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Kanpur: अनियंत्रित डायबिटीज वाले रोगियों पर फफूंदी का वार, 40 फीसदी में मिला संक्रमण…पढ़ें क्या है अध्ययन

रजा शास्त्री, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Tue, 08 Jul 2025 02:18 PM IST
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सार

Kanpur News: डॉ. गुप्ता ने बताया कि रोगियों में डायबिटीज के अनियंत्रित रहने का मुख्य कारण समय पर डॉक्टर को न दिखाना, दवाएं छोड़ देना या फिर तय अवधि से अधिक समय वही दवाएं खाते रहना पाया गया। इसके साथ ही रोगी शारीरिक श्रम संबंधी गाइडलाइन में कोताही बरतते हैं।

Kanpur Fungus attacks patients with uncontrolled diabetes infection found in 40 percent
डायबिटीज - फोटो : Freepik.com

विस्तार
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अनियंत्रित डायबिटीज वाले रोगियों में फफूंदी का संक्रमण बढ़ रहा है। संक्रमण की शुरुआत त्वचा से होती है। इसके बाद मूत्र तंत्र फिर मस्तिष्क तक संक्रमण पहुंच जाता है। क्लीनिक में आने वाले 50 फीसदी रोगियों की डायबिटीज अनियंत्रित रहती है। इनमें से 40 फीसदी रोगियों में फफूंदी संक्रमण हुआ है। डायबिटीज क्लीनिक प्रभारी डॉ. विशाल कुमार गुप्ता ने बताया कि विशेष क्लीनिक में औसत 2,400 रोगी इस साल आए।

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इनमें 1,200 रोगियों की डायबिटीज अनियंत्रित रही। इनमें 480 रोगियों में फफूंदी का संक्रमण मिला है। इन रोगियों की हिस्ट्री के अध्ययन से पता चला कि इनमें एक प्रतिशत रोगियों के मस्तिष्क तक फफूंदी का संक्रमण पहुंच गया। ऐसे रोगी हैलट इमरजेंसी में इंटेंसिव केयर में भर्ती किए गए।उन्होंने बताया कि डायबिटीज लगातार अनियंत्रित रहने की वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।

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रोगियों को फंगल संक्रमण जल्दी होता है
फफूंदी के कण माहौल में तैरा करते हैं। सांस के साथ अंदर भी जाते हैं, लेकिन शरीर की प्रतिरोधक क्षमता के कारण नुकसान नहीं पहुंचा पाते।  इम्युनिटी कमजोर होने पर संक्रमण हो जाता है। डायबिटीज के रोगियों को फंगल संक्रमण जल्दी होता है। यह शरीर के किसी भी अंग में चला जाता है। रोगियों की हिस्ट्री के अध्ययन में पाया गया कि त्वचा पर फफूंदी संक्रमण की शुरुआत हुई।

गाइडलाइन में कोताही बरतते हैं रोगी

इसके बाद यह रोगियों के मूत्र तंत्र में फैल गया। इस संबंध में 48 रोगियों का ब्योरा लिया गया। रोगियों में टीनिया कारपोरिस, टीनिया फ्लूरोसिस आदि फफूंदी का संक्रमण पाया गया। डॉ. गुप्ता ने बताया कि रोगियों में डायबिटीज के अनियंत्रित रहने का मुख्य कारण समय पर डॉक्टर को न दिखाना, दवाएं छोड़ देना या फिर तय अवधि से अधिक समय वही दवाएं खाते रहना पाया गया। इसके साथ ही रोगी शारीरिक श्रम संबंधी गाइडलाइन में कोताही बरतते हैं।

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