सुबह के साढ़े सात बज रहे थे। तभी अचानक से धुआं दिखने लगा। देखते-देखते हर तरफ धुआं ही नजर आ रहा था। मदद के लिए भी कोई नहीं था, किसी तरह अपने मरीज को सीढ़ियों के सहारे टटोलते हुए बाहर लेकर आए हैं। यह कहना है कार्डियोलॉजी में लगी आग में फंसे मरीजों और उनके परिजनों का।
बातचीत में बताया कि पूरे अस्पताल परिसर में सिर्फ धुआं था, समझ नहीं आ रहा था क्या करें। किसी तरह सहारा देकर मरीज को बाहर लेकर आए हैं। करीब एक घंटा तो खुले में ही बैठे रहे। जिन मरीजों के ऑक्सीजन और मशीनें लगी थीं उनको भी बिना किसी उपकरण के खुले में ही बैठना पड़ा। अधिकारियों के पहुंचने के बाद मरीजों को ओपीडी और वेटिंग रूम में शिफ्ट किया गया।
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धुआं धुआं हुआ कार्डियोलॉजी: किसी ने तोड़ा दरवाजा तो कोई टटोलते हुए आया अस्पताल के बाहर, देखें तस्वीरें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Sun, 28 Mar 2021 12:40 PM IST
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कानपुर: कार्डियोलॉजी के आईसीयू में लगी आग
- फोटो : अमर उजाला

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बिंदावती और शमां परवीन
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मरीज और उनके परिजनों से बातचीत
25 मार्च से अस्पताल में भर्ती हूं। पेसमेकर लगना है। सुबह अचानक रबड़ जलने की महक आने लगी। देखते ही देखते धुआं भर गया कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा था। कोई मदद के लिए भी नजर नहीं आ रहा था। पति रविंद्र कुमार अपना सहारा देकर बाहर तक लाए हैं। - बिंदावती, निवासी अहिरवां
दिल में सुराख है, डॉक्टर ने ऑपरेशन को बताया तो 25 मार्च को यहां भर्ती हुई थी। आज सुबह दम घुटने वाला धुआं पूरे अस्पताल में भर गया। कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। बेटे अकबर अली ने मुझे और बेटी शबनम परवीन को नीचे उतारा। करीब एक घंटा खुले में बैठे रहे, उसके बाद इलाज मिलना शुरू हुआ है। - शमां परवीन, निवासी कानपुर देहात
25 मार्च से अस्पताल में भर्ती हूं। पेसमेकर लगना है। सुबह अचानक रबड़ जलने की महक आने लगी। देखते ही देखते धुआं भर गया कुछ नहीं दिखाई पड़ रहा था। कोई मदद के लिए भी नजर नहीं आ रहा था। पति रविंद्र कुमार अपना सहारा देकर बाहर तक लाए हैं। - बिंदावती, निवासी अहिरवां
दिल में सुराख है, डॉक्टर ने ऑपरेशन को बताया तो 25 मार्च को यहां भर्ती हुई थी। आज सुबह दम घुटने वाला धुआं पूरे अस्पताल में भर गया। कुछ भी नजर नहीं आ रहा था। बेटे अकबर अली ने मुझे और बेटी शबनम परवीन को नीचे उतारा। करीब एक घंटा खुले में बैठे रहे, उसके बाद इलाज मिलना शुरू हुआ है। - शमां परवीन, निवासी कानपुर देहात
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अनन्या और बहादुर सिंह पाल
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हार्ट में वॉल पड़ा है, सुबह आग लगने के बाद मां साधना शुक्ला के साथ जीने से उतरकर नीचे आई हूं। दो घंटे खुले में बैठी रही, सांस लेने में तकलीफ हो रही है। सात मार्च से यहां भर्ती हूं।- अनन्या शुक्ला, निवासी इटावा
सुबह अचानक से जलने की महक आई और देखते ही देखते पूरे अस्पताल में धुआं भर गया। भांजा अमित बाहर चाय लेने गया था। फोन करके उसको तुरंत बुलाया और सहारा लेकर बाहर आए। - बहादुर सिंह पाल, निवासी कन्नौज
सुबह अचानक से जलने की महक आई और देखते ही देखते पूरे अस्पताल में धुआं भर गया। भांजा अमित बाहर चाय लेने गया था। फोन करके उसको तुरंत बुलाया और सहारा लेकर बाहर आए। - बहादुर सिंह पाल, निवासी कन्नौज

चंद्रशेखर मौर्य और शिव प्रसाद
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15 मार्च से एडमिट हूं, बाईपास सर्जरी हुई है। सुबह आग लगी तो बेटे अमन ने सहारा देकर अस्पताल से बाहर निकाला। बाहर निकलने के लिए कांच भी तोड़ना पड़ा। पूरे अस्पताल में सिर्फ धुआं था, अपने बगल वाला इंसान भी नजर नहीं आ रहा था। डॉक्टर से बोलकर आज छुट्टी ले लूंगा। - चंद्रशेखर मौर्य, निवासी कल्याणपुर
27 मार्च को भर्ती हुआ था। दिल में दर्द की शिकायत है। सुबह पूरे अस्पताल में धुआं भर गया। आसपास का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था। किसी तरह दीवारों का सहारा लेकर अस्पताल के बाहर आ पाया। - शिवप्रसाद, निवासी प्रयागराज
27 मार्च को भर्ती हुआ था। दिल में दर्द की शिकायत है। सुबह पूरे अस्पताल में धुआं भर गया। आसपास का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था। किसी तरह दीवारों का सहारा लेकर अस्पताल के बाहर आ पाया। - शिवप्रसाद, निवासी प्रयागराज
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मारिक शब्बीर
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18 मार्च से भर्ती हूं। हार्ट की सर्जरी होनी है। सुबह अचानक धुआं भर गया और दम घुटने लगा। बाहर निकलने के लिए दरवाजा भी बंद था। पत्नी खलीगन और बेटे अमजद ने अपना सहारा देकर अस्पताल के बाहर निकाला है। - शब्बीर, निवासी झांसी