अग्निकांड में कार्डियोलॉजी प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। कार्डियोलॉजी परिसर और आईसीयू में आग बुझाने के कंडम उपकरण लगे थे। इनको चलाने वाला भी कोई नहीं था। लिहाजा शुरुआत में आग बुझाने का प्रयास तक नहीं हुआ। वहीं कार्डियोलॉजी बगैर फायर एनओसी के चल रहा है। फायर विभाग से इसकी एनओसी ही नहीं ली गई थी।
कोई भी अस्पताल आदि संचालित करने के लिए फायर विभाग की एनओसी लेनी होती है। दमकल अफसरों ने बताया कि कार्डियोलॉजी को कोई भी एनओसी जारी नहीं की गई है। हैरानी की बात ये है कि सैकड़ों मरीज हर दिन यहां भर्ती होते हैं और सैकड़ों मरीजों का आना जाना रहता है। इसके बावजूद प्रशासन इतनी बड़ी लापरवाही कर इन सभी जान आफत में डाल रहा है।
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कार्डियोलॉजी अग्निकांड: अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही का खुलासा, आग बुझाने के उपकरण कूड़ा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Mon, 29 Mar 2021 09:35 AM IST
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कानपुर: कार्डियोलॉजी के आईसीयू में लगी आग
- फोटो : अमर उजाला

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कानपुर: कार्डियोलॉजी के आईसीयू में लगी आग
- फोटो : अमर उजाला
फायर फाइटिंग सिस्टम चलने लायक नहीं
दमकल ने अपने फायर फाइटिंग सिस्टम से आग पर काबू पाया। जब उन्होंने अस्पताल के फायर फाइटिंग सिस्टम का मुआयना किया तो पता चला कि वे खराब पड़े हैं। वाटर पाइप लाइन, हाइड्रेंट पूरी तरह खराब मिले। उपकरण एक्सपायर हो चुके थे। दमकल के अधिकारियों ने बताया कि अगर फायर फाइटिंग सिस्टम सही होता और उसको चलाने वाले मौजूद होते तो आग इतनी नहीं फैल पाती।
दमकल ने अपने फायर फाइटिंग सिस्टम से आग पर काबू पाया। जब उन्होंने अस्पताल के फायर फाइटिंग सिस्टम का मुआयना किया तो पता चला कि वे खराब पड़े हैं। वाटर पाइप लाइन, हाइड्रेंट पूरी तरह खराब मिले। उपकरण एक्सपायर हो चुके थे। दमकल के अधिकारियों ने बताया कि अगर फायर फाइटिंग सिस्टम सही होता और उसको चलाने वाले मौजूद होते तो आग इतनी नहीं फैल पाती।
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कानपुर: कार्डियोलॉजी के आईसीयू में लगी आग
- फोटो : अमर उजाला
पांच साल से खराब है पानी का प्लांट
आग को काबू पाने के लिए इमारत में एक पानी का प्लांट बनाया गया था। जांच में पता चला कि वो पांच वर्षों से खराब पड़ा है। दमकल के अफसर भी वहां का निरीक्षण नहीं करते। कार्डियोलॉजी प्रशासन के साथ-साथ दमकल के अधिकारी भी उतने ही जिम्मेदार हैं।
आग को काबू पाने के लिए इमारत में एक पानी का प्लांट बनाया गया था। जांच में पता चला कि वो पांच वर्षों से खराब पड़ा है। दमकल के अफसर भी वहां का निरीक्षण नहीं करते। कार्डियोलॉजी प्रशासन के साथ-साथ दमकल के अधिकारी भी उतने ही जिम्मेदार हैं।

कानपुर: कार्डियोलॉजी के आईसीयू में लगी आग
- फोटो : अमर उजाला
नोटिस का नहीं पड़ा था असर
लाटूश रोड फायर स्टेशन के एफएसओ सुरेंद्र चौबे ने बताया कि फायर पैनल बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा है। पूरा फायर फाइटिंग सिस्टम ध्वस्त है। कुछ समय पहले एनओसी के लिए संस्थान को नोटिस दिया गया था लेकिन कार्डियोलॉजी प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
लाटूश रोड फायर स्टेशन के एफएसओ सुरेंद्र चौबे ने बताया कि फायर पैनल बिल्कुल भी काम नहीं कर रहा है। पूरा फायर फाइटिंग सिस्टम ध्वस्त है। कुछ समय पहले एनओसी के लिए संस्थान को नोटिस दिया गया था लेकिन कार्डियोलॉजी प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।
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कानपुर: कार्डियोलॉजी के आईसीयू में लगी आग
- फोटो : अमर उजाला
शीशे तोड़ने में छूट गए पसीने, नियम का नहीं हुआ पालन
आईसीयू के चारों तरफ खिड़कियां हैं, जिनके शीशे स्थायी रूप से बंद किए गए थे। जब आग लगी तो मुख्य गेट के अलावा और कहीं से किसी को बाहर निकलने की जगह नहीं मिली। दमकल व पुलिस के जवानों ने इन शीशों को तोड़ा। तब लोग बाहर निकले। शीशा बेहद मजबूत था, सरिया व कुदाल से बमुश्किल तोड़े जा सके। डीजी फायर का कहना था कि आईसीयू जैसे संवेदनशील इमारत में ओपन विंडो होनी चाहिए।
हैलट भी बगैर एनओसी चल रहा
हैलट अस्पताल का भी कुछ यही हाल है। कुछ समय पहले अमर उजाला ने खुलासा किया था कि हैलट भी बगैर फायर एनओसी के चल रहा है। इसके बाद भी न तो हैलट प्रशासन चेता और न ही कार्डियोलॉजी प्रशासन। यही नहीं शहर की करीब 90 फीसदी ऐसी इमारतें, अस्पताल आदि हैं जो बगैर एनओसी चल रहे हैं।
आईसीयू के चारों तरफ खिड़कियां हैं, जिनके शीशे स्थायी रूप से बंद किए गए थे। जब आग लगी तो मुख्य गेट के अलावा और कहीं से किसी को बाहर निकलने की जगह नहीं मिली। दमकल व पुलिस के जवानों ने इन शीशों को तोड़ा। तब लोग बाहर निकले। शीशा बेहद मजबूत था, सरिया व कुदाल से बमुश्किल तोड़े जा सके। डीजी फायर का कहना था कि आईसीयू जैसे संवेदनशील इमारत में ओपन विंडो होनी चाहिए।
हैलट भी बगैर एनओसी चल रहा
हैलट अस्पताल का भी कुछ यही हाल है। कुछ समय पहले अमर उजाला ने खुलासा किया था कि हैलट भी बगैर फायर एनओसी के चल रहा है। इसके बाद भी न तो हैलट प्रशासन चेता और न ही कार्डियोलॉजी प्रशासन। यही नहीं शहर की करीब 90 फीसदी ऐसी इमारतें, अस्पताल आदि हैं जो बगैर एनओसी चल रहे हैं।