बांदा जिले में यमुना नदी में नाव पलटने के बाद बड़ा खौफनाक मंजर नजर आया। ‘बचाओ-बचाओ’ की चीखों के अलावा कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। 20-25 लोग तेज बहाव में बहते चले जा रहे थे। इनमें 5-6 ऐसी महिलाएं भी थीं, जो अपने दुधमुंहे बच्चे को गोद में समेटे बहते हुए जिंदगी की गुहार लगाती रहीं। लेकिन कोई कुछ नहीं कर सका। नदी से सुरक्षित निकले प्रत्यक्षदर्शियों ने बयां की घटना।
Banda Boat Accident: बचाओ-बचाओ की चीखें, तेज बहाव में बहते लोग, प्रत्यक्षदर्शियों ने कुछ ऐसे बयां की घटना
नदी की धारा में एक-एक कर बहते लोग समाते चले जा रहे थे। उधर, मर्का गांव के बुजुर्ग रामफल ने बताया कि उसे भी असोथर गांव जाना था। लेकिन नाव में भीड़ देखकर वह नहीं गया। कहा कि नाव में बहुत भीड़ होने पर उसने नाविक को टोका था। भीड़ कम करने के लिए भी कहा, लेकिन नाविक ने नहीं सुना। उसकी यह नादानी बड़े हादसे में बदल गई।
अफसर गंभीर होते, तो न होता मर्का नाव हादसा
स्कूल जाने के लिए नाव से केन नदी पार करते बच्चों की खबर को प्रशासन ने संज्ञान ले लिया होता तो शायद मर्का में नाव पलटने से इतनी बड़ी जनहानि न होती। पहले ही उफनाती नदियों में नावों से आवागमन पर रोक लग जाना चाहिए थी। अमर उजाला ने 27 जुलाई के अंक में खबर प्रकाशित की थी कि जलस्तर बढ़ा, जान जोखिम में डालकर नाव से स्कूल जा रहे बच्चे। लेकिन प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया।
गुरुवार को मर्का की यमुना नदी में नाव पलट गई। तीन की मौत हो गई और कई लोग लापता हैं। घटना के बाद जिला प्रशासन हाथ पैर मार रहा है। आंकड़ों की मानें तो जिले में केन व यमुना, बागै व चंद्रायल नदी के 11 स्थानों पर अभी भी नावों से ग्रामीण व स्कूल जाने वाले बच्चों का आवागमन होता है। यहां पर पुल की कोई व्यवस्था नहीं है। अन्य मार्गों से आने में ग्रामीणों को आठ से 10 किलोमीटर का अतिरिक्त रास्ता तय करना पड़ता है।
नाव हादसे का पूरा घटनाक्रम
- गुरुवार को दोपहर करीब 2.30 बजे हुआ नाव हादसा।
- 4.30 पर आया स्टीमर, शुरू की लापता की तलाश।
- 4.40 बजे मासूम, महिला सहित तीन के मिले शव।
- 4.45 बजे पहुंचे जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक।
