेबल महोदय भड़क पड़े। बोले-बहुत देर से फोन मिला रहे हैं। आप उठा ही नहीं रही हैं। अब सवाल उठता है कि 15 मिनट में मदद का प्रावधान है, ऐसे में 42 मिनट बाद ताबड़तोड़ फोन करना कहां तक उचित है।
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अमर उजाला ने परखी महिला सुरक्षा की हकीकत व पुलिस की सक्रियता - फोटो : rajesh kumar
यूपी 112 मुख्यालय का रिस्पांस अच्छा
यूपी 112 का रिस्पांस बहुत अच्छा मिला। देररात समय से मदद भी मिली, फिर सुबह फोन करके हालचाल पूछा गया। दोपहर दो बजे के बाद यूपी 112 मुख्यालय से फिर फोन आया। पूछा गया कि आपको समय से मदद मिली थी या नहीं? मैंने कहा, आपकी सेवाएं सुपर हैं लेकिन 1090 से निराशा मिली।
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सवालों की बौछार से बचें, जीपीएस लोकेशन से मदद पहुंचाए पुलिस
जहां महिला इस कदर घबराई हो, कुछ बताने की स्थिति में न हो, ऐसे में सवाल करना उचित नहीं है। हेल्पलाइन नंबर पर फोन मिलाते ही सवालों का सिलसिला शुरू होता है। यही हुआ 1090 पर फोन मिलाने के बाद। पुलिस को चाहिए कि मोबाइल फोन के जीपीएस से लोकेशन हासिल करे और परेशानी में फंसी महिला की मदद करे। ज्यादातर मामलों में डर के मारे महिला कुछ बता नहीं पाती हैं। उनकी मनोदशा को समझकर पुलिस को काम करना होगा।


रियलटी चेक टीम - मान्यता कुशवाहा, रोहित सिंह और विवेक सिंह। फोटो जर्नलिस्ट राजेश कुमार
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