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अयोध्या फैसले से पहले डॉ. बम करना चाहता था बड़ी वारदात, सात आतंकी पहुंचे थे अयोध्या

सुनील कुमार मिश्र, अमर उजाला, कानपुर Published by: शिखा पांडेय Updated Tue, 21 Jan 2020 04:33 PM IST
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Before the Ayodhya verdict Dr. Bomb wanted to do a big crime
अजमेर जेल से आईएसआई का नेटवर्क चला रहा था डॉ. बम - फोटो : अमर उजाला
90 के दशक में देशभर में बम धमाके करके दहशत फैलाने वाला डॉक्टर जलीस अंसारी उर्फ डॉ. बम अजमेर जेल में बैठकर आईएसआई का नेटवर्क हैंडल कर रहा था। अयोध्या मसले पर फैसला आने से कुछ दिन पहले बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए उसने नेपाल के रास्ते आतंकियों की घुसपैठ करवाई थी। हालांकि सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता की वजह से वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया।


इन सबका खुलासा होने के बाद एटीएस की एक टीम अजमेर जेल में जलीस की हाई सिक्योरिटी बैरक में पड़ताल करने पहुंची है। आशंका है कि कानपुर के फेथफुलगंज में रहने वाला डॉ. बम का पुराना साथी कयूम पूर्वी यूपी की कमान संभाल रहा था।
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Before the Ayodhya verdict Dr. Bomb wanted to do a big crime
अअजमेर जेल से आईएसआई का नेटवर्क चला रहा था डॉ. बम - फोटो : अमर उजाला
सोमवार को बनारस में आईएसआई एजेंट राशिद की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ ने कयूम की तलाश तेज कर दी है। उसका का पूरा परिवार गायब है। परिचितों और रिश्तेदारों से पूछताछ की जा रही है।मुंबई एटीएस की पूछताछ में जलीस ने बताया है कि वह अजमेर जेल से अयोध्या मसले पर आए फैसले और सीएए को लेकर बन रहे हालात पर नजर बनाए हुए था।
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अजमेर जेल से आईएसआई का नेटवर्क चला रहा था डॉ. बम - फोटो : अमर उजाला
जेल में उसके पास फोन था, इस वजह से वह अपने लोगों के संपर्क में था। इंटरनेट से पूरे देश की जानकारी मिल रही थी। हालांकि शुक्रवार को जब एसटीएफ ने उसे पकड़ा, तब उसके पास से की पैड वाला फोन ही बरामद हुआ।

मुंबई एटीएस से जानकारी मिलने के बाद एसटीएफ जलीस का एंड्रॉयड फोन तलाश करने में जुट गई है। सोमवार को एसटीएफ ने फेथफुलगंज स्थित ऊंची मस्जिद और आसपास के कई दुकानों में छानबीन की।
Before the Ayodhya verdict Dr. Bomb wanted to do a big crime
अजमेर जेल से आईएसआई का नेटवर्क चला रहा था डॉ. बम - फोटो : अमर उजाला
अयोध्या फैसले से पहले करवाई थी घुसपैठ
फैसले से दस दिन पहले सात आतंकियों के अयोध्या पहुंचने की जानकारी पर अलर्ट जारी हुआ था। इन पाकिस्तानी आतंकियों में मोहम्मद याकूब, अबू हमजा, मोहम्मद शाहबाज, निशार अहमद और मोहम्मद कौमी चौधरी की पहचान कर ली गई थी। ये आतंकी नेपाल से सोनौली बार्डर पार करके गोरखपुर के रास्ते आए थे।

जलीस ने एसटीएफ को बताया था कि वह गोरखपुर के रास्ते सोनौली बार्डर पार कर नेपाल पहुंचना चाहता था। पुलिस सूत्रों के अनुसार जलीस ने जेल में बैठकर नेपाल में ठिकाना बना लिया था। उसी ने सातों आतंकियों की घुसपैठ करवाई थी।

इसके पहले नवंबर 2017 में अयोध्या में देर रात रेकी करते हुए चेक पोस्ट पर राजस्थान के नागौर जिले के पांच संदिग्धों को पकड़ा गया था। इनसे जलीस के बारे में जानकारी मिली थी। तभी से सुरक्षा एजेंसियां जलीस की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थीं।
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अजमेर जेल से आईएसआई का नेटवर्क चला रहा था डॉ. बम - फोटो : अमर उजाला
दंगों के बाद खुद कमान संभालने निकला था
सुरक्षा एजेंसियों की अबतक की छानबीन में सामने आया कि राम मंदिर पर फैसला आने के बाद जलीस बौखलाया हुआ था। इसी बीच सीएए के विरोध में दंगे शुरु हो गए, जिसे जलीस ने जेल के भीतर से हवा दी। लेकिन उसका असली मकसद कुछ और था जो पूरा नहीं हो रहा था।

इसलिए वह फिदायीन हमले करवाकर देश में दहशत फैलाने के लिए खुद कमान संभालकर नया माड्यूल तैयार करने निकला था। इस बार आत्घाती हमले के लिए नौजवानों को प्रशिक्षण देने का सारा इंतजाम करके आया था। उसके पास से मिले तीन बैग में कुछ रसायन समेत प्रशिक्षण देेने का पूरा सामान मिला है। मुंबई एटीएस जलीस के बैग और बाकी सामान ले गई है जिसका फारेंसिक टेस्ट करवाया जा रहा है।
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